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ये छोटे-छोटे ब्यूटी टिप्स अपना कर मिनटों में कंपलीट करें अपने मेकअप
इस भागदौड़ भरी जिदंगी में महिलाओं को ऑफिस या किसी फंक्शन में जाते समय मेकअप करने का समय नहीं मिल पाता। ऐसे में महिलाएं जल्दबाजी में मेकअप के दौरान कई चीजें भूल जाती हैं, जिसका असर उनकी पर्सनैलिटी पर पड़ता है। लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसे इमरजेंसी ब्यूटी ट्रिक्स के बारे में बताएंगे, जो मिनटों में आपको परफेक्ट दिखाने में मदद करेंगे। अगर आप भी सुबह ऑफिस जाने में लेट हो जाती है तो इन ट्रिक्स को फॉलो करना न भूलें –
डल नेल्स – अगर आपके नेल्स डल लग रहे हैं तो उसपर थोड़ा-सा हेयरस्प्रे छिड़कें। इससे आपके नाखून शाइन करेंगे और उन्हें फ्रैश लुक मिलेगा।
पिंपल्स – अगर पार्टी या फंक्शन में जाने से पहले आपके चेहरे पर पिंपल्स निकल आया है तो परेशान न हों। इन जिद्दी पिंपल्स से छुटकारा पाने के लिए ओटीसी हाइड्रोकार्टिसोन क्रीम को q-टिप से पिंपल पर लगाएं।
बहुत ज्यादा मस्कारा लगा लिया – आंखों पर ज्यादा मस्कारा लगाने से पलकें चिपकी-चिपकी लगती है। अब इसे साफ करेंगी तो सारा मेकअप खराब हो जाएगा, ऐसे में क्या किया जाए? इस समस्या को दूर करने के लिए टूथपिक से आईलैशेज को स्प्रेड करें। इस ट्रिक से आपकी पलकें नार्मल हो जाएगी।
लिपस्टिक का दांतों पर लगना – जब भी आप डार्क लिपस्टिक लगाती है तो आपको इस बात की चिंता रहती है कि कहीं वह दांतों पर न लग जाए। ऐसे में इससे बचने के लिए लिपस्टिक लगाने के बाद अपनी ऊंगली को मुंह में इस तरह डाले कि होंठ उसके चारों तरफ टच हो। इस तरह से एक्स्ट्रा लिपस्टिक जो आपके दांतों पर लगती है वह ऊंगली पर आ जाएगी।
ड्रेस का चिपकना – कभी-कभार ड्रैस या कुर्ता बॉडी से चिपकने लगता है जो बड़ा अजीब और बुरा लगता है। इस प्रॉब्लम को दूर करने के लिए जहां-जहां ड्रैस चिपक रहा हो वहां थोड़ा पानी छिड़क दें। आपकी परेशानी दूर हो जाएगी।
सनस्क्रीन लगाना भूल गईं – अगर सुबह की भागदौड़ में आप सनस्क्रीन लगाना भूल जाती हैं तो इमरजेंसी के लिए अपने पास सनस्क्रीन वाइप्स रखें। इससे आप आसानी से अपनी स्किन को साफ करके उन्हें सुरक्षा दे सकती हैं। इसलिए हैंडी वाइप्स को अपने हैंडबैग में जरूर रखें।
नेल पेंट को सुखाने का झंझट – ऑफिस, किसी पार्टी या फंक्शन में जाते समय सबसे बड़ी प्रॉब्लम नेल पेंट सुखाने की होती है। ऐसे में इसे परेशानी से छुटकारा पाने के लिए नेल पेंट लगाने के बाद हाथों को ठंडे पानी में 2-3 मिनट के लिए डुबोएं। आपका नेल पेंट सूख जाएगा।
लिपस्टिक का टूट जाना – अगर आपकी पसंदीदा लिपस्टिक टूट गई है तो परेशान न हो। टूयब में बची लिपस्टिक के हिस्से को लाइटर से गर्म करके टूटे टुकड़े को उस पर रखकर हल्के हाथ से दबाएं। इसके बाद इसे 15-30 मिनट के लिए फ्रिज में रख दें। आपकी लिपस्टिक फिर से जुड़ जाएगी।
पिंपल की रेडनेस –पिंपल्स की रेडनेस को दूर करने के लिए कॉटन बॉल में आई ड्रॉप लेकर रेड स्पॉट पर लगाएं। इसके बाद उसके उपर फाउंडेशन और कंसीलर लगा लें। इससे आपके चेहरे पर पिंपल्स की रोडनेस नहीं दिखाई देगी।
सूजी हुई आंखें – सुबह सोकर उठने पर आंखें सूजी हुई लगना आम बात है लेकिन कई बात चेहरे धोने पर भी यह सूजन नहीं जाती। ऐसे में आप ग्रीन टी के 1 बैग्स को 20-30 सेकंड गर्म करके पानी में डालकर 10-15 मिनट के लिए फ्रीजर में रख दें। फिर इन्हें 5 मिनट के लिए आंखों पर रखें। इससे सूजी हुई आंखों की प्रॉब्लम दूर हो जाएगी।
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लोकसभा के शोले और रहीम चाचा की खामोशी
सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ
हिन्दी सिनेमा की कालजई फिल्म शोले के रहीम चाचा का किरदार आपको जरूर याद होगा। उनका एक डायलॉग था जिसमें वो कहते है “इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई” उस वक्त पूरे रामगढ़ में किसी के पास इसका जवाब नहीं था, कमोवेश ठीक वैसे ही हालात इस वक्त लोकसभा चुनाव में नजर आ रहे हैं। लोकसभा के चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके हैं पर पूरे देश में कहीं भी ऐसा नजर नहीं आता कि हम अगले पाँच साल के लिए अपने नुमाइंदे चुनने जा रहे हैं। एक अजीब खामोशी नुमायाँ है। गांव, कस्बों और शहरों तक में होर्डिंग और पोस्टर नजर नहीं आ रहे हैं और न ही कानफोडू लाऊडस्पीकर पर वोट मांगने वालों का शोर सुनाई दे रहा है, चाय की टपरी और पान के खोखों पर जमा होने वाली भीड़ अपने होंठों को सिले हुए है।
