अन्तर्राष्ट्रीय
परमाणु कार्यक्रम पर आईएईए को बड़ी सफलता नहीं
वियना | अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) को ईरान के कथित परमाणु हथियार कार्यक्रम से संबंधित प्रमुख मुद्दों की जांच में कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, गुरुवार को प्राप्त हुए एक गोपनीय दस्तावेज के मुताबिक, आईएईए को कथित परमाणु बम शोध यानी संभावित सैन्य विस्तार से जुड़े दो मुख्य मुद्दों पर अभी कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, “ईरान ने अब तक इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है, जो एजेंसी को दो व्यावहारिक उपायों को स्पष्ट करने में सक्षम बनाएगा। ये उपाय उच्च क्षमता वाले विस्फोटक और न्यूट्रान परिवहन गणना से संबंधित हैं।” ईरान और आईएईए के बीच तेहरान के परमाणु कार्यक्रमों को लेकर कई दौर की बैठक हुई है और दोनों ही पक्ष कदम दर कदम उपायों के जरिए मुद्दों को स्पष्ट करने में सहयोग देने पर सहमत हुए हैं। ईरान और विश्व की छह महाशक्तियां भी समानांतर बैठकें कर रही हैं।
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कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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