Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

आध्यात्म

देश में आज है महाशिवरात्रि का महापर्व, जानिए कहां-कहां स्थित हैं शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंग

Published

on

Loading

लखनऊः आज महाशिवरात्रि पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से मनाई जा रही है। इस दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था। भोले बाबा अपने नाम की तरह ही भोले होते हैं। कोई भक्त आस्था और निश्चल मन से शिवजी की पूजा करता है और कुछ मांगता है तो उनकी मनोकामना को भोलेनाथ पूरा करते हैं। महाशिवरात्रि का पावन पर्व भगवान की आराधना का दिन होता है। इस मौके पर श्रद्धालु भोलेनाथ की पूजा अर्चना करते हैं।
शिवालयों में बेलपत्र और भांग धतूरे का भोग लगाते हैं। वैसे तो हर मंदिर में शिवलिंग होती है, जहां आप रुद्राभिषेक करते हैं। लेकिन देश में 12 ज्योतिर्लिंगों की मान्यता है। यहां भगवान शिव साक्षात आए थे और ज्योतिर्लिंग के रूप में बस गए। इस महाशिवरात्रि के मौके पर अगर आप 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना चाहते हैं तो सबसे पहले जान लीजिए कि ज्योतिर्लिंग कहां-कहां स्थित हैं और इन ज्योतिर्लिंगों की क्या विशेषताएं हैं।

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग,गुजरात

देश का पहला ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित है। अरब सागर के तट पर स्थित इस ज्योतिर्लिंग का नाम सोमनाथ ज्योतिर्लिंग है। पुराण के मुताबिक, जब चंद्रमा को प्रजापति दक्ष ने क्षय रोग का श्राप दिया तो इसी स्थान पर चंद्रमा ने श्राप से मुक्ति पाने के लिए इसी स्थान पर शिवजी की पूजा और तप किया था। कहा जाता है कि खुद चंद्र देव ने इस स्थान पर ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, आंध्र प्रदेश

दूसरा ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के कृष्णा नदी के किनारे पर श्रीशैल पर्वत पर स्थित है। आंध्र प्रदेश में स्थित इस ज्योतिर्लिंग का नाम मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के पास क्षिप्रा नदी बहती है। यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां रोजाना भस्म आरती होती है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के दो ज्योतिर्लिंग हैं। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के अलावा मालवा क्षेत्र में नर्मदा नदी के किनारे एक पर्वत  पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। अगर श्रद्धालु दूसरे तीर्थों का जल लाकर ओंकारेश्वर बाबा पर अर्पित करते हैं तो माना जाता है कि उनके सारे तीर्थ पूरे हो गए।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

Published

on

Loading

नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

Continue Reading

Trending