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उत्तर प्रदेश

उप्र निकाय चुनाव भाजपा के लिए अग्निपरीक्षा, 2024 से पूर्व लोकप्रियता की कसौटी

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up bjp leaders in UP local body elections

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लखनऊ। उप्र में नगरीय निकाय चुनाव की अधिसूचना के साथ ही चुनावी बिसात बिछ गई है। सबसे ज्यादा हलचल सत्तारूढ़ भाजपा खेमे में है भाजपा के लिए निकाय चुनाव 2024 के लोकसभा चुनाव का लिटमस टेस्ट होंगे। लिहाजा पार्टी निकाय चुनाव की कसौटी पर ही लोकसभा चुनाव की जमीन तैयार करेगी।

2017 के नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा ने 16 में से 14 नगर निगम, 198 नगर पालिका परिषद में से 70 नगर पालिका परिषद, 438 नगर पंचायतों में से 100 नगर पंचायतों में कब्जा जमाया था। पार्टी ने इस बार सभी 17 नगर निगमों में परचम फहराने का लक्ष्य रखा है। साथ ही जिला मुख्यालयों सहित सभी बड़ी नगर पालिका परिषद और अधिकांश नगर पंचायतों पर काबिज होने का लक्ष्य रखा है।

ऐसे में पार्टी के लिए नगर निगम में 2017 का रिकार्ड तोड़ना, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में पहले से अच्छा प्रदर्शन करना बड़ी चुनौती है। इस चुनाव में 110 नई नगर पंचायतों का गठन हुआ है। वहीं 127 नगर पंचायतों और नगर पालिका परिषदों का विस्तार हुआ है। ऐसे में निकाय चुनाव भले ही कहने को शहरी क्षेत्र में हो लेकिन इनके नतीजे का संदेश गांव और शहर दोनों तरफ से आएगा।

जानकार मानते हैं कि प्रदेश में लोकसभा चुनाव से ठीक एक वर्ष पहले निकाय चुनाव कराए जा रहे हैं। ऐसे में निकाय चुनाव में प्रत्याशी चयन से लेकर चुनाव प्रबंधन और चुनाव परिणाम के नतीजे लोकसभा चुनाव तक को प्रभावित करेंगे। यही वजह है कि सरकार और संगठन ने हर मोर्चे पर किलेबंदी की है। सरकार ने चुनाव की अधिसूचना से पहले जिलों में हजारों करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं की सौगात दी है।

वहीं संगठन ने जिलों में पिछड़े, दलित, महिला, युवा, किसान, व्यापारी वर्ग के बीच किसी न किसी कार्यक्रम के जरिए विकास और राष्ट्रवाद के मुद्दे पहुंचाए हैं। सरकार और संगठन का प्रयास है कि निकाय चुनाव में जीत से ऐसा माहौल तैयार किया जाए जो 2024 की राह भी आसान करने में मददगार हो।

पिछड़ों में पैठ पर भी खरा उतरना होगा

समाजवादी पार्टी के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य बीते दो महीने से कभी रामचरित मानस तो कभी पुराने नारों की आड़ में पिछड़े व दलित मतदाताओं को भाजपा के खिलाफ करने में जुटे हैं। निकाय चुनाव से पहले ओबीसी आरक्षण को लेकर उठे विवाद में सपा सहित अन्य विपक्षी दलों ने भाजपा को कटघरे में खड़ा किया।

भाजपा 2014 के लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक सभी चुनावों, सरका व संगठन में पिछड़ों को प्राथमिकता देती रही है। पिछड़े वर्ग ने भी भाजपा को एक तरफा समर्थन देकर डबल इंजन की सरकार को बरकरार रखने में अहम भूमिका अदा की है।

उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, धर्मपाल सिंह, चौधरी लक्ष्मीनारायण सहित पिछड़े वर्ग के कई मंत्री, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, महामंत्री अमरपाल मौर्य, सुरेंद्र नागर, सत्यपाल सैनी सहित पिछड़े वर्ग के भी दिग्गज नेता हैं।

