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अन्तर्राष्ट्रीय

इमरान खान की पार्टी का छूटा पसीना, हार रहे खैबर पख्तूनख्वा स्थानीय चुनाव

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पाकिस्तान में इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के स्थानीय चुनाव मतगणना में कई जिलों में चुनाव हार रही है, जबकि जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) बढ़त बनाए हुए है।

खैबर पख्तूनख्वा के 17 जिलों में रविवार को मतदान हुआ। प्रांत में छह साल के अंतराल के बाद यहां चुनाव कराये गए। मतगणना सोमवार सुबह से शुरू हो गयी। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, 63 तहसील परिषदों के मेयर के अनौपचारिक परिणामों के अनुसार जेयूआई-एफ उम्मीदवार अपने प्रतिद्वद्वियों से आगे चल रहे है क्योंकि पीटीआई को प्रांत के कुछ हिस्सों में झटका लगा है।

जहां अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) और जमात-ए -इस्लामी पकड़ बनाए हुए है। पेशावर में जेयूआई-एफ उम्मीदवार सात में से तीन परिषद पर बढ़त बनाए हुए हैं, जबकि पीटीआई और एएनपी दो तहसील में आगे चल रही हैं।

स्थानीय चुनाव के प्रथम चरण में हिंसा की कई घटनाएं हुई। हिंसा में पांच लोग मारे गए और कुछ मतदान केंद्रो को नष्ट कर दिया गया। पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) को बाजौर में आत्मघाती वस्फिोट, बन्नू जिले में मतदान कर्मियों का अपहरण, कारक में झड़प और कोहाट में मंत्री शिबली फराज के वाहन पर हमले जैसी घटनाओं के कारण कुछ क्षेत्रों में चुनाव स्थगित करना पड़ा।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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