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आध्यात्म

पीएम मोदी का 11 दिवसीय अनुष्ठान: श्री कोठंडारामास्वामी मंदिर में की पूजा​, भगवान राम से है सीधा नाता

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PM Modi 11-day ritual

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रामेश्वरम (तमिलनाडु)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज रविवार को तमिलनाडु के अरिचल मुनाई पहुंचे। यहां पीएम मोदी ने समुद्र तट पर पुष्प अर्पित कर प्राणायाम भी किया। उन्होंने समुद्र का जल हाथों में लेकर प्रार्थना की और अर्घ्य दिया। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धनुषकोडी में श्री कोठंडारामास्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना की। दरअसल, पीएम मोदी ने रात्रि प्रवास रामेश्वरम में किया था और इसके बाद वह अरिचल मुनाई गए। कहा जाता है कि अरिचल मुनाई वह स्थान है जहां राम सेतु का निर्माण हुआ था।

​श्री कोठंडारामास्वामी मंदिर में पूजा​

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को धनुषकोडी में श्री कोठंडारामास्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना की। दरअसल पिछले कुछ हफ्तों से प्रधानमंत्री मोदी खुद भगवान राम से जुड़े स्थानों पर जाकर दर्शन कर रहे हैं। यह आध्यात्मिक यात्रा महाराष्ट्र राज्य से शुरू हुई। स्वामी ने रामगुंड, श्री कालाराम मंदिर, नासिक शहर, लेपाक्षी वीरभत्र मंदिर, आंध्र , गुरुवयूर मंदिर, केरल राज्य, त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर में दर्शन किए। इसके बादआखिर में रामेश्वरम पहुंचे हैं।

इन मंदिर की क्या है मान्यता?

श्री कोठंडारामस्वामी मंदिर का भगवान राम से सीधा नाता है। कोठंडाराम का अर्थ है धनुषधारी राम। ऐतिहासिक कथनों के अनुसार रावण के छोटे भाई विभीषण ने यही आकर भगवान राम से शरण मांगी थी। इसके बाद भगवान राम ने यहीं पर विभीषण का अभिषेक किया था। राम को कोठंडाराम कहा जाता है क्योंकि यहां उन्हें हाथ में धनुष लिए देखा जाता है। वहां बने मंदिर को भी यही नाम दिया गया था। रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समुद्र तट पर पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने वहां बने राष्ट्रीय प्रतीक स्तंभ पर भी पुष्पांजलि अर्पित की।

समुद्र किनारे लगाया ध्यान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अरिचल मुनाई पहुंचे। इसके बाद पीएम मोदी ने समुद्र तट के किनारे बैठकर कुछ समय बिताया। पीएम मोदी ने यहां कुछ देर ध्यान भी लगाया।

जहां देख रहे मोदी, उसकी मान्यता क्या?

कहा जाता है कि भगवान राम ने अपनी वानर सेना की सहायता से पत्थरों और चट्टानों से समुद्र पर एक लंबा पुल बनाया। मान्यता है कि इसी रास्ते से राम ने रावण से युद्ध जीता था। राम के इतिहास में यह भी एक अपरिहार्य स्थान है। अर्थात भगवान राम के बगल में विभीषण के खड़े होने का दुर्लभ दृश्य यहीं देखने को मिलता है।

11 दिन के उपवास पर पीएम मोदी

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रधानमंत्री मोदी 11 दिनों का व्रत रख रहे हैं। वह गायों को चारा खिलाने, जमीन पर सोने और केवल ताजा पानी पीने की प्रथा का पालन कर रहे हैं। इसी क्रम में वह रामायण में वर्णित पवित्र स्थानों की यात्रा कर रहे हैं।

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आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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