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अन्तर्राष्ट्रीय

कराची में इस कदर हो रहा गंदा काम, यूएन तक ने जताई चिंता

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इस्लामाबाद। एचआईवी/एड्स पर संयुक्त राष्ट्र के एक संयुक्त कार्यक्रम (यूएनएआईडीएस) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि पाकिस्तान को एचआईवी रोकने के लिए मौजूद तमाम संसाधनों का इस्तेमाल करना चाहिए। यूएनएआईडीएस पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान के कंट्री निदेशक ममादोउ साखो ने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा, “कराची दुनिया के उन शीर्ष शहरों में शामिल है, जहां एचआईवी के मामले सर्वाधिक हैं। इसलिए शहर में सर्वाधिक जोखिम वाले समुदायों के बीच बीमारी को रोकने के लिए सभी पक्षों के बीच जागरूकता बढ़ाने सहित प्रभावी ढंग से काम करने का यह माकूल समय है।”

डॉन न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि यह समय उन समुदायों के बीच काम करने का है, जिन्हें बीमारी का सर्वाधिक खतरा है। उन्हें ‘मोस्ट एट रिस्क पॉपुलेशन’ कहा गया है, जिसमें इंजेक्शन के माध्यम से ड्रग्स लेने वाले लोग, ट्रांसजेंडर, पुरुष व महिला यौनकर्मी तथा कैदी शामिल हैं।

उन्होंने कहा, “वर्तमान में, पाकिस्तान उन देशों में शामिल है, जहां कुछ खास समुदायों को एचआईवी का खतरा है, जिससे बचाने के लिए हमें उनके बीच काम करना और बीमारी को रोकना होगा। अगर यह नहीं किया गया, तो यह बीमारी अफ्रीका जैसा रूप अख्तियार कर लेगी और तब उससे निपटना बेहद मुश्किल हो जाएगा।”

सिंध एड्स कंट्रोल प्रोग्राम (एसएसीपी) के कार्यक्रम प्रबंधक यूनुस चाचर ने कहा कि नए अनुमानों के मुताबिक, देश में एचआईवी से संक्रमित लोगों की जितनी आबादी है, उसकी आधी आबादी इस क्षेत्र में रहती है और यह संख्या लगभग 56,949 है।

उन्होंने हालांकि कहा कि संगठन को अब तक 11,464 लोगों के एजआईवी से पीडि़त होने की रिपोर्ट मिली है, जिनका इलाज किया जा रहा है। उनमें 11,225 लोग एचआईवी संक्रमित हैं, जबकि बाकी 239 लोग एड्स से पीडि़त हैं। उन्होंने कहा कि कराची तथा लरकाना में इलाज की सुविधा के अतिरिक्त एसएसीपी शहर में तथा बाकी सिंध में अधिक से अधिक सुविधाओं की स्थापना करेगा।

उन्होंने कहा कि सिंध जिले में आधारभूत स्वास्थ्य इकाइयों की तरफ से पारिवारिक जागरूकता केंद्र तथा स्वास्थ्य केंद्र शुरू किए गए हैं। चाचर ने कहा कि नई योजनाएं एसएसीपी को 80 फीसदी कवरेज में मदद करेंगी।

अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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