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आध्यात्म

19 मई को है शनि जयंती, इन पांच राशि के जातकों के लिए है बेहद शुभ

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Shani Jayanti is on May 19

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नई दिल्ली। न्‍याय के देवता शनि देव हमेशा ही बुरा करते हों, यह एक भ्रम है। अच्‍छे कर्म करके शनि देव को प्रसन्‍न किया जा सकता है। शनि को प्रसन्‍न करने के लिए शनि जयंती का दिन सर्वोत्‍तम माना गया है। ज्‍येष्‍ठ मास की अमावस्‍या को शनि जयंती मनाई जाती है।

यदि अमावस्‍या शनिवार को पड़े तो उसे शनि अमावस्‍या कहते हैं। इस बार शनि जयंती 19 मई को पड़ रही है और यह 5 राशि वालों के लिए विशेष शुभकारी है।

इन 5 राशियों के लिए शुभ है शनि जयंती

वृषभ राशि

वृषभ राशि के स्‍वामी शुक्र हैं और शुक्र शनि के मित्र ग्रह हैं। इसलिए शनि वृषभ राशि वालों पर हमेशा मेहरबान रहते हैं। शनि जयंती वृषभ राशि वालों को शुभ फल देगी। इन जातकों को धन, पद, मान-सम्‍मान सब मिलेगा। जीवन में खुशियों का आगमन होगा।

तुला राशि

तुला राशि के स्‍वामी भी शुक्र हैं और इस राशि में शनि उच्‍च अवस्‍थान में रहते हैं। लिहाजा तुला राशि के जातकों पर भी शनि देव की विशेष कृपा रहती है। ये जातक गरीब-जरूरतमंदों की मदद करें। जानवरों को भोजन दें तो इन्‍हें शनि की कृपा से अपार सफलता, पैसा, प्रसिद्धि और खुशी मिलेगी।

कर्क राशि

कर्क राशि वाले जातकों पर भी शनि देव मेहरबान रहेंगे। उन्‍हें माता-पिता से सहयोग मिलेगा। कोई अहम काम पूरा होगा। करियर में उन्‍नति होगी। बड़ी सफलता दिल खुश कर देगी। धन लाभ के भी योग हैं।

कुंभ राशि

कुंभ राशि के स्वामी शनि हैं। अभी शनि कुंभ राशि में ही हैं और इस राशि पर साढ़े साती चल रही है। शनि जयंती कुंभ राशि वालों के लिए राहत लाएगी। धन लाभ होगा। मेहनत का फल, प्‍यार और सम्‍मान मिलेगा।

मकर राशि

शनि मकर राशि के भी स्वामी हैं और इस राशि के जातकों पर कृपा करते हैं। शनि के प्रभाव से ही मकर राशि वालों में नेतृत्‍व क्षमता अच्‍छी रहती है। शनि जयंती नौकरी-व्‍यापार में तरक्‍की देगा। राजनीति में सक्रिय लोगों को लाभ होगा।

डिस्क्लेमर: उपरोक्त जानकारी के पूर्ण सत्य होने का हमारा दावा नहीं है। संबंधित विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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