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आध्यात्म

सोमवती अमावस्या आज: 27 साल में पहली बार बना विशेष संयोग, इस तरह करें पूजा

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आज सोमवती अमावस्या है। सोमवार को पडऩे वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। यह अमावस्या हिन्दू धर्म में विशेष धार्मिक महत्व रखती है। इस अवसर पर जहां हजारों श्रद्धालु शिप्रा, हरिद्वार में डुबकी लगाएंगे, वहीं देश के सभी मंदिरों में भी आस्थावानों का तांता लगेगा।

आज यानी बैशाख के कृष्ण पक्ष को अश्विन नक्षत्र में सूर्य और चंद्रमा एक साथ आ रहे हैं। ये एक विशेष संयोग बन रहा है। जो करीब 27 साल पहले बना था।

इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत करती है। कहा जाता है इस दिन नदियों में स्नान करने से सभी पाप खत्म हो जाते हैं और व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। अश्विन नक्षत्र के कारण पितृ दोष और अन्य दोषों से ज्यादा आसानी से मुक्ति मिलेगी।

ऐसे करें पूजा
स्ना के बाद रेशम के वस्त्र पहनकर भगवान भोलेनाथ को दुग्ध स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें अक्षत, चंदन, फल आदि चढ़ाएं। पीपल के पेड़ पर भी यह सारी चीजें अर्पित करते हुए 108 बार परिक्रमा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन मौन व्रत करने पर पुण्य मिलता है।

धन-धान्य व सुख सम्पदा पाने के लिए हर अमावस्या को छोटा सा आहुति प्रयोग करें। जिसमें काले तिल, जौं, चावल, गाय का घी, चंदन पाउडर, गुड़, देशी कपूर, चंदन या कण्डा का प्रयोग कर सकते हैं। इसके बाद सभी चीजों का मिश्रण बनाकर हवन कुंड में देवताओं का ध्यान करते हुए आहुति डालें।

शास्त्रों में कहा गया है कि माघ, पौष के महीने में नदी या सरोवर में प्रात: स्नान कर भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से अमोघ फल प्राप्त होता है। खासकर अमावस्या और सोमवती अमावस्या का यह पुण्य को कई हजार गुना बढ़ जाता है।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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