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मुख्य समाचार

पूर्व सैनिकों को जंतर-मंतर पर धरना जारी रखने की अनुमति

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नई दिल्ली|वन रैंक वन पेंशन’ की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जून से ही धरना दे रहे पूर्व सैनिकों को पुलिस ने शुक्रवार को जंतर-मंतर से जबरन हटा दिया, लेकिन बाद में इसे जारी रखने की इजाजत दे दी। पुलिस और नागरिक कर्मियों ने स्वतंत्रता दिवस से पहले सुरक्षा के मद्देजनर पूर्व सैनिकों को जबरन जंतर-मंतर से हटाया, जिसके बाद दोनों पक्षों में धक्का-मुक्की भी हुई।

पुलिस उपायुक्त विजय सिंह आईएएनएस को बताया कि नई दिल्ली नगरपालिका परिषद ने स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर सुरक्षा कारणों से सभी प्रदर्शनकारियों को अपने अभियान के तहत धरनास्थल से हटाया था।

पूर्व सैन्य कर्मियों ने हालांकि यह कहते हुए धरनास्थल से हटने से इंकार कर दिया था कि उनके पास धरने की इजाजत है। इसके बाद कुछ पुलिस कर्मियों ने वहां लगा तंबू गिरा दिया और वहां लगे एक जनरेटर को ले जाने की कोशिश की। इस पर पुलिसकर्मियों और पूर्व सैन्यकर्मियों के बीच धक्का-मुक्की शुरू हो गई।

युनाइटेड फ्रंट ऑफ एक्स-सर्विसमैन के प्रवक्ता कर्नल अनिल कौल (सेवानिवृत्त) ने कहा, “हमने विरोध-प्रदर्शन करने की इजाजत ली हुई थी और शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे। यह कार्रवाई तो हमसे पिंड छुड़ाने की कोशिश है, क्योंकि उनके पास हमारी मांगों का कोई जवाब नहीं है।”

मामले को लेकर चौतरफा आलोचना होती देख अधिकारियों ने यूटर्न लिया और प्रदर्शनकारियों को धरना जारी रखने की इजाजत दे दी।

कौल ने बाद में आईएएनएस को बताया, “हमें केंद्रीय गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शन जारी रखने की मौखिक अनुमति दे दी है।”

उन्होंने कहा, “हम हटना नहीं चाहते थे। धक्का-मुक्की में कुछ लोग घायल हुए हैं, लेकिन उन्हें मामूली चोट ही आई हैं।”

वहीं, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मामले की भनक लगते ही तुरंत घोषणा की कि वह पूर्व सैन्य कर्मियों को समर्थन देने जंतर-मंतर जाएंगे।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने धरनारत पूर्व सैनिकों को जंतर-मंतर से जबरन हटाए जाने की निंदा की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से स्वतंत्रता दिवस पर पूर्व सैन्यकर्मियों की यह मांग मान लेने का आग्रह किया।

केजरीवाल ने सवालिया लहजे में कहा, “पूर्व सैनिकों को जबरन जंतर-मंतर से हटाया गया? अजीब है। उन्होंने कल तक हमारी हिफाजत की और अब वे स्वतंत्रता दिवस की सुरक्षा के लिए खतरा हो गए?”

उन्होंने कहा, “केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने एक साल के भीतर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के दूसरे कार्यकाल जैसा बर्ताव शुरू कर दिया है।”

केजरीवाल ने कहा, “मैं प्रधानमंत्री से कल (स्वतंत्रता दिवस) लाल किले की प्राचीर से हमारे पूर्व सैनिकों के लिए ओआरओपी की मांग स्वीकार करने की घोषणा करने का आग्रह करता हूं।”

यदि ‘वन रैंक वन पेंशन’ लागू होती है, तो लगभग 25 लाख पूर्व सैन्यकर्मियों को इसका लाभ मिलेगा।

 

नेशनल

पांचवें चरण में यूपी की इन 14 सीटों पर डाले जा रहे वोट, राहुल-राजनाथ समेत कई दिग्गज मैदान में

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नई दिल्ली। देश में आज पांचवे चरण के लिए मतदान हो रहा है, जिसमें रक्षामंत्री राजनाथ सिंह सहित कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गांधी सहित चुनाव मैदान में है। इसी चरण में देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की भी 14 सीटों पर मतदान है। आज सभी दिग्गज नेताओं की किस्मत ईवीएम में बंद हो जाएगी। हालांकि जिन सीटों पर चुनाव हो रहा है उनमें ज्यादातर सीटें पिछली बार बीजेपी के पास ही थी इसलिए भारतीय जनता पार्टी आश्वत है कि सभी 14 सीटों पर जीत दर्ज होगी।

