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आध्यात्म

चोरों ने की सारी हदें पार, मंदिर तोड़ उठा ले गए शिवलिंग

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भारत देश में भगवान में आस्था रखने वालों की तादाद करोड़ों में है। यहां धर्म और ईश्वर को ही जीवन का आधार माना जाता है। साथ ही देश में चोरी की वारदातें भी आम बात हो गई है। अब गुजरात के सूरत से एक हैरान करने वाली चोरी का मामला सामने आया है। इस खबर को सुन कर आपका भी गुस्सा भड़क सकता है। जी हां, सूरत में भगवान शिव की मूर्ति चुराने का मामला सामने आया है।

पुलिस ने मंदिर से शिवलिंग चोरी होने का मामला दर्ज किया। आरोप है कि यह काम कुछ बिल्डरों का है, जिन्होंने मंदिर तोड़कर शिवलिंग चुराया है। पुलिस आरोपियों के खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई कर रही है। मामला सूरत के गोड़ादरा इलाके का है। जहां नीलकंठ सोसाइटी में रहने वाले लोगों ने खाली पड़े कॉमन प्लॉट में भगवान शिव के मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया था। लेकिन सोसाइटीका निर्माण करने वाले बिल्डर इस मंदिर निर्माण के विरोध में थे।

इसी के चलते गुरुवार की रात अंधेरे में बिल्डर और उनके लोग वहां पहुंचे और निर्माणाधीन मंदिर की दीवारें तोड़ डाली। जाते समय वे मंदिर से शिवलिंग भी उठाकर ले गए। शुक्रवार की सुबह जब लोगों को इस मामले का पता चला तो वे सब विरोध प्रदर्शन करने लगे। मामले की जानकारी मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची। लोगों को समझाने बुझाने का प्रयास किया। लेकिन लोग सुनने को तैयार नहीं थे। इसी बीच कई हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता भी नीलकंठ सोसाइटी में जा पहुंचे और गुस्से का इजहार किया।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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