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राष्ट्रपति का आदेश कोई राजा का आदेश नहीं : उच्च न्यायालय

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हाईकोर्ट रद्द कर सकता है राष्ट्रपति शासन, राष्ट्रपति भी कभी गलत हो सकते हैं, उत्‍तराखण्‍ड में राज्य में राष्ट्रपति शासन, छुट्टी के बावजूद नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई जारी

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हाईकोर्ट रद्द कर सकता है राष्ट्रपति शासन, राष्ट्रपति भी कभी गलत हो सकते हैं, उत्‍तराखण्‍ड में राज्य में राष्ट्रपति शासन, छुट्टी के बावजूद नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई जारी

देहरादून| उत्तराखंड में लागू राष्ट्रपति शासन पर नैनीताल उच्च न्यायालय ने बुधवार को कड़ा रुख अख्तियार किया। न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रपति कोई राजा नहीं है, और गलती उनसे भी हो सकती है। पीठ ने कहा, “पूर्ण शक्ति किसी को भी भ्रष्ट कर सकती है और राष्ट्रपति भी गलत हो सकते हैं। ऐसे में उनके फैसलों की समीक्षा हो सकती है।” पीठ ने कहा कि सभी न्यायालयों के आदेशों की न्यायिक समीक्षा का अधिकार देश के न्यायालयों के पास है। याचिकाकर्ता पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने न्यायालय से कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के विधेयक स्वीकृत कहने और राज्यपाल के विवादित कहने से राष्ट्रपति शासन नहीं लगाया जा सकता।

उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन

उच्च न्यायालय में केंद्र सरकार की ओर से पेश सहायक महाधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा कि गोपनीय दस्तावेजों के अनुसार नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट द्वारा राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा गया था कि 27 विधायकों ने सदन में शक्ति परीक्षण की मांग की थी, जबकि नौ बागी विधायकों का नाम उसमें नहीं था। मेहता ने कहा कि 18 मार्च, 2016 की रात 11.30 बजे अजय भट्ट ने 35 विधायकों के साथ राजभवन में राज्यपाल को पत्र देकर वित्त विधेयक गिरने का हवाला देकर स्थितियों से अवगत कराया था। उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक गिरने के बावजूद विधानसभा अध्यक्ष द्वारा विधेयक को पारित बताकर संविधान का मजाक उड़ाया गया।

सुनवाई के दौरान न्यायालय ने केंद्र सरकार के अधिवक्ता से पूछा कि उनके द्वारा दिए गए गोपनीय दस्तावेजों पर न्यायालय में चर्चा हो सकती है क्या? न्यायालय ने यह भी पूछा कि क्या उस दस्तावेज का जिक्र आदेश में किया जा सकता है? इस पर हरीश रावत के अधिवक्ता ने कहा कि कर्नाटक के एस.आर. बोम्मई मामले में गोपनीय दस्तावेज का जिक्र किया गया है। इसके बाद न्यायालय ने फिर पूछा कि मंत्रिमंडल के उस निर्णय को सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा सकता? न्यायालय के इस सवाल पर मेहता ने कहा कि इस पर चर्चा की जा सकती है।

नेशनल

पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में बोले अमित शाह, पीओके भारत का है और हम इसे लेकर रहेंगे

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श्रीरामपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के हुगली के श्रीरामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और ममता बनर्जी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ये पीओके भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी, कांग्रेस-सिंडिकेट कहती है कि धारा 370 को मत हटाओ। मैंने संसद में पूछा कि क्यों न हटाएं तो उन्होंने कहा कि खून की नदियां बह जाएंगी। 5 साल हो गए खून कि नदियां छोड़ो किसी की कंकड़ चलाने की हिम्मत नहीं है। जब INDI गठबंधन का शासन था तो हमारे कश्मीर में हड़तालें होती थीं। आज पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हड़ताल होती है। पहले कश्मीर में आजादी के नारे लगते थे, अब पाक अधिकृत कश्मीर में नारेबाजी होती है। राहुल गांधी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ममता बनर्जी आपको डरना है तो डरते रहिए लेकिन मैं आज श्रीरामपुर की धरती से कहता हूं कि ये पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा आने वाले चुनाव में आप सभी वोट डालने वाले हैं। इस चुनाव में एक ओर परिवारवादी पार्टियां हैं जिसमें ममता बनर्जी अपने भतीजे को, शरद पवार अपनी बेटी को, उद्धव ठाकरे अपने बेटे को, स्टालिन अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और सोनिया गांधी, राहुल बाबा को पीएम बनाना चाहती हैं। वहीं दूसरी ओर गरीब चाय वाले के घर में जन्में इस देश के महान नेता नरेन्द्र मोदी जी हैं।

नरेन्द्र मोदी जी ने बंगाल के विकास के लिए ढेर सारे कार्य किए हैं। मैं ममता दीदी से पूछना चाहता हूं कि 10 साल तक आपके लोग सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे, लेकिन सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार ने बंगाल के विकास के लिए क्या किया। उनकी सरकार ने 10 साल में बंगाल के विकास के लिए मात्र 2 लाख करोड़ रुपये दिए। जबकि मोदी जी ने 10 साल में 9 लाख, 25 हजार करोड़ रुपये देने का काम किया।

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