2019 के चुनाव में सिर्फ रायबरेली को छोड़कर सभी सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। रायबरेली से सोनिया गांधी ने जीत दर्ज की थी. राजनाथ सिंह लखनऊ से तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं। उनके खिलाफ सपा-कांग्रेस गठबंधन से रविदास मेहरोत्रा और बसपा के सरवर अली चुनावी मैदान में हैं।

अमेठी लोकसभा से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक बार फिर से चुनाव लड़ रही हैं। 2019 में उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को हराया था. उनके खिलाफ गांधी परिवार के खास किशोरीलाल शर्मा ताल ठोक रहे हैं। शर्मा का दावा है कि 40 सालों से वो अमेठी की जनता से जुड़े हैं। उन्होंने राजीव गांधी के साथ भी रैलियों में भाग लिया था। इस सीट पर कांग्रेस के बड़े नेताओं का पूरा फोकस है।

वहीं लखनऊ से सटे मोहनलालगंज से केंद्रीय मंत्री और भाजपा उम्मीदवार कौशल किशोर तीसरी बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। उनको सपा-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार आर.के. चौधरी से कड़ी चुनौती मिल सकती है। वहीं बहुजन समाज पार्टी से राजेश कुमार मैदान में हैं। फतेहपुर सीट पर केंद्रीय मंत्री और भाजपा से प्रत्याशी साध्वी निरंजन ज्योति एक बार फिर से चुनावी रण में हैं। वह 2014 और 2019 में जीत दर्ज कर चुकी हैं। सपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल से उनको कड़ी चुनौती मिलने की उम्मीद है। बसपा ने यहां से पिछड़ी जाति के कुर्मी बिरादरी के प्रत्याशी डॉक्टर मनीष सचान को मैदान में उतार कर सपा व भाजपा की धड़कन बढ़ा दी है।

भाजपा ने जालौन सीट से पांच बार के सांसद और वर्तमान में मंत्री भानु प्रताप वर्मा को एक बार फिर से मैदान में उतारा है। उनके खिलाफ सपा-कांग्रेस से नारायण दास अहिरवार मैदान में हैं। अहिरवार बसपा के संस्थापक सदस्य रहे हैं। वह 2007 से 2011 तक मायावती सरकार में मंत्री थे. 2022 में वह सपा में आ गए थे। वैसे इस सीट पर बसपा का अच्छा खासा प्रभाव माना जाता रहा है। 2019 में सपा-बसपा गठबंधन में यह सीट बसपा के खाते में गई थी। इस बार भानू प्रताप का मुकाबला इन्हीं से माना जा रहा है।

इसके अलावा इस चरण में कांग्रेस नेता राहुल गांधी रायबरेली से ताल ठोक रहे हैं. उनका मुख्य मुकाबला भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह से है. राहुल गांधी ने इस चुनाव में वायनाड के अलावा रायबरेली सीट से भी पर्चा भरा है. वायनाड में पहले ही वोटिंग हो चुकी है. रायबरेली गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है. खुद सोनिया गांधी इस सीट से चुनाव जीतती आई हैं. हालांकि इस बार वे राज्यसभा की ओर रुख कर चुकी हैं. लिहाजा राहुल गांधी ने इस सीट से पर्चा भरा है. भाजपा उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह पहले कांग्रेस में रह चुके हैं. 2018 में भाजपा में शामिल हो गए और 2019 में रायबरेली से सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़े. वे 1.67 लाख वोट से हार गए थे. एक बार फिर भाजपा के उम्मीदवार के रूप में यहां से मैदान में हैं.

इसके साथ ही यूपी की कैसरगंज भी काफी चर्चित सीट है. जिसमें बृजभूषण शरण सिंह को इस बार विवादों के चलते भाजपा ने टिकट नहीं दिया. लेकिन उनके बेटे करण भूषण सिंह चुनावी किस्मत आजमा रहे हैं. कौशांबी सीट पर वर्तमान सांसद विनोद सोनकर भी तीसरी बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. उनके खिलाफ महज 25 साल के प्रत्याशी पुष्पेंद्र सरोज समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे हैं

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