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‘चेतावनी के बाद जनधन खातों में धनराशि जमा होने के मामले घटे’
नई दिल्ली| केंद्र सरकार का कहना है कि काले धन को सफेद बनाने के लिए जनधन खातों का दुरुपयोग नहीं किए जाने को लेकर आयकर विभाग की चेतावनी के बाद इस तरह के खातों में धनराशि जमा होने के मामले घटे हैं। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि पिछले कुछ सप्ताह में इन खातों में नकदी जमा होने के मामलों में गिरावट आई है, जबकि आठ नवंबर को सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद इन खातों में धनराशि जमा करने की रफ्तार बढ़ गई थी।
जारी बयान में अधिकारी ने कहा, “जब से सरकार ने लोगों को खातों विशेष रूप से जनधन खातों में अन्य लोगों के काले धन को सफेद करने के लिए इस्तेमाल नहीं होने देने को कहा है। तब से जन धन खातों में धनराशि जमा करने के मामले घटे हैं।” गौरतलब है कि आठ नवंबर से दो दिसंबर तक इस पूरी अवधि में जनधन खातों में प्रति खाता औसत जमा धनराशि 13,113 रुपये रही।
आठ नवंबर से 15 नवंबर के दौरान कुल जमा धनराशि 20,206 करोड़ रुपये रही, जबकि 16 से 22 नवंबर के दौरान लोगों ने इन खातों में 11,347 करोड़ रुपये जमा कराए। हालांकि, 23 से 30 नवंबर के दौरान यह धनराशि घटकर 4,867 करोड़ रुपये रह गई। एक दिसंबर को जनधन खातों में कुल जमा धनराशि 410 करोड़ रुपये रही और दो दिसंबर को 389 करोड़ रुपये रही।
नेशनल
जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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