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जुर्म

कैदी नंबर 943799 पार्थ चटर्जी रामकृष्ण परमहंस के उपदेशों को पढ़ काट रहे हैं समय

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कोलकाता। पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले में कोलकाता की ऐतिहासिक प्रेसीडेंसी जेल में बंद पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी आजकल श्री रामकृष्ण परमहंस के उपदेशों को पढ़ रहे हैं। पार्थ चटर्जी जेल के एक एकांत कक्ष के अंदर 19 वीं शताब्दी के संत श्री रामकृष्ण परमहंस के उपदेशों को पढ़कर और कुछ तला हुआ खाने की चाहत के साथ खुद को अन्य कैदियों से अलग रख रहे हैं। ब्रिटिश-युग की संस्था के अधिकारियों ने यह जानकारी दी है।

चटर्जी ने सोमवार को कागज और कलम की मांग करते हुए कहा कि वह सलाखों के पीछे के जीवन के बारे में लिखना चाहते हैं। गौरतलब है कि शिक्षक भर्ती घोटाले के मुख्य आरोपी पार्थ चटर्जी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 23 जुलाई को गिरफ्तार किया। वह 5 अगस्त से न्यायिक हिरासत में जेल में बंद है।

चटर्जी जेल में कैदी नंबर 943799 से पहचाने जाते हैं। उन्हें एक ब्लॉक में सेल नंबर 2 में बंद किया गया है। इसमें कुल 22 सेल हैं। अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि पार्थ चटर्जी के अनुरोध के बाद उन्हें श्री श्री रामकृष्ण कथामृत की एक प्रति, उपदेश वाली पुस्तक और लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता महाश्वेता देवी के कार्यों का संकलन दिया गया है।

चटर्जी को राजनीति, अर्थशास्त्र और कानून की भी कुछ किताबें दी गईं। पूर्व मंत्री ने अब तक उन समाचार पत्रों में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है जो अधिकारी प्रतिदिन प्रदान करते हैं। मुखर्जी प्रेसीडेंसी के 200 मीटर के दायरे में स्थित महिलाओं के बने अलीपुर सुधार गृह में बंद हैं।

अधिकारियों ने जानकारी दी कि पार्थ चटर्जी ने शुरू में नखरे किए और लंच और डिनर दोनों में चावल लेना चाहते थे। पहली रात को उन्होंने अनिच्छा से रात का खाना खाया, जिसमें दाल, एक सब्जी और रोटियां शामिल थीं लेकिन अगले दिन शांत हो गए और अन्य कैदियों के लिए जो कुछ भी पकाया जाता है वह खा लिया।

चटर्जी दवाओं पर बहुत अधिक निर्भर हैं। पूर्व मंत्री से पांच दिनों में दो बार मिलने गई वकील सुकन्या भट्टाचार्य ने कहा कि सुधार गृह में जाने के बाद से चटर्जी को एडिमा (टखनों और पैरों में सूजन) परेशान कर रही है।

पार्थ चटर्जी को कक्ष के फर्श पर सोने के लिए कहा गया। वह मोटापे और पीठ दर्द के कारण सो नहीं सके। अधिकारियों से उन्होंने शिकायत की। बाद में उन्हें एक खाट प्रदान की गई। एक स्टाफ सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “वह अगले दिन लगभग आठ घंटे खाट पर सोए।”

पार्थ चटर्जी जिस सेल में बंद हैं वहां चिटफंड घोटाले में ईडी और सीबीआई जांच का सामना कर रहे सारदा समूह के अध्यक्ष सुदीप्त सेन भी इसी जेल में बंद हैं। अन्य कैदियों में टीएमसी नेता छत्रधर महतो शामिल हैं, जिन्हें 2009 की राजधानी एक्सप्रेस बंधक मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गिरफ्तार किया था। कोलकाता के अमेरिकन सेंटर पर 2002 के हमले में दोषी आफताब अंसारी भी इसी जेल में बंद है।

उत्तर प्रदेश

मेरी पत्नी से शिक्षक का था अफेयर, इसलिए मार डाला; वकील के कबूलनामे से आया नया ट्विस्ट

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कानपुर। उप्र के कानपुर के पनकी के पतरसा में शिक्षक दयाराम सोनकर की हत्या के आरोप में गिरफ्तार वकील संजीव कुमार के बयान ने पेंच फंसा दिया है। वकील ने जो बयान दिया, उसके मुताबिक शिक्षक के उसकी पत्नी से अवैध संबंध थे। चूंकि शिक्षक वर्तमान में कानपुर देहात में ही रह रहा था।

इसके चलते पत्नी भी कानपुर देहात स्थित मायके में ही थी। इसलिए उसने रविवार को दयाराम को बुलाकर अकेले ही बंद कमरे में जिंदा जलाकर मार डाला। वहीं, मृतक के भाई का कहना है कि भाभी के संबंध ढाबा संचालक से थे। विरोध करने पर भाभी ने प्रेमी और वकील के साथ मिलकर भाई की हत्या कर दी।

मृतक दयाराम के छोटे भाई अनुज ने पुलिस को दी तहरीर में बताया कि भाई दयाराम ने अपने मोबाइल फोन से उन्हें कॉल करके बताया था कि संजीव, पवन और संगीता ने उन्हें कमरे में बंद करके आग लगा दी है और भाग गए हैं। तहरीर के आधार पर पुलिस ने जब वकील संजीव को उठाकर पूछताछ शुरू की तो कहानी में नया मोड़ आ गया।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक संजीव ने बताया कि दयाराम जिस कॉलेज में पढ़ाता था, उसी में संजीव का साला शिक्षक है। दोनों में गहरी दोस्ती थी। दयाराम का संजीव के साले के घर में भी आना-जाना था। संजीव को दयाराम और उसकी पत्नी के बीच अवैध संबंध का शक था।

संजीव के अनुसार, पत्नी को कई बार घर लाने की कोशिश की, लेकिन वो राजी नहीं हुई। पत्नी से संबंधों को लेकर बातचीत के लिए दयाराम को घर बुलाया। इसके बाद पेट्रोल डालकर आग लगा दी। हालांकि, पुलिस को अन्य हत्यारोपियों की घटनास्थल के आसपास लोकेशन भी नहीं मिली है। दोनों कहानियों की तह तक जाने के लिए पुलिस अब सक्ष्यों की मदद ले रही है।

संजीव कई बार बुला चुका था दयाराम को

अनुज ने बताया कि संजीव कई बार दयाराम को फोन करके उसकी पत्नी से समझौता कराने की बात कहकर बुला चुका था। परिवार वालों की राय के बाद वे समझौते के लिए गए थे, वहां सभी ने मिलकर उनके भाई की हत्या कर दी।

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