अन्तर्राष्ट्रीय
मई 2017 में सोमालिया के शरणार्थियों को स्वदेश भेजेगा केन्या
नैरोबी। केन्याई सरकार का कहना है कि वह दादाब शरणार्थी शिविर में रह रहे सभी शरणार्थियों को अगले साल मई तक स्वदेश भेज देगी। केन्या के गृह मंत्रालय के मुख्य सचिव करंजा किबिचो ने बुधवार को कहा, “हम दुनिया को आश्वस्त कर रहे हैं कि मई तक दादाब में कोई शरणार्थी नहीं होगा।”
उन्होंने कहा कि शरणार्थियों का पहला जत्था (समूह) नवंबर तक स्वदेश लौटेगा। इससे पहले बीते शुक्रवार को उन्होंने दादाब शरणार्थी शिविर को बंद करने की घोषणा की थी।
पूर्वोत्तर केन्या में स्थित दादाब शरणार्थी शिविर 20 साल पहले बनाया गया था। यह दुनिया का सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर है, जहां करीब 3,30,000 शरणार्थी रहते हैं। इनमें से अधिकतर सोमालिया से हैं। किचिको ने कहा कि दादाब शरणार्थी शिविर में आतंकवादियों की घुसपैठ हो गई है। उन्होंने आशंका जताई कि सोमालियाई इस्लामी गुट अल शबाब ने दादाब शिविर में ठिकाने बना रखे हैं।
बीते शुक्रवार को उन्होंने आर्थिक, सुरक्षा और पर्यावरण के बढ़ते बोझ का हवाला देते हुए शिविर को बंद करने की घोषणा करते हुए इसके पहले कदम के रूप में शरणार्थी मामलों के विभाग को भंग करने की बात कही थी।
अन्तर्राष्ट्रीय
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान, ‘पाकिस्तान के इस सैन्य तानाशाह को कब्र से निकालकर फांसी पर लटकाना चाहिए’
नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में एक बहस के दौरान कहा कि संविधान को निरस्त करने के लिए अयूब खान के शव को कब्र से निकालकर उसको फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयूब खान ने संविधान को रद्द करने का जो काम किया था, उसके लिए उनको कभी माफ नहीं किया जा सकता है। आसिफ ने ये कमेंट असेंबली में विपक्ष के नेता और अयूब खान के पोते उमर अयूब खान से बहस के दौरान किया। उमर ने सेना की पिछले सप्ताह की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाते हुए फौज के राजनीति में हस्तक्षेप पर एतराज जताया था। इसके बाद जवाब में ख्वाजा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।
इससे पहले उमर अयूब खान ने कहा कि संविधान के अनुसार सुरक्षा एजेंसियां राजनीति में शामिल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि सैन्य अधिकारियों की शपथ उन्हें राजनीति में हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं देती। उन्होंने कहा ‘‘सुरक्षा संस्थानों को संविधान के अनुसार, राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। यह संवाददाता सम्मेलन नहीं होना चाहिए था।’’ उन्होंने अनुच्छेद छह का हवाला देते हुआ कहा कि संविधान को निरस्त करना दंडनीय देशद्रोह है जिसके लिए मौत की सजा तय है। उन्होंने आग्रह किया कि सभी संस्थानों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।
रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा कि अयूब खान संविधान का उल्लंघन करने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्हें अनुच्छेद छह का सामना करने वाला भी पहला व्यक्ति होना चाहिए। रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा, “देश में पहला मार्शल लॉ लागू करने वाले झूठे फील्ड मार्शल अयूब खान के शरीर को भी (अनुच्छेद 6 के अनुसार) खोदकर निकाला जाना चाहिए और फांसी दी जानी चाहिए।”
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