अन्तर्राष्ट्रीय
अपेक की अर्थव्यवस्था सुधारें : शी
मनीला। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने संबंधित पक्षों से एशिया-प्रशांत की मुक्त व्यापार क्षेत्र प्रक्रिया (एफटीएएपी) की स्थापना में तेजी लाने और क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने का बुधवार को आग्रह किया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की एक रपट के मुताबिक, उन्होंने यह अपील एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (अपेक) सीईओ शिखर सम्मेलन के दौरान की। उन्होंने कहा कि नए क्षेत्रीय मुक्त व्यापार समझौते के लगातार सामने आने से विखंडन की चिंताएं बढ़ गई हैं।
शी ने सुझाव दिया कि समान भागीदारी व पर्याप्त विचार-विमर्श के आधार पर मुक्त व्यापार व्यवस्था के खुलापन व समग्रता को अधिक से अधिक मजबूत करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र कई वर्षो से अखंडता व विकास से जुड़ा है और यह आर्थिक सहयोग के लिए एक उन्नत तरीके के रूप में सामने आया है।
बीजिंग में साल 2014 में एफटीएएपी प्रक्रिया की शुरुआत कर अपेक के नेताओं द्वारा उठाए गए ऐतिहासिक कदम का स्मरण करते हुए उन्होंने एशिया-प्रशांत अर्थव्यवस्था के खुलेपन को बढ़ावा देने व बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली की सुरक्षा करने का आह्वान किया।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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