प्रादेशिक
यूपी में धार्मिक पर्यटन को दिया जा रहा बढ़ावा, स्थानीय लोगों को मिल रहा रोजगार
लखनऊ। योगी सरकार अपने पहले कार्यकाल से ही आस्था के सम्मान के साथ ही धार्मिक पर्यटन को विस्तार दे रही है। इससे आस्था के केंद्र से जुड़े क्षेत्रों के विकास की नई इबारत लिखी जा रही है। धार्मिक पर्यटन के विकास से न सिर्फ क्षेत्र के बल्कि आसपास के लोगों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। साथ ही क्षेत्र के आधारभूत ढांचे का भी तेजी से विकास हो रहा है। योगी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में इस योजना को विस्तार देगी। योगी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में ही धार्मिक क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता पर रखा। अयोध्या, काशी और मथुरा सहित अन्य धार्मिक स्थलों के विकास को तेजी बढ़ाया।
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। साथ ही अयोध्या में आधारभूत ढांचे का विकास भी तेजी से हो रहा है। अयोध्या में 138 करोड़ की 17 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। 54 परियोजनाओं में 3126 करोड़ की लागत से काम युद्धस्तर पर चल रहा है। 84 कोसी परिक्रमा मार्ग पर पड़ने वाले तीर्थस्थलों का विकास किया जा रहा है। अयोध्या को वैदिक सिटी के रूप में विकसित करने की योजना है। इसके लिए पंचकोसी, चौदहकोसी और चैरासीकोसी परिक्रमा के लिए मार्ग का निर्माण किया जा रहा है। हवाई अड्डे का निर्माण, सड़कों का निर्माण व चौड़ीकरण और बाजारों को व्यवस्थित किया जा रहा है ताकि पर्यटन को सुगम बनाया जा सके।
योगी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के पांच वर्षों में ही प्रदेश में पर्यटन के विकास के जो कार्य किए हैं, वह आजादी के बाद से 2017 तक कोई सरकार नहीं कर पाई। वाराणसी धार्मिक आस्था का बहुत बड़ा केंद्र होते हुए भी अल्प सुविधाओं के कारण पर्यटन के लिहाज से उस मुकाम को हासिल नहीं कर पाया था, जो उसे करना चाहिए था। मुख्यमंत्री योगी के सत्ता संभालने के पांच साल के भीतर ही 600 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत से श्री काशी विश्वनाथ धाम का निर्माण कराया गया। पर्यटकों को लुभाने के लिए क्रूज सेवा का संचालन शुरू हुआ। साथ ही 70 किलोमीटर लंबे पंचकोसी मार्ग को लेकर नई विकास परियोजना तैयार की गई। इससे अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर काशी की पहचान और पुख्ता हुई है। देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों की संख्या में वृद्धि लगातार जारी है।
प्रदेश सरकार की शुरू से ही यह मंशा रही है कि ब्रज क्षेत्र की पवित्रता को बनाए रखते हुए इसे देश-दुनिया तक पहुंचाया जाए। योगी सरकार ब्रज क्षेत्र को विश्वस्तर का पर्यटन स्थल बनाने के लिए लगातार प्रयत्नशील है। इसके लिए ब्रज तीर्थ विकास परिषद का गठन किया गया है। मथुरा में कृष्णोत्सव और बरसाना में रंगोत्सव का भव्य आयोजन हो रहा है। साथ ही ब्रज क्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़े प्रमुख स्थलों का पर्यटन की दृष्टि से विकास किया जा रहा है। बरसाना में रोप वे निर्माण हो रहा है।
योगी सरकार ने 2017 में ही वृन्दावन, नंदगांव, गोवर्धन, गोकुल, बलदेव और राधाकुंड तीर्थ क्षेत्र घोषित कर दिया था। वृन्दावन में यमुना के कालीदह घाट के निकट नदी के आगम स्थल क्षेत्र में देश का सबसे बड़ा सिटी फॉरेस्ट विकसित किया जा रहा है, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होगा। वृंदावन में पर्यटक सुविधा केन्द्र, गीता शोध संस्थान और ऑडीटोरियम, अन्नपूर्णा भवन का निर्माण, मथुरा में जुबली पार्क समेत बरसाना और नंदगांव में भी पर्यटकों की सुविधा के विकास कार्य किए जा रहे हैं।
योगी सरकार ने न केवल धार्मिक स्थलों को बल्कि पूरे प्रदेश को पर्यटन के अन्तरराष्ट्रीय मानचित्र पर एक सशक्त पहचान दिलाई है। साथ ही धार्मिक स्थलों और आसपास के क्षेत्र के विकास को नई गति भी मिली है और रोजगार-व्यापार के नए अवसर सुलभ हो रहे हैं। योगी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में भी धार्मिक क्षेत्र के विकास को पर्यटन के जोड़कर आगे बढ़ाने के लिए संकल्पित है।
उत्तर प्रदेश
योगी कैबिनेट ने दी नई स्थानांतरण नीति 2024-25 को मंजूरी
लखनऊ। योगी सरकार ने मंगलवार को 2024-25 के लिए नई स्थानांतरण नीति को मंजूरी दे दी है। इस नीति के तहत समूह क और ख के उन अधिकारियों का स्थानांतरण किया जा सकेगा, जिन्होंने जनपद में 3 वर्ष और मंडल में 7 वर्ष पूर्ण कर लिए हैं। वहीं समूह ग और घ में सबसे पुराने अधिकारियों का स्थानांतरण किया जाएगा। समूह क और ख के अधिकारियों के स्थानांतरण के लिए अधिकतम 20 प्रतिशत तो वहीं समूह ग और घ के लिए अधिकतम 10 प्रतिशत की सीमा रखी गई है। इस स्थानांतरण नीति के तहत सभी स्थानांतरण आगामी 30 जून तक किए जाने हैं। मंगलवार को सीएम योगी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक कुल 42 प्रस्ताव रखे गए, जिनमें 41 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
