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प्रादेशिक

‘अनोखी कमेंट्री’ से रुका खुले में शौच !

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बैतूल| देश में खुले में शौच की आदत बदलने में कानून व जनजागृति अभियान भले ही अपेक्षानुकूल सफल न हुए हों, मगर मध्य प्रदेश के बैतूल जिले की एक पंचायत की ‘अनोखी कमेंट्री’ ने इस बुराई पर पाबंदी लगाने में सफलता पाई है। अब इस गांव का लगभग हर व्यक्ति खुले में शौच जाने की बजाय घर के शौचालय का उपयोग करने लगा है।

बैतूल जिले के चौथिया गांव में लगभग 238 मकान हैं और हर घर में शौचालय है, इसके बावजूद बड़ी संख्या में लोग खुले में शौच जाने की अपनी आदत छोड़ नहीं पाए थे। इस पर गांव के जागरूक लोगों ने खुले में शौच न जाने का परामर्श दिया और बताया कि यह बीमारी की जड़ है, मगर किसी ने नहीं सुनी। इतना ही नहीं, कई ने तो इस मुहिम पर विरोध तक दर्ज कराया।

ग्राम प्रस्फुटन समिति के कचरु बांरंगे ने इस बुराई पर रोक लगाने के लिए युवाओं व महिलाओं के साथ मिलकर निगरानी समिति बनाई। इस समिति ने पंचायत में एक नियंत्रण कक्ष बनाया। गांव के युवा सुबह से ही खुले स्थान पर जाने वालों पर नजर रखते हैं। इस दौरान कोई दिखता है, तो उसकी सूचना मोबाइल के जरिए नियंत्रण कक्ष को देते हैं। उसके बाद पंचायत पर लगे लाउड स्पीकर पर लाइव कमेंट्री शुरू कर दी जाती है।

बांरंगे बताते है कि खुले में शौच जाने वाले की कमेंट्री कुछ इस तरह की जाती है कि जो भी व्यक्ति ऐसा करता है, उसकी खबर पूरे गांव को हो जाती है। साथ ही संबंधित व्यक्ति को भी कमेंट्री सुनाई देती है। इतना ही नहीं, खुले में शौच जाने वाले लोगों की तस्वीरें व्हाट्सएप पर डालने की भी चेतावनी दी गई। इसका नतीजा यह हुआ कि लोग खुले में शौच जाने से कतराने लगे।

निगरानी समिति की सदस्य राधा बाई बताती हैं कि महिलाएं छुपकर ऐसे लोगों पर नजर रखती हैं, जो खुले में शौच के लिए जाते हैं। ऐसा देखते ही वे नियंत्रण कक्ष को मिस्डकॉल कर देती हैं। उसके बाद वहां से कमेंट्री शुरू हो जाती है।

सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र भार्गव ने आईएएनएस को बताया कि ग्रामीण इलाकों में खुले में शौच जाने की आदत पर रोक लगाना कठिन काम है। इसके लिए जरूरी है कि कठोर फैसले लिए जाएं, इसी के तहत चौथिया गांव में लाइव कमेंट्री जैसा फैसला लिया गया। इसके नतीजे बेहतर आए हैं।

भार्गव का कहना है कि कोई भी नहीं चाहता कि उसकी इस तरह से बदनामी हो, लिहाजा वह इस अनोखी कमेंट्री में अपना नाम नहीं सुनता चाहता। इसी का नतीजा है कि गांव में खुले में शौच की आदत पर काफी हद तक रोक लग गई है, गिनती के कुछ लोग ही हैं, जो अब भी खुले में शौच जाते है।

चौथिया गांव के जागरूक लोगों की अनोखी पहल ने वषरें से चली आ रही इस बुराई पर लगाम लगाने में सफलता हासिल की है, जो विकास के इस दौर में सभी को शर्मिंदा करने वाली है।

