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अन्तर्राष्ट्रीय

पीएम मोदी का यूरोप दौरा: 3 दिनों में 18 समझौतों पर लगी मुहर

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिनों की यूरोप यात्रा के बाद बुधवार को दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। इस दौरान पीएम ने जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस की यात्रा की। तीन दिनों में राष्ट्र प्रमुखों से मुलाकात और अन्य उच्च स्तरीय बैठकों के अलावा पीएम ने कई अहम समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए। साथ ही वह इन देशों में बसे भारतीयों से भी रूबरू हुए।

यात्रा के अंत में पीएम मोदी कुछ समय के लिए फ्रांस में रुके। यहां उन्होंने नव निर्वाचित राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को दोबारा जीत की बधाई दी। इस दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा, अंतरिक्ष समेत कई द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा हुई।

पहला दिन

पीएम मोदी सोमवार को बर्लिन पहुंचे थे। यहां उन्होंने चांसलर ओलाफ शूल्ज से द्वपक्षीय वार्ता की। इसके बाद वह 6वें भारतीय-जर्मनी 6वें अंतर सरकारी परामर्श में शामिल हुए। उन्होंने कार्यक्रम की सह अध्यक्षता भी की। इस दौरान भारत और जर्मनी के बीच कुल 9 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।

प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार, इनमें हरित और सतत विकास साझेदारी पर जेडीआई, तीसरे देशों में त्रिकोणीय विकास सहयोग परियोजनाओं के कार्यान्वयन पर जेडीआई, विदेश मंत्रालय और जर्मन विदेश कार्यालय के बीच वर्गीकृत सूचनाओं के आदान-प्रदान और पारस्परिक संरक्षण पर समझौते की स्थापना तथा एक सीधा कूटभाषा आधारित संपर्क स्थापित करने के लिए समझौते की स्थापना पर जेडीआई, नवीकरणीय ऊर्जा भागीदारी के सम्बन्ध में भारत-जर्मन विकास सहयोग, व्यापक प्रवास और आवागमन साझेदारी पर समझौते की शुरुआत पर संयुक्त घोषणा, भारत के कॉर्पोरेट अधिकारियों और कनिष्ठ अधिकारियों के उच्च श्रेणी प्रशिक्षण के क्षेत्र में सहयोग जारी रखने पर जेडीआई, भारत-जर्मन ग्रीन हाइड्रोजन कार्यबल, कृषि पारिस्थितिकी पर जेडीआई, वन परिदृश्य के लिए पूर्वावस्था की प्रप्ति पर जेडीआई शामिल हैं।

दूसरा दिन

यात्रा के दूसरे दिन प्रधानमंत्री कोपेनहेगन पहुंचे। यहां उन्होंने अपने समकक्ष मेट फ्रेड्रिकसन से मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों के बीच कारोबार समेत समेत कई द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा हुई। दोनों देशों के बीच करीब 9 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं। यहां पीएम ने भारत-डेनमार्क व्यापार मंच में भी भाग लिया।

PMO के अनुसार, प्रधानमंत्री ने दोनों अर्थव्यवस्थाओं के पूरक कौशल पर जोर दिया और डेनमार्क की कंपनियों को हरित प्रौद्योगिकियों, कोल्ड चेन, कचरे से सम्पत्ति निर्माण, शिपिंग और बंदरगाह जैसे क्षेत्रों में भारत में मौजूद अपार संभावनाओं का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने भारत के व्यापार अनुकूल दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला और दोनों पक्षों के व्यापारिक समुदायों को सहयोग के अवसरों का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित किया।

तीसरा दिन

पीएम मोदी ने दूसरे भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में भाग लिया। इस कार्यक्रम में नॉर्वे, स्वीडन, आईलैंड, फिनलैंड और डेनमार्क के प्रधानमंत्री भी मौजूद रहे। PMO के अनुसार, मोदी ने ने नॉर्डिक कंपनियों को विशेष रूप से भारत की सागरमाला परियोजना समेत जल से जुड़ी (ब्लू इकॉनमी) अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया। आर्कटिक क्षेत्र में नॉर्डिक क्षेत्र के साथ भारत की साझेदारी पर चर्चा हुई।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की आर्कटिक नीति, आर्कटिक क्षेत्र में भारत-नॉर्डिक सहयोग के विस्तार के लिए एक अच्छी रूपरेखा प्रस्तुत करती है। प्रधानमंत्री ने नॉर्डिक देशों के सोवेरेन वेल्थ फण्ड को भारत में निवेश के लिए आमंत्रित किया।

अन्तर्राष्ट्रीय

जेपी मॉर्गन के CEO बोले- अमेरिका को भी पीएम मोदी जैसे मजबूत नेता की जरुरत

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नई दिल्ली। अमेरिकी बैंकिंग फर्म जेपी मॉर्गन चेज के सीईओ जेमी डिमन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि अमेरिका को भी पीएम मोदी जैसे मजबूत नेताओं की आवश्यकता है। जेमी डिमन ने कहा कि पीएम मोदी ने भारत में जबदरस्त और अविश्वसनीय काम किया है। अमेरिका में भी भारत नरेंद्र मोदी की तरह का प्रधानमंत्री होना चाहिए।

इकोनॉमिक क्लब ऑफ न्यूयॉर्क की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जेमी डिमन ने कहा कि मैं अमेरिका के लिबरल प्रेस को जानता हूं, जो लगातार नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हैं। उन्होंने 40 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है.। इस दौरान डिमन ने भारत में गरीबी उन्मूलन, बुनियादी ढ़ांचे आर्थिक विकास समेत कई अन्य विषयों पर खुलकर बात रखीं।

उन्होंने कहा, “अमेरिका के कई अधिकारी भारत को लेकर कई बातें कहते हैं, लेकिन अपना देश कैसे चलाना है इस बारे में सोचने की जरूरत है। भारत में नरेंद्र मोदी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ देशों की सरकारें जलवायु परिवर्तन और श्रम अधिकारों को लेकर भारत की आलोचना करती हैं, जबकि उनके पास शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं है। फिर भी वो डटकर चुनौतियों का समाना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत ने एक नई चलन शुरू की है, जिसमें लोगों को फिंगर प्रिंट और आंख से पहचान की जाती है। यह भी भारत के लिए एक उल्लेखनीय है।

डिमन ने आगे कहा कि भारत मूलभूत सुविधाओं पर काम करते हुए आगे की दिशा में काम कर रहा है। विकासशील देश से विकसित देश की ओर बढ़ने के लिए वहां की सरकार लगातार प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।

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