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आध्यात्म

राम मंदिर में नहीं रुक रही श्रद्धालुओं की भीड़, सुगम दर्शन हेतु लगाए जाएंगे संकेतक; जाने पूरी व्यवस्था

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The crowd of devotees is not stopping in Ram temple ayodhya

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अयोध्या। राम मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के सुविधाजनक दर्शन की व्यवस्था के लिए कई परिवर्तन किए जा रहे हैं। मंदिर में प्रवेश करते ही श्रद्धालु किस तरह आगे बढ़ें और कहां से मुड़कर मुख्य मंदिर तक पहुंचेंगे यह समझाने के लिए संकेतक लगेंगे।

कमिश्नर गौरव दयाल की अध्यक्षता में प्रशासन और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की समन्वय समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया। कमिश्नर ने बताया कि निर्माण कंपनी लार्सेन टुब्रो को श्रीराम जन्मभूमि परिसर में दर्शन मार्गों व निकास मार्गों के अलावा मंदिर परिसर में बने शौचालयों पर जगह-जगह संकेतक लगाने के निर्देश दिए हैं।

मंदिर परिसर में लगी सुरक्षा एजेंसी को और अधिक मैनपॉवर की तैनाती किए जाने के साथ ही उन्हें प्रशिक्षित करने की भी सलाह दी गई है। मंदिर परिसर की साफ सफाई व्यवस्था बेहतर रखने के लिए ट्रस्ट की ओर से तैनात एजेंसी को भी सफाई व्यवस्था बेहतर बनाने के निर्देश दिए गए हैं।

गौरव दयाल ने बताया कि पब्लिक फैसिलिटी सेंटर (PFC) में आने वाले दर्शनार्थियों के सामान, जूते-चप्पल रखने की व्यवस्था और बेहतर करने के सुझाव दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि पीएफसी परिसर में पर्याप्त होल्डिंग एरिया विकसित किया जा रहा है।

लगाए जाएंगे AI बेस्ड कैमरे

आईजी प्रवीण कुमार ने बताया कि सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर के सभी प्रवेश व निकास द्वारों पर अर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) बेस्ड कैमरे लगाए जाएंगे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों ने इस पर सहमति जताते हुए एलऐंडटी को जरूरी निर्देश दिए हैं।

अधिकारियों ने कहा कि आगामी दिनों में भगवान रामलला के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की संख्या में और अधिक बढ़ोतरी होगी। ऐसे में ट्रस्ट को उसी के हिसाब से बैरिकेड बढ़ाने के सुझाव दिए गए हैं।

बैठक के पहले अधिकारियों ने मंदिर परिसर के विभिन्न स्थलों, दर्शन मार्गों, निकास बिंदुओं, पीएफसी सहित जन्मभूमि पथ, भक्तिपथ व शृंगारहाट से बिड़ला धर्मशाला तक रामपथ पर पैदल चलकर निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान भक्ति पथ व रामपथ के फुटपाथ पर अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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