अन्तर्राष्ट्रीय
ट्रंप से मिले जिनपिंग, सहयोग बढ़ाने पर बनी सहमति
वाशिंगटन। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को लाभप्रद सहयोग बढ़ाने और आपसी सम्मान के आधार पर मतभेदों को सुलझाने की प्रतिबद्धता जताई। दोनों नेताओं ने इस पर सहमति जताई कि फ्लोरिडा के मार-ए-लागो रिजॉर्ट में हुई पहली बैठक ‘सकारात्मक व लाभप्रद’ रही।
शी ने कहा कि ट्रंप के साथ उनकी पहली बैठक है, जो चीन और अमेरिका के संबंधों को महत्व देते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच अच्छी समझ बनी है, आपासी विश्वास बढ़ा है, कई प्रमुख मुद्दों पर सहमति बनी है और सकारात्मक कार्यो को लेकर अच्छा संबंध बना है।
शी ने कहा, “दोनों पक्षों को अपने संबंध बढ़ाने की जरूरत है, ताकि इससे दोनों देशों के लोगों को बेहतर लाभ मिल सके और विश्व शांति व समृद्धि को बढ़ावा मिले।”
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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