आध्यात्म
जेकेपी ने 4 हजार बच्चों में बांटीं निःशुल्क शैक्षिक सामग्री
मनगढ़ (कुंडा, प्रतापगढ़)। समाजसेवा के उद्देश्य से जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा स्थापित जगद्गुरू कृपालु परिषत् एजुकेशन ने परिषत् के माध्यम से संचालित किए जा रहे अपने तीनों विद्यालयों की छात्राओं को शैक्षिक व अन्य दैनिक उपभोग की सामग्रियों का निःशुल्क वितरण किया।
वितरित की गई सामग्रियों में प्रमुख रूप से बैग, छह नोटबुक, पेन, पेन्सिल, शार्पनर, रबर, स्केल, ज्योमेट्री बॉक्स, टिफिन बॉक्स एवं पानी की बोतल थे।
इस अवसर पर जेकेपी की अध्यक्ष सुश्री डॉ. विशाखा त्रिपाठी, सुश्री डॉ. श्यामा त्रिपाठी एवं सुश्री डॉ कृष्णा त्रिपाठी मौजूद रहीं।
गौरतलब है कि ग्रामीण एवं निर्धन बालिकाओं के शैक्षिक उत्थान हेतु जगद्गुरु कृपालु परिषत् एजुकेशन द्वारा प्रतापगढ़ जिले की कुण्डा तहसील में तीन शिक्षण संस्थान-कृपालु महिला महाविद्यालय, कृपालु बालिका इण्टरमीडिएट कॉलेज और कृपालु बालिका प्राइमरी संचालित किए जाते हैं।
इन संस्थानों में बालिकाओं को प्राइमरी से लेकर पोस्ट ग्रैजुएशन तक निःशुल्क शिक्षा प्रदान कर उन्हें आत्म-निर्भर बनाने का प्रयास किया जाता है।
खास बात यह है कि इन संस्थानों में प्रोफेशनल कोर्सेज भी चलाए जाते हैं जिससे लड़कियां आत्मनिर्भर बन सकें। इसके अलावा इन विद्यालयों में अधिकतर छात्राएं अल्पसंख्यक मुस्लिम समाज की हैं। इनमें शिक्षा ग्रहण करने वाली छात्राओं को वाहन की सुविधा भी निःशुल्क प्रदान की जाती है।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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