भाजपा ने पिछड़े वर्ग में पैठ बनाने के लिए पिछड़ों को सामान्य वर्ग की सीटों पर भी टिकट देकर निर्धारित 27 फीसदी से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ाने की रणनीति बनाई है। पार्टी किसी भी कीमत पर पिछड़े वोट बैंक में सेंधमारी नहीं चाहती है। भाजपा को निकाय चुनाव में पिछड़े वोट बैंक के बीच पकड़ की कसौटी पर भी खरा उतरना होगा।

निकाय से पहले दलितों के बीच लगाया पूरा दम

भाजपा ने तय रणनीति के तहत निकाय चुनाव से पहले दलितों के बीच अपना पूरा दम लगाया है। 2017 के निकाय चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि शहरों की सरकार के चुनाव में बसपा ने भाजपा को कड़ी चुनौती दी थी।

बसपा की वर्तमान स्थिति के मद्देनजर पार्टी ने बसपा के वोट बैंक को अपनी ओर आकर्षित करने में पूरा दमखम लगाया है ताकि इसका फायदा निकाय चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक उठाया जा सके। 6-14 अप्रैल तक दलित सामाजिक न्याय सप्ताह के तहत दलितों को साधने के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। 14 अप्रैल को डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती पर कई कार्यक्रमों का आयोजन होगा।

अनुसूचित मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष विनोद सोनकर के संसदीय क्षेत्र कौशांबी में गृहमंत्री अमित शाह और सीएम योगी आदित्यनाथ ने बड़ी रैली की। वहीं भाजपा एससी मोर्चा की ओर से 14 अप्रैल से 5 मई तक दलित बस्तियों में अभियान चलाया जाएगा।

इस अभियान के तहत दलितों के बीच बताएंगे कि सपा ने पदोन्नति में आरक्षण का बिल फाड़ दिया था। कांग्रेस ने बाबा साहब को कभी उचित सम्मान नहीं दिया। बसपा सुप्रीमो मायावती भी भाजपा की मदद से ही दो बार मुख्यमंत्री बनी थी।

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उत्तर प्रदेश

गाजियाबाद में रिटायर्ड जवान ने बेटी के दोस्त की गोली मारकर की हत्या, पुलिस पूछताछ में कही ये बात

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गाजियाबाद। यूपी के गाजियाबाद में एक इंजीनियरिंग के छात्र की एक शख्स ने गोली मारकर हत्या कर दी। मिली जानकारी के मुताबिक, ये छात्र एक लड़की के साथ रिलेशनशिप में था। लड़की के पिता ने छात्र को पांच गोलियां मारीं।

मामला जिले के क्रॉसिंग रिपब्लिक इलाके का है। पुलिस उपायुक्त (ग्रामीण) विवेक चंद्र यादव ने कहा, ‘बीटेक छात्र विपुल (25) की एक रिटायर्ड सुरक्षाकर्मी ने गोली मारकर हत्या कर दी। यह घटना शुक्रवार सुबह क्रॉसिंग रिपब्लिक थानाक्षेत्र के एक फ्लैट में हुई।’

आरोपी राजेश कुमार सिंह बीएसएफ से रिटायर्ड है और वर्तमान में एक निजी सुरक्षा फर्म में कार्यरत है। अधिकारी ने कहा, ‘विपुल कथित तौर पर आरोपी की बेटी के साथ रिश्ते में था।’ अधिकारी ने कहा, ‘आरोपी रात में फ्लैट पर पहुंचा। विपुल के साथ उसकी बहस हुई जिसके बाद उसने विपुल को पांच गोलियां मार दीं।’

पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवाकर मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि आरोपी विपुल के साथ अपनी बेटी के रिश्ते के खिलाफ था।

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