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प्रादेशिक

जब तक जीवित हूं, मुझे लिखने से कोई नहीं रोक सकता : बशीर

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प्रीथा नायर

नई दिल्ली। दबावों के कारण लेखन रोक देने की रपटों को ठुकराते हुए मलयालम के साहित्यिक अलोचक लेखक एम.एम.बशीर ने कहा कि वे ऐसे किसी भी दबाव के आगे नहीं झुकेंगे।

कई रपटों में कहा गया कि हिंदू गुट ‘हनुमान सेना’ से मिली धमकियों के बाद रामायण पर उनके छह लेखों की श्रृंखला में से आखिरी को मातृभूमि द्वारा रोक दिया गया। इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा था कि मुसलमान होते हुए भी रामायण लिखने के लिए अज्ञात व्यक्तियों द्वारा फोन पर भर्त्सना करने के कारण बशीर को अपना आखिरी लेख रोकना पड़ा था।

कालीकट से दिए एक टेलीफोन साक्षात्कार में बशीर ने कहा, “कई धमकियों के बावजूद मैंने लेखों की श्रृंखला पूरी की। मैं जब तक जीवित रहूंगा, तब तक लिखना जारी रखूंगा।” बशीर ने कहा, “मैंने अखबार के दफ्तर के बाहर, अखबार को हिंदू विरोधी करार देते और एक मुसलमान को रामायण लिखने देने के लिए अखबार का बहिष्कार करने की धमकी भरे पोस्टर देखे थे।” बशीर ने बताया कि मातृभूमि ने उन्हें कहा था कि वे धमकियों के चलते आखिरी लेख रोक रहे हैं, लेकिन मैंने इसे कभी नहीं रोका।

बशीर ने कहा, “लेख छपने के बाद रामायण लिखने के लिए निंदा करते हुए मुझे कम से कम 250 कॉल आए। राम या रामायण की उन्हें कोई समझ नहीं थी, उन्हें केवल इस बात से मतलब था कि एक मुसलमान ने रामायण क्यों लिखी।” बशीर ने कहा कि कॉल करने वाले इस बात से क्रोधित थे कि लेख में राम का मानव के रूप में चित्रण किया गया था। बशीर ने स्पष्ट किया कि मैंने केवल वाल्मीकि रामायण को आधार बनाकर ही रामायण लिखा है। वाल्मीकि ने भी राम का मानव के रूप में चित्रण करते हुए उनके कर्मो की अलोचना की थी।

बशीर ने कहा, “75 वर्ष की उम्र में केवल एक मुसलमान के तौर पर देखे जाने से मैं दुखी हूं क्योंकि मैंने कभी भी केवल एक मुसलमान के रूप में अपना जीवन नहीं जिया।” बशीर ने कहा कि भारत में रामायण के 700 से अधिक संस्करण हैं और कई लेखकों ने कहानी को अलग तरीके से लिखा है। यहां तक कि एक संस्करण में सीता को रावण की पुत्री बताया गया है। केरल में 25 से अधिक संस्करण हैं, जिसमें एक मुस्लिम संस्करण ‘मप्पिलाह रामायणम’ भी शामिल है।

धर्म के नाम पर राज्य के बंटवारे से बशीर बेहद दुखी हैं। कालीकट विश्वविद्यालय में प्राध्यापक बशीर ने मलयालम काव्य पर 40 से अधिक लेख लिखे हैं। बशीर ने कहा, “भारत के लेखक कठिन दौर से गुजर रहे हैं। तमिल लेखक पेरूमल मुरुगन को लेखन न करने के लिए बाध्य करने और कर्नाटक के लेखक एम.एम. कलबुर्गी को मार दिए जाने जैसी घटनाएं विचारों की स्वतंत्रता को दबाने की बढ़ती प्रवृत्ति दर्शाती हैं।” बशीर ने कहा, “रामायण पर मेरी किताब शीघ्र ही आएगी। एक मुसलमान द्वारा रामायण लिखने का विरोध करने वालों के लिए यह एक करारा जवाब होगा।”

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उत्तर प्रदेश

अखिलेश यादव ने श्याम लाल पाल को बनाया सपा का नया प्रदेश अध्यक्ष

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी ने अपना प्रदेश अध्यक्ष बदल दिया है। पार्टी ने नरेश उत्तम पटेल की जगह श्याम लाल पाल को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। बीते साल ही श्याम लाल पाल को प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वर्तमान में नरेश उत्तम पटेल यूपी की फतेहपुर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसा कहा जाता है कि वह अखिलेश यादव के करीबी है। ऐसें में चुनाव पर उनका फोकस हो, इसी वजह से अखिलेश यादव ने प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी श्याम लाल पाल को सौंप दी है।

श्यामलाल पाल शिक्षाविद् हैं और एक इंटर कॉलेज से प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वह लगभग 20 सालों से समाजवादी पार्टी में हैं। श्याम लाल पाल 2002 में अपना दल के टिकट पर प्रतापपुर सीट से विधानसभा का चुनाव भी लड़े चुके थे। हालांकि, इसके कुछ दिन बाद ही वह समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए।

वह सपा में अलग-अलग पदों पर रहकर लगातार काम कर रहे हैं। श्याम लाल पाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर प्रयागराज के कार्यकर्ताओं ने खुशी जाहिर की है।

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