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मनोरंजन

नादिरा बब्बर कर रहीं रंगमंच को ‘एकजुट’

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नई दिल्ली| 20 जनवरी को जीवन के 67वें बसंत में कदम रख रहीं रंगमंच, सिनेमा और छोटे पर्दे की चर्चित अभिनेत्री नादिरा बब्बर भारतीय कलाजगत में अपने कलाकर्म और सामाजिक सक्रियता के कारण लोकप्रिय हैं। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) से स्नातक और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित नादिरा ने अपने थिएटर समूह ‘एकजुट’ के माध्यम से रंगमंच के क्षेत्र में कई नए प्रतिमान कायम किए हैं।

उन्होंने ‘ऑथेलो’, ‘तुगलक’, ‘जसमा ओढ़न’, ‘संध्या छाया’, ‘बेगम जान’ आदि नाटकों में केंद्रीय भूमिकाएं निभाईं। इसके अलावा कई नाटकों का निर्देशन भी किया।

नादिरा कम्युनिस्ट नेता सज्जाद जहीर की बेटी और मशहूर अभिनेता-नेता राज बब्बर की पत्नी हैं। उनका जन्म 20 जनवरी, 1948 को हुआ। उन्होंने 1971 में नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) से स्नातक किया। नादिरा एनएसडी से स्वर्ण पदक पा चुकी हैं। वह स्नातक करने के बाद छात्रवृत्ति पर जर्मनी गईं। बाद में उन्हें ग्रोतोविस्की और पीटर ब्रुक्स जैसे नामचीन निर्देशकों के साथ काम करने का मौका मिला। 48

नादिरा ने 1981 में दिल्ली में अपने थिएटर समूह ‘एकजुट’ की शुरुआत की, जिसके तहत उन्होंने अपना पहला नाटक ‘यहूदी की लड़की’ (1981) किया। बीते 30 वर्षो में एकजुट ने भारतीय रंगमंच को 60 से ज्यादा मशहूर नाटक दिए हैं। इनमें ‘संध्या छाया’, ‘लुक बैक इन एंगर’, ‘बल्लभपुर की रूप कथा’, ‘बात लात की हालात की’, ‘भ्रम के भूत’ व ‘बेगम जान’ शामिल हैं।

नादिरा को एनएसडी ने ही अभिनेता राज बब्बर से मिलाया, जो बाद में उनके पति बने। नवोदित अभिनेता आर्य बब्बर और अभिनेत्री व फैशन डिजाइनर जूही बब्बर नादिरा-राज बब्बर के ही बेटा-बेटी हैं।

नादिरा एक बार चंडीगढ़ साहित्य अकादमी द्वारा वहां आयोजित थिएटर वर्कशॉप में पहुंची थीं। वहां उन्होंने बातों ही बातों में रंगमंच के अभिनेताओं को कम पैसा मिलने की बात उठाई थी। उन्होंने कहा था, “रंगमंच से जुड़कर ज्यादा पैसे नहीं कमाया जा सकता। ऐसे में कलाकारों से क्यों उम्मीद की जाए कि वे अपनी जिंदगी इसमें लगा दें?”

उन्होंने कहा था कि हिंदी की तुलना में गुजराती, बांग्ला और मराठी थिएटर के हालात बेहतर हैं। नादिरा ने कहा कि जो आर्टिस्ट थिएटर में काम करते हैं, उनके लिए आजीविका तभी हो सकती है, जबकि स्कूलों और कालेजों में थिएटर का चैप्टर शामिल किया जाए।

नादिरा गुरिंदर चड्ढा की फिल्म ‘ब्राइड एंड प्रेजुडिस’ (2004) व एम.एफ. हुसैन निर्देशित फिल्म ‘मीनाक्षी : अ टेल ऑफ थ्री सिटीज’ (2004) में अभिनय कर चुकी हैं। वह हाल में सलमान खान अभिनीत ‘जय हो’ में सलमान की मां की भूमिका में नजर आईं।

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नहीं रहे दंगल गर्ल जायरा वसीम के पिता, सोशल मीडिया पर लिखा भावुक पोस्ट

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मुंबई। दंगल गर्ल जायरा वसीम पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उनके पिता अब इस दुनिया मन नहीं रहे। इसकी जानकारी उन्होंने खुद सोशल मीडिया पर दी और लोगों से उन्हें अपनी दुआओं में याद करने की अपील भी की। पूर्व एक्ट्रेस ने इंस्टाग्राम स्टोरी में एक नोट शेयर किया है जिसमें वह पिता के साथ नजर आ रही हैं।

इंस्टाग्राम स्टोरीज पर जायरा वसीम ने नोट में लिखा था, ‘मेरे पिता जाहिद वसीम का निधन हो गया है। मैं सभी से अनुरोध करती हूं कि वो अपनी प्रार्थनाओं में उन्हें याद रखें और उनके लिए अल्लाह से क्षमा मांगें। कृपया प्रार्थना करें कि अल्लाह उनकी कमियों को माफ कर दे, उनकी कब्र को आराम की जगह बनाए, उन्हें किसी भी सजा से बचाए, उन्हें परलोक में आसानी प्रदान करे और उन्हें जन्नत का सबसे ऊंचा स्थान प्रदान करे और उन्हें मगफिरत दे।’

उन्होंने अपने पिता के साथ एक प्यारी-सी तस्वीर भी शेयर की और उनके निधन पर एक भावुक नोट लिखा। जायरा ने लिखा, ‘वास्तव में आंखें आँसू बहाती हैं और दिल दुखी होता है, लेकिन हम वही नहीं कहेंगे जो हमारे भगवान को पसंद हो। मेरे पिता जाहिद वसीम का निधन हो गया है। कृपया उन्हें अपनी दुआओं में याद रखें और अल्लाह से उनकी कमियों को माफ करने, उनकी कब्र को शांतिपूर्ण बनाने, उन्हें इसके अजाब से बचाने और आगे की उनकी यात्रा को आसान बनाने के लिए कहें। उन्हें आसानी से हिसाब दिया जाए और उन्हें जन्नत और मगरिरा का ऊंचा दर्जा दिया जाए। वास्तव में, हम अल्लाह के हैं और हम उनके ही पास जाएंगे।’

 

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