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उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू, विधानसभा निलंबित

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उत्‍तराखंड में राष्‍ट्रपति शासन लागू, विधानसभा निलंबित, हरीश रावत

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उत्‍तराखंड में राष्‍ट्रपति शासन लागू, विधानसभा निलंबित, हरीश रावत

नई दिल्‍ली। उत्तराखंड में पिछले कई दिनों से चल रहे सियासी संकट का आज तब पटाक्षेप हो गया जब केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया। टीवी रिपोर्ट्स के मुताबिक, गवर्नर की रिपोर्ट पर केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति से इस बारे में जो सिफारिश की थी, उस पर उन्होंने मुहर लगा दी। राज्य विधानसभा को फिलहाल भंग नहीं किया गया है और उसे निलंबित रखा गया है। दूसरी तरफ उम्मीद के मुताबिक कांग्रेस ने इस आदेश को असंवैधानिक बताते हुए चुनौती देने की बात कही है। कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि फैसले को कानूनी चुनौती दी जाएगी। उधर, राष्‍ट्रपति शासन लगने के बाद जब बीजेपी से सरकार बनाने या चुनाव में जाने को लेकर सवाल पूछा गया तो पार्टी ने कहा कि दोनों विकल्‍प खुले हैं। बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि अगर राज्यपाल उन्हें सरकार बनाने को कहेंगे तो सरकार बनाएंगे और वह चुनावों में जाने के लिए भी तैयार हैं। उन्‍होंने दावा किया कि बीजेपी के पास 36 विधायक हैं।

उत्तराखंड का सियासी संकट

राष्ट्रपति शासन ऐसे वक्त में लगाया गया है जब उत्तराखंड के मुख्‍यमंत्री हरीश रावत को बहुमत साबित करने के लिए 28 मार्च तक का वक्‍त दिया गया था। बता दें कि पिछले कई दिनों से इस बारे में खबरें आ रही थीं कि राज्‍य में राष्‍ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। हरीश रावत ने भी रविवार सुबह इस बारे में संकेत दिए थे। तब उन्‍होंने कहा था कि अब वह जनता के बीच इस मुद्दे को लेकर जाएंगे। इससे अनुमान लगाया गया था कि वह राज्‍य में नए सिरे से चुनाव की बात कह रहे हैं। रावत ने तब बीजेपी और केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा था कि राज्‍य के इतिहास में यह लंबे अंतराल के बाद हो रहा है कि कोई शासक दल सत्‍ता के अहंकार में चूर होकर एक छोटे से सीमांत राज्‍य में राष्‍ट्रपति शासन लगाने की धमकी दे रहा है। उत्‍तराखंड में हालिया राजनीतिक संकट तब पैदा हुआ था जब विजय बहुगुणा के नेतृत्‍व में कांग्रेस के 9 विधायक बागी हो गए थे और उन्‍होंने बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया था।

नेशनल

पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं: पीएम मोदी

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कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मालदा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मेरा बंगाल से ऐसा नाता है जैसे मानो मैं पिछले जन्म में बंगाल में पैदा हुआ था या फिर शायद अगले जन्म में बंगाल में पैदा होना है। इसके साथ ही मोदी ने प्रदेश की सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस पर खूब हमला बोला। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण लगभग 26 हजार परिवारों की शांति और खुशी खत्म हो गई है। पीएम मोदी ने यह बयान कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ के हालिया आदेश के संदर्भ में दिया। जिसमें सरकारी स्कूलों में 25 हजार 753 टीचिंग (शिक्षण) और गैर-शिक्षण नौकरियों को रद्द कर दिया गया था।

पीएम मोदी ने आगे कहा, “नौकरियों और आजीविका के इस नुकसान के लिए केवल तृणमूल कांग्रेस जिम्मेदार है। राज्य सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। जिन लोगों ने पैसे उधार लेकर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को दिए उनकी हालत तो और भी खराब है।” पीएम मोदी ने राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल पर विभिन्न केंद्र-प्रायोजित योजनाओं के तहत दिए गए केंद्रीय फंड के उपयोग के संबंध में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया। पीएम ने कहा, केंद्र सरकार ने राज्य के 80 लाख किसानों के लिए 8 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं। लेकिन राज्य सरकार बाधा उत्पन्न कर रही है, इसलिए किसानों को राशि नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार सभी केंद्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन को खराब करने की कोशिश कर रही है। वे राज्य में आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं होने दे रहे। हमारे पास मालदा जिले के आम किसानों के लिए योजनाएं हैं। लेकिन मुझे चिंता है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता वहां भी कमीशन की मांग करेंगे। पीएम मोदी ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने का प्रयास करने का भी आरोप राज्य सरकार पर लगाया।

उन्होंने कहा कि संदेशखाली में महिलाओं को प्रताड़ित किया गया। मालदा में भी ऐसी ही घटनाओं की खबरें आई थीं। लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हमेशा आरोपियों को बचाने का प्रयास किया है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच तुष्टिकरण की राजनीति की प्रतिस्पर्धा चल रही है। एक तरफ तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस आम लोगों से पैसा जब्त करने और इसे केवल उन लोगों के बीच वितरित करने की योजना बना रही है जो उनके समर्पित वोट बैंक का हिस्सा हैं। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का गुप्त समझौता है।

 

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