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मुख्य समाचार

जीएसटी विधेयक लोकसभा में पारित

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नई दिल्ली। देश में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था लागू करने के प्रावधान वाला संविधान (122वां संशोधन) विधेयक-2014 बुधवार को लोकसभा में पारित हो गया। विधेयक के पक्ष में 336 और विपक्ष में 11 मत पड़े। मतदान के दौरान 10 सदस्य अनुपस्थित रहे। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि विधेयक जरूरत के मुताबिक दो-तिहाई बहुमत से पारित हुआ है। इस विधेयक के लागू होने से केंद्र और राज्यों के अधिकतर अप्रत्यक्ष करों का अलग अस्तित्व समाप्त हो जाएगा, जिसमें उत्पाद शुल्क, सेवा कर, मूल्य वर्धित कर, बिक्री कर, ऑक्ट्रॉय शामिल हैं। इसके लागू होने से कारोबारी देश में कहीं भी अपनी कारोबारी गतिविधियों का विस्तार कर सकेंगे।

इससे पहले विधेयक पर हो रही चर्चा के जवाब में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष के इस आरोप को गलत बताया कि सरकार सदन को विश्वास में लिए बिना विधेयक में कुछ प्रावधानों पर संशोधन कर रही है। उन्होंने इसे संसदीय समिति के हवाले किए जाने से भी इंकार किया। उन्होंने कहा कि विधेयक में जिन संशोधनों को शामिल किया गया है, उन संशोधनों की सिफारिश मूल विधेयक पर समिति ने पहले ही की है, इसलिए इस मुद्दे पर सरकार को विपक्ष गलत नहीं ठहरा सकता।

जेटली ने उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसा ही एक संशोधन है जीएसटी परिषद की स्थापना। जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे और जो विवादों का निपटारा करेगी, न कि उसे सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की समिति के पास भेजा जाएगा। जेटली ने कहा कि व्यापक विचार विमर्श की प्रक्रिया से विधेयक पर व्यापक सहमति कायम हो चुकी है और इसे समिति के हवाले किए जाने से एक अप्रैल, 2016 से इसे लागू करने का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाएगा।

संविधान संशोधन विधेयक को प्रभावी होने के लिए संसद के दोनों सदनों से दो-तिहाई बहुमत से पारित होना है और देश के कुल राज्यों के आधे की विधानसभाओं द्वारा भी इसे पारित होना है।

जेटली ने कहा, “विधेयक के प्रभावी होने के बाद आगे एक कर के ऊपर दूसरा कर लगाने की परंपरा समाप्त हो जाएगी।” उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में केंद्रीय बिक्री कर को चार फीसदी से घटाकर दो फीसदी किए जाने से राज्यों को हुए नुकसान की भरपाई करने की अनुमति दे दी है। राज्यों को यह भुगतान पांच साल तक किया जाएगा। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि इस पूरी अवधि में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 33 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा। लोकसभा ने राज्यों के बीच व्यापार पर एक फीसदी अतिरिक्त कर लगाए जाने से संबंधित संशोधन को भी मंजूरी दे दी, जिससे राज्यों को कर व्यवस्था के परिवर्तन काल में और मदद की जा सकेगी। मूल विधेयक की भांति पेट्रोलियम उत्पाद, शराब और तंबाकू को फिलहाल इस विधेयक के प्रभाव क्षेत्र से बाहर रखा गया है।

नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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