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मनोरंजन

क्या सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजने से ही देशभक्ति जागृत होती है: विद्या बालन

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मुंबई। बॉलीवुड अभिनेत्री विद्या बालन ने राष्ट्रगान को लेकर ऐसा बयान दिया है जिसको लेकर सोशल मीडिया पर उनकी जमकर आलोचना हो रही है। दरअसल विद्या बालन ने सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने को लेकर जारी बहस के बीच अपनी राय देते हुए कहा कि देशभक्ति थोपी नहीं जा सकती।

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यही नहीं उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि फिल्मों से पहले राष्ट्रगान बजना ही नहीं चाहिए। विद्या बालन ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि फिल्मों से पहले राष्ट्रगान बजाया जाना चाहिए। आप स्कूल में नहीं हैं, जहां आप दिन की शुरूआत राष्ट्रगान से करते हैं।

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उन्होंने कहा, “इसलिए मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना है कि राष्ट्रगान वहां नहीं बजाया जाना चाहिए। आप देशभक्ति थोप नहीं सकते। उन्हें अपने देश से प्यार है और इसकी रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं। उन्होंने कहा, लेकिन यह सही नहीं है कि कोई मुझे यह बात बताएं।

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जब मैं राष्ट्रगान सुनती हूं, मैं कहीं भी रहूं, खड़ी हो जाती हूं।वहीँ विद्या बालन ने इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनकी जमकर फजीहत हो रही है।

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एक फेसबुक यूजर ने लिखा कि सही कहा विदया जी कि राष्ट्रभग्ति थोपी नहीं जा सकती, लेकिन आप उनके बारे में क्या कहंगी जिनको भारत माता की जय और वन्दे मातरम बोलने में शर्म आती हे, क्या उनको भी कुछ बोल सकती हो आप।

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एक अन्य यूजर ने लिखा कि देश भक्ति थोपने का क्या मतलब हैं। जो भी हमारे देश में रहते हैं। खाते पीते, काम करते हैं। जो यहां के वासी हैं। उनका यह फर्ज बनता हैं कि देश के लिए वफादारी और इमानदारी दिखाए।

प्रादेशिक

13 साल बाद एक्ट्रेस को मिला इंसाफ, कोर्ट ने हत्यारे बाप को सुनाई फांसी की सजा

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मुंबई। एक्ट्रेस लैला खान और उसके पूरे परिवार के हत्यारे सौतेले पिता को मुंबई की सेशन कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में परवेज टाक को लैला, उनकी मां और चार भाई-बहन की हत्या और सबूतों को नष्ट करने का दोषी ठहराया था। यह मामला 13 वर्ष पुराना है। सौतेले प‍िता ने लैला, उसकी मां व चार भाई-बहनों की हत्या की थी, इसके बाद शवों को फार्म हाउस में गड्ढा खोदकर दफन कर दिया था।

बता दें कि बीते सप्ताह सरकारी वकील पंकज चव्हाण ने दोषी परवेज टाक के लिए मौत की सजा की मांग की थी। उनका कहना था कि इस हत्या को पूरी तरह से प्लान करके किया गया था, जिसमें एक ही परिवार के छह लोगों को बड़ी ही बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया और शवों को ठिकाने लगा दिया गया।

लैला खान हत्याकांड में मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इस दौरान आरोपी के वकील वहाब खान ने दलील पेश की, जिसमें उन्होंने कम से कम आजीवन कारावास की सजा की मांग की। वकील ने कहा कि कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है और शव उनके कहने पर बरामद किए गए थे। इतना ही नहीं बल्कि दोषी के वकील ने जेल में टाक के अच्छे व्यवहार की ओर इशारा करते हुए कहा कि उसमें सुधार हुआ है और इसलिए उन्होंने इसे भी सजा को कम करने का आधार बताया है। हालांकि कोर्ट ने उनकी एक न सुनी और परवेज टाक को फांसी की सजा सुना दी।

बता दें कि परवेज टाक, लैला का सौतेला पिता है। परवेज ने लैला की मां संग तीसरी शादी की थे। साल 2011 में फरवरी में लैला खान, उनकी मां और चार भाई-बहनों की महाराष्ट्र के नासिक जिले के इगतपुरी स्थित उनके बंगले में हत्या कर दी गई थी। रिपोर्ट्स की मानें तो कहा गया कि संपत्तियों पर बहस के बाद परवेज ने इस घटना को अंजाम दिया था।

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