आध्यात्म
VIDEO : वो डायरी जिसके पन्नों में लिखकर उसे जला देते थे PM Modi!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज जन्मदिन है। आज वह 70 वर्ष के हो गए हैं। इस मौके पर हम आपको बता रहे हैं पीएम मोदी की जिंदगी से जुड़े कुछ फैक्ट्स।क्या आपको पता है कि पीएम मोदी को करीब से जानने और समझने का सबसे बेहतरीन जरिया एक खास किताब है।
इसके बारे में नरेंद्र मोदी ने खुद बताया है। इतना ही नहीं, इस किताब के छपने की कहानी भी अपने आप में बेहद रोचक है। वो कौन सी किताब है? इसे मोदी ने कब और कैसे लिखा? इसमें किस बारे में बात की गई है? क्या है इसके छपने की कहानी? इस बारे में हम आपको बताते हैं।
यह कहानी तब की है जब मोदी युवा अवस्था में थे। यह कहानी उस युवा नरेंद्र मोदी की है जो लगभग हर रोज डायरी लिखा करते थे, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि वो हर छह से आठ महीने के बाद उस डायरी के लिखे पन्ने जला दिया करते थे।
एक दिन मोदी के एक प्रचारक मित्र नरेंद्र भाई पंचासरा ने उन्हें ऐसा करते देख लिया उन्होंने नरेंद्र मोदी को समझाया और ऐसा करने से मना किया। बाद में नरेंद्र मोदी की उस डायरी के बचे पन्नों ने एक किताब का रूप लिया। ये किताब 36 साल के नरेंद्र मोदी के विचारों का संग्रह है। क्या है इसका नाम और प्रधानमंत्री मोदी ने खुद इसके बारे में क्या कहा है, ये भी जानिये। इस किताब का नाम है- ‘साक्षीभाव’।
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आध्यात्म
रहस्यमई गुफा में आज भी मौजूद है भगवान गणेश का कटा सिर, यकीन न हो तो देख लीजिए तस्वीर!

भगवन श्री गणेश का कटा हुआ सिर आज भी इस धरती पर मौजूद हैं। ऐसी मान्यता हैं कि स्वयं शिव ने अपने पुत्र गणेश से क्रोधित होकर उनका सिर धड़ से अलग कर दिया था और उसे एक सुरक्षित गुफा में रख दिया था।
कलयुग में उस गुफा की खोज आदिशंकराचार्य ने की थी। वह गुफा उत्तराखंड के पिथौड़ागढ़ के गंगोलीहाट से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पाताल भुवनेश्वर में मौजूद गणेश जी की मूर्ति को आदि गणेश के नाम से जाना जाता है। लोगों का कहना है कि गणेश जी के कटे हुए सिर की रक्षा स्वयं महादेव करते हैं।
उस गुफा में भगवान गणेश के कटे शिलारूपी मूर्ति के ठीक ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला शवाष्टक दल ब्रह्मकमल के रूप की एक चट्टान है। इस ब्रह्मकमल से भगवान गणेश के शिलारूपी मस्तक पर दिव्य बूंद टपकती है। मुख्य बूंद आदि गणेश के मुख में गिरती हुई दिखाई देती है। मान्यता है कि यह ब्रह्मकमल भगवान शिव ने ही वहां स्थापित किया था।
इस गुफा की ख़ास बात यह है कि यहां चारों युगों के प्रतीक के रूप में चार पत्थर स्थापित हैं। कहा जाता है कि इनमें से जो पत्थर कलयुग का प्रतीक हैं वो धीरे-धीरे ऊपर की तरफ बढ़ रहा है जिस दिन वो पत्थर दीवार से टकरा जाएगा उस दिन कलयुग का अंत हो जाएगा।
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