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पठानकोट हमले में क्या सुरक्षा एजेंसियों से चूक हुई?
पाकिस्तान की ओर से पठानकोट हमले के रूप में एक और घाव मिला है। सच्चाई तो यह है कि आप इतिहास बदल सकते हैं भूगोल नहीं और भूगोल यह है कि पाकिस्तान के रूप में हमें एक ऐसा पड़ोसी मिला है जो अपने जन्म से ही भारत को पीड़ा देता आया है लेकिन इस बार के हमले में कुछ बातें खास गौर करने लायक हैं। इन्ही खास बातों पर ध्यान देने से यह लगता है कि यह हमला कहीं न कहीं हमारी सुरक्षा एजेंसियों की चूक है।
पहला सवाल कि जब पठानकोट में एक एसपी का अपहरण हुआ और बाद में एसपी व उनके साथियों को गाड़ी से उतारने के बाद आतंकी एयरबेस की तरफ बढ़े तो सुरक्षा एजेंसियां चौकन्नी क्यों नहीं हुई? क्योंकि हमला इस अपहरण की घटना के 24 घंटे बाद हुआ और 24 घंटे का समय कम नहीं होता।
दूसरा सवाल जब आतंकियों द्वारा नीली बत्ती लगी एसपी की गाड़ी का उपयोग करने की बात सामने आ चुकी थी तो यह मैसेज प्रसारित क्यों नहीं हुआ कि उक्त गाड़ी संदिग्ध लोगों के हाथ में है।
तीसरा सवाल जहां से अगवा एसपी को छोड़कर आतंकी उनकी गाड़ी द्वारा एयरबेस की ओर बढ़े वहां से एयरबेस तक सात चेंकिंग प्वांइट हैं उन सभी प्वाइंट्स को अलर्ट कर गाड़ी को रोकने का प्रयास क्यों नही किया गया?
चौथा सवाल जब गाड़ी में बैठे लोगों ने पुलिस को यह बता दिया कि एसपी के मोबाइल से अपहरणकर्ताओं ने पाकिस्तान में बैठे आतंकी हैंडलरों से बात की है तब सुरक्षा एजेंसियों के सामने उन्हें आतंकी मानने में क्या संशय था? क्या उनके कान इसी बात से नहीं खड़े हो जाने चाहिए थे कि यह कोई सामान्य अपहरण कांड नहीं है?
पांचवां सवाल जब अपहरण कांड के बाद यह इनपुट भी मिल गया कि कोई न कोई आतंकी घटना हो सकती है और इसी के आधार पर एयरबेस में एनएसजी के कमांडो और वायुसेना की गरूड़ फोर्स तैनात कर दी गई तो सर्च अभियान में सफलता क्यों नहीं मिली? क्या सर्च अभियान को हल्के में लिया गया?
सवाल और भी हैं लेकिन जवाब में हमें अपने जवानों की शहीदी ही मिली है। लेफ्टिनेंट कर्नल सहित देश ने अपने 11 सपूत खोए हैं। आखिर इसका जिम्मेदार कौन है? क्या सुरक्षा एजेंसियों के आपसी समन्यव में कमी इसकी जिम्मेदार है? अथवा निर्णय लेने में देरी से यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई है। जवाबदेही तय होनी चाहिए। जहां तक पाकिस्तान से बातचीत का सवाल है तो जब तक पाकिस्तान की ओर से कुछ ऐसा निर्णय आतंकियों के खिलाफ न लिया जाय बातचीत का कोई मतलब नहीं बनता है। वैसे पाकिस्तान की सरकार एक कमजोर सरकार है जिनका वहां की सेना और आईएसआई पर कोई नियंत्रण नहीं है बावजूद इसके उनकी तरफ से कोई न कोई सार्थक पहल तो अवश्य होनी चाहिए तब तक बातचीत के दरवाजे बंद।
नेशनल
प्रियंका का पीएम मोदी पर पलटवार, कहा- मेरा भाई 4 हजार किमी पैदल चला, तब आप अपने महल में थे
बनासकांठा। गुजरात के बनासकांठा में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा। प्रियंका ने कहा कि पीएम मोदी शहंशाह हैं जो महल में रहते हैं लेकिन जनता से कटे हुए हैं। प्रियंका गांधी ने कहा, “वह (पीएम मोदी) मेरे भाई को शहजादा कहते हैं लेकिन मैं उन्हें बताना चाहती हूं कि यह शहजादे आपकी (लोगों की) समस्याएं सुनने के लिए कन्याकुमारी से कश्मीर तक 4,000 किलोमीटर तक चले। उन्होंने मेरे भाइयों और बहनों, किसानों और मजदूरों से मुलाकात की और उनसे पूछा कि हम उनकी समस्याओं का कैसे समाधान कर सकते हैं।”
प्रियंका ने आगे कहा, ‘और एक तरफ आपके शहंशाह..हैं. महलों में निवास करते हैं। आपने कभी टीवी पर उनका चेहरे को देखा है? एकदम साफ सुथरा सफेद कुर्ता, एक दाग नहीं है धूल का। एक बाल इधर से उधर नहीं होता है। वो कैसे समझ पाएंगे कि आपकी मजदूरी, आपकी खेती। किस तरह से समझ पाएंगे कि आप किस दलदल में धंसे हुए हो। महंगाई से आप दबे हुए हैं। हर तरफ महंगाई, मेरी बहनें… मिट्टी का तेल आज कितने का हो चुका है? सब्जी खरीदने जाती हैं तो भाव क्या है उसका… पेट्रोल डीजल का दाम क्या है, किस तरह से गुजारा होता है। खेती के हर सामान पर जीएसटी लग रही है। हर सामान अब महंगा हो गया है। अगर कोई त्योहार होता है, कुछ खरीदना होता है, फीस भरनी पड़ती है, इलाज करना पड़ता है ये मोदी नहीं जान सकते हैं।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पीएम पर हमला करते हुए कहा कि उन्होंने दस सालों में अधिकार कम करने का काम किया है। पहले के पीएम लोगों के बीच गांवों में जाते थे। लोगों की बातें और उनकी समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करते थे। गुजरात ने पीएम मोदी को सबकुछ दिया। सत्ता दी. पर अब आप उनको देखते हैं, वह बड़े-बड़े लोगों के साथ दिखाई देते हैं। वे कभी किसानों या गरीबों को के बीच नहीं दिखते हैं। वे अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में किसी भी गरीब के घर नहीं गए।
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