प्रादेशिक

बेंगलुरु इस्कॉन मंदिर में मनाया जा रहा है 25वीं रजत जयंती का ब्रम्ह महोत्सव

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लखनऊ। बेंगलुरु “इस्कॉन मंदिर” में भगवान और समाज की सेवा की “25वीं रजत जयंती” के वर्षों को 21 अप्रैल से 03 मई तक चिह्नित करते हुए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि का अविस्मरणीय अलौकिक दिव्य-भव्य “ब्रम्ह महोत्सव” पूजा-अर्चना समारोह आयोजित* हुआ है।

इस दरम्यान *प्रभु मधु पंडित व प्रभु चंचल पति , प्रभु लक्ष्मीपति और प्रभु अनंतवीर्य ने अपने-अपने विचारों से अवगत कराया।

सभी भक्तों को बताया कि *प्रभु पाद जी के त्याग और समर्पण भाव से प्रेरणा* लेनी चाहिए। उन्होंने साथ ही यह भी बताया गृहस्थ जीवन में भी सभी को नियमित ब्रम्हमुहूर्त में महामंत्र का जाप करना चाहिए। श्रीकृष्ण जी की गीता वाणी का अध्ययन करके अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए। इस्कॉन मंदिर में काफी संख्या में भक्तगण राधा कृष्ण का दर्शन करके प्रसादम् और आशीर्वाद लेते हैं। संध्या काल में राधा-कृष्ण पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। मंदिर में अन्य दिनों की अपेक्षा प्रत्येक शनिवार और रविवार को सभी आयु वर्गों के भक्तों की अत्यधिक उपस्थिति रहती है।

*बेंगलुरु में इस्कॉन मंदिर श्री कृष्ण भगवान और समाज की सेवा के 25वीं रजत जयंती के वर्षों को चिह्नित करते हुए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि का “ब्रम्ह महोत्सव का उत्सव” 21 अप्रैल से 03 मई तक मनाया* जा रहा है। इसमें भाग लेने के लिए संपूर्ण भारत के विभिन्न राज्यों से भक्तजन आते हैं।

*इस्कॉन का हरे कृष्ण मंदिर*
इस्कॉन मंदिर (*International Society for Krishna Consciousness) बेंगलुरु की खूबसूरत इमारतों में से एक है*। इस इमारत में कई अत्याधुनिक सुविधाओं में *मल्टी-विजन सिनेमा थियेटर, कम्प्यूटर सहायता प्रस्तुतिकरण थियेटर एवं वैदिक पुस्तकालय और उपदेशात्मक पुस्तकालय* है। इस *मंदिर के अनुयाई सदस्यों व गैर-सदस्यों* के लिए यहां रहने की भी काफी उत्तम सुविधा उपलब्ध है। मालूम हो कि अपनी विशाल सरंचना के कारण *इस्कॉन मंदिर बेंगलुरु में बहुत प्रसिद्ध* है और इसीलिए *बेंगलुरु का सबसे मुख्य पर्यटन स्थान* भी है। इस मंदिर में आधुनिक और *वास्तुकला का दक्षिण भरतीय मिश्रण परंपरागत रूप से पाया जाता* है। मंदिर में अन्य संरचनाएं *बहु दृष्टि सिनेमा थिएटर और वैदिक पुस्तकालय*। मंदिर में भक्तों के लिए रहने कि सुविधाएं भी उपलब्ध है।

*इस्कॉन मंदिर के बैंगलुरु में छ: मंदिर हैं*

*राधा-कृष्ण मंदिर (मुख्य मंदिर)*
*कृष्ण-बलराम मंदिर,*
*निताई गौरंगा मंदिर (चैतन्य महाप्रभु और नित्यानन्दा),*
*श्रीनिवास गोविंदा (वेंकटेश्वरा)*
*प्रहलाद-नरसिंह मंदिर एवं श्रीला प्रभुपादा मंदिर*
*बैकुंठ हिल में तिरुपति बालाजी मंदिर और योग व भोग नरसिम्हा मंदिर*
उत्तर बेंगलुरु के राजाजीनगर में स्थित *राधा-कृष्ण का मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा इस्कॉन मंदिर है*। इस *मंदिर का शंकर दयाल शर्मा ने सन् 1997 में उद्घाटन* किया था।

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