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अन्तर्राष्ट्रीय

इस्लामिक नेताओं ने की बंधक बनाए जाने की निंदा

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सिडनी| ऑस्ट्रेलिया के शीर्ष मुस्लिम नेताओं ने सिडनी के एक कैफे में लोगों को बंधक बनाए जाने के कृत्य की निंदा करते हुए कहा कि यह इस्लाम का अपमान है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, देश के सबसे बड़े मुफ्ती इब्राहिम अबू मोहम्मद ने कहा कि देश का मुस्लिम समुदाय, एक सशस्त्र व्यक्ति द्वारा इस्लामी झंडा दिखाकर मार्टिन प्लेस के लिंट कैफे में 30 से ज्यादा लोगों को बंधक बनाए जाने की घटना से आहत है।

एक बयान के मुताबिक, “बड़े मुफ्ती और आस्ट्रेलियन नेशनल इमाम्स काउंसिल इस आपराधिक कार्य की स्पष्ट तौर निंदा करते हैं और यह बात फिर से कहते हैं कि ऐसे कार्य देश और दुनिया में इस्लाम को बदनाम करते हैं।”

इससे पहले सिडनी के मुस्लिम नेताओं ने बंधक मामले में मदद की पेशकश के लिए अधिकारियों से मुलाकात की थी।

अभी तक पांच बंधक कैफे से भाग निकलने में सफल हो पाए हैं।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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