एक वक्त था जब हम लोग चाय की टपरी, पान की दुकान और रास्तों के ढाबों से देश का मूड भांप लेते थे। मतदाताओं के मन में क्या चल रहा है इसका अंदाज लगाना आसान था। लेकिन आज स्थिति उलट है इन जगहों पर खड़ा आम आदमी आपसे ही उल्टा पूछ लेता है ‘और क्या चल रहा है’ इंसान-इंसान के बीच अविश्वास की खाई इतनी गहरी हो गई है कि वो पब्लिक प्लेस पर अब राजनीतिक बात करने से गुरेज करने लगा है। वोटर अपने मन की बात जुबान पर नहीं लाना चाहता हैं क्यूंकी अब वो रेडियो पर ‘मोदी जी’ के मन की बात सुन रहा है और अपने मन की बात अपने मन में रखे हुए है। उसे डर है और ये डर मिश्रित चुप्पी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा लक्षण नहीं है।
लोकसभा चुनाव के पहले चरण की तरह दूसरे चरण में भी वोटिंग 2019 के मुकाबले कम हुई है। पहले चरण में 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों पर 64 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में उन सीटों पर भी 70 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ था। ऐसे ही इस बार दूसरे चरण में 13 राज्यों की 88 लोकसभा सीटों पर करीब 63 फीसदी वोट पड़े। यह 2019 के लोकसभा चुनाव में 70.09% मतदान के मुकाबले काफी कम था। यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में वोटिंग उम्मीद से काफी कम रही। यूपी में 54.85%, बिहार में 55.08% , महाराष्ट्र में 57.83% , एमपी में 57.88 % वोटिंग हुई। सबसे अधिक वोट त्रिपुरा, मणिपुर, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में पड़े। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में सात मई को वोटिंग है। इसमें 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 95 सीट पर मतदान होगा, जिसके लिए 1351 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।
जब 7 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून को तीसरे, चौथे, पांचवे, छठे और सातवें चरण का मतदान होगा तो इस दौरान देश के अधिकतर हिस्सों में गर्मी के साथ लू का असर दिखाई देगा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान लगभग 72% निर्वाचन क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 35°C या इससे अधिक हो सकता है। विशेष रूप से, 59 सीटों पर 40-42 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान का सामना करना पड़ सकता है। जबकि 194 सीटों पर 37.5-से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान देखा जा सकता है। लेकिन इस गर्मी के बीच क्षेत्रीय दलों के नेता काफी तेजी से अपने इलाके के मतदाताओं पर पकड़ बना रहे हैं और उन सवालों को उठा रहे हैं जिनसे देश का किसान, मजदूर और नौजवान चिंतित है। इसलिए उनके प्रति आम जनता की अपेक्षाएं बढ़ी हैं इसलिए विपक्षी गठबंधन के नेताओं की रैलियों में भारी भीड़ आ रही है। जबकि भाजपा की रैलियों का रंग उसके मुकाबले फीका नजर या रहा है।
हालांकि रैली में आने वाली भीड़ जीत का पैमाना नहीं होती इसलिए कुछ कहा नहीं जा सकता। हर दल का अपना एक समर्पित काडर होता है। जबकि आज काडर के नाम पर ज्यादातर दलों के पास सत्ता के छत्ते से चिपकी रहने वाली मधुमक्खी ही ज्यादा नजर या रहीं है ये वो लोग हैं जिन्हें सत्ता की दलाली करने के अवसरों की तलाश होती है। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ जिसके पास काडर है कार्यकर्ता हैं वो भी खामोश नजर आ रहा है। बहरहाल लगातार कम होते मतदान ने नेताओं की धुकधुकी बढ़ा रखी है। सत्ता पक्ष मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए परेशान है तो विपक्ष कम प्रतिशत को अपने पक्ष में मानकर मुंगेरीलाल के सपने बुनने में मगन है।
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