सीमा से अधिक स्थानांतरण के लिए लेनी होगी मंजूरी
कैबिनेट बैठक में पारित प्रस्तावों के विषय में जानकारी देते हुए वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि कैबिनेट ने स्थानांतरण नीति 2024-25 को मंजूरी प्रदान कर दी है। इस नीति में पिछले वर्ष की नीति के प्राविधानों का अनुसरण किया गया है। इसके तहत समूह क और ख के वो अधिकारी जिन्होंने अपने सेवाकाल में मंडल में 7 वर्ष और जनपद में 3 वर्ष पूरे कर लिए हों वो स्थानांतरण नीति के अंतर्गत आएंगे। इसके साथ ही समूह क और ख में स्थानांतरण संवर्ग वार अधिकारियों की संख्या अधिकतम 20 प्रतिशत होगी और समूह ग और घ के लिए अधिकतम सीमा 10 प्रतिशत रखी गई है। उन्होंने बताया कि समूह ग और घ के लिए जो व्यवस्था की गई है उसके अनुसार सबसे पुराने अधिकारियों का पहले स्थानांतरण किया जाएगा। यदि 10 प्रतिशत से ऊपर स्थानांतरण करना होगा तो इसके लिए मंत्री जी की अनुमति आवश्यक होगी। वहीं, यदि समूह क और ख में 20 प्रतिशत से अधिक स्थानांतरण करने की आवश्यकता होगी तो उसकी अनुमति मुख्यमंत्री जी से लेना आवश्यक होगा।
मानव संपदा के माध्यम से डिजिटाइज होगा स्थानांतरण
उन्होंने बताया कि समूह ग और घ में स्थानांतरण को पूरी तरह मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से पूर्ण किया जाएगा। मानव संपदा की जो व्यवस्था शुरू की गई है उसके अंतर्गत स्थानांतरण के बाद कार्यभार मुक्ति और ग्रहण करने की व्यवस्था ऑनलाइन ही की जा सकेगी। इससे अधिकारियों की सर्विस बुक और सैलरी को डिजिटाइज किया जा सकेगा। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि प्रदेश के 8 आकांक्षी जिलों और 34 जिलों के 100 आकांक्षी विकासखंडों के लिए पहले से जो व्यवस्था चली आ रही है, उसके अंतर्गत वहां रिक्त पड़े पदों को भरने की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।
एक दिन पूर्व रिटायर होने वाले कर्मचारियों को मिलेगा वेतन वृद्धि का लाभ
कैबिनेट ने प्रदेश के लाखों सरकारी कर्मचारियों को बड़ी सौगात दी है। इसके अनुसार अब 30 जून और 31 दिसंबर को रिटायर होने वाले सरकारी कर्मचारियों को एक जुलाई और एक जनवरी से प्रस्तावित वेतन वृद्धि का लाभ मिल सकेगा। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि अभी तक जो व्यवस्था थी उसके अनुसार 30 जून और 31 दिसंबर को रिटायर होने वाले कर्मचारियों को एक जुलाई या एक जनवरी को प्रस्तावित वेतन वृद्धि का लाभ नहीं मिल पाता था। हालांकि अब कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दे दी है। इससे कर्मचारियों को वेतन वृद्धि का लाभ उनकी पेंशन और ग्रेचुयुटी में मिल सकेगा। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के बाद ज्यूडिशियल कर्मचारियों को पहले ही इसका लाभ दिया जा चुका है और अब सरकारी कर्मचारी भी इससे लाभान्वित हो सकेंगे।
विश्वविद्यालयों के नामों में संशोधन, 2 निजी विश्वविद्यायलों को एलओआई
योगी सरकार ने प्रदेश के 5 विश्वविद्यालयों के नामों में भी मामूली संशोधन किया गया है। स्वीकृत प्रस्ताव के अनुसार इन विश्वविद्यालयों के नाम से राज्य शब्द को हटाया गया है। महाराज सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय आजमगढ़ का नाम अब महाराज सुहेलदेव विश्वविद्यालय आजमगढ़ होगा। इसी तरह मां शाकुम्भरी देवी राज्य विश्वविद्यालय सहारनपुर, मां विंध्यवासिनी राज्य विश्वविद्यालय मीरजापुर, मां पाटेश्वरी देवी राज्य विश्वविद्यालय बलरामपुर से भी राज्य शब्द को हटाने को मंजूरी दी गई है। वहीं, उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय मुरादाबाद का नाम गुरु जंबेश्वर विश्वविद्यालय मुरादाबाद करने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि प्रदेश सरकार उच्च शिक्षा का विकास करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि प्रदेश के छात्र अपने ही प्रदेश में उच्च शिक्षा गृहण कर सकें। इसके लिए सरकारी विश्वविद्यालयों के साथ ही प्राइवेट विश्वविद्यालय को भी प्रमोट किया जा रहा है। इसी क्रम में दो नए निजी विश्वविद्यालयों को लेटर ऑफ इंटेंट देने का प्रस्ताव पारित हुआ है। इसमें एचआरआईटी गाजियाबाद और दूसरा फ्यूचर विश्वविद्यालय बरेली है। इन दोनों ने अपने सभी मानक पूरे कर लिए हैं।
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