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पनामा पेपर्स मामले में भेजा जा रहा है नोटिस : जेटली

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पनामा पेपर्स मामला, वित्त मंत्री अरुण जेटली, लोकसभा, कर चोरी, सांसद नाना पटोले और कीर्ति सोमैया

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पनामा पेपर्स मामला, वित्त मंत्री अरुण जेटली, लोकसभा, कर चोरी, सांसद नाना पटोले और कीर्ति सोमैया

नई दिल्ली| वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में शुक्रवार को कहा कि सरकार कर चोरी रोकने के लिए हर संभव कदम उठाएगी और जिनके भी नाम पनामा पेपर लीक में सामने आए हैं, उन सब को नोटिस भेजे जाएंगे। कुछ को भेजे भी जा चुके हैं। सदन में प्रश्नकाल के दौरान भारतीय जनता पार्टी के सांसद नाना पटोले और कीर्ति सोमैया तथा बीजू जनता दल के बी. महताब द्वारा कर चोरी के मामलों पर पूछे गए अनुपूरक सवाल के जवाब में उन्होंने ये बातें कहीं जेटली ने कहा कि सदन में किसी एक मामले पर चर्चा नहीं की जा सकती। उन्होंने आश्वस्त किया कि सरकार कार्रवाई कर रही है। पनामा पेपर लीक में कर चोरी और विदेश में संपत्ति छिपाने को लेकर जिनके नाम सामने आए हैं, उनको नोटिस भेज रही है। कुछ को नोटिस भेजे भी जा चुके हैं। वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि 2014 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) देश और विदेश में काले धन से निपटने में अच्छा काम कर रहा है। सिन्हा ने कहा, “एसआईटी प्रशंसनीय काम कर रही है।” उन्होंने कहा कि एसआईटी की सिफारिशों से जांच एजेंसी और सरकार को काफी मदद मिल रही है, खासकर देश से बाहर छिपाए गए काले धन को लेकर।

उन्होंने कहा, “देश के अंदर के काले धन की जांच में भी एसआईटी की सिफारिशें मददगार साबित हुई हैं। जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।” बीजू जनता दल के सदन के नेता बी. महताब यह जानना चाहते थे कि एसआईटी और दूसरी एजेंसियों की रिपोर्ट के बाद क्या सरकार कर चोरी रोकने के लिए किसी कानून में बदलाव कर रही है। कीर्ति सोमैया ने इस मामले में जब महाराष्ट्र के एक प्रसिद्ध नेता का नाम लिया (जो जेल में हैं) तो अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने उसे सदन की कार्यवाही से हटा दिया। महाजन ने सत्ताधारी दल के सदस्य से कड़े लहजे में कहा, “आप सब कुछ जानते हैं, फिर क्यों आप किसी के नाम का उल्लेख कर रहे हैं।” वित्त राज्यमंत्री ने इस बात पर सहमति जताई कि धनी लोगों द्वारा अपनी आय को कृषि आय के रूप में दिखा कर टैक्स चोरी के मामले सामने आए हैं।

भाजपा सदस्य नाना पटोले ने कहा कि यह कहना सही नहीं है कि कृषि आय बढ़ रही है। अगर ऐसा है तो किसान आत्महत्या क्यों कर रहे हैं। सिन्हा ने कहा कि राजग सरकार के सत्ता संभालने के बाद कर चुकाने वालों की संख्या बढ़कर 5.8 करोड़ हो चुकी है। सिन्हा ने कहा, “हमें इस आंकड़े का देश की कुल आबादी के संदर्भ में विश्लेषण नहीं करना चाहिए। यह केवल 25 करोड़ परिवारों और इनमें भी मुख्यत: शहरी क्षेत्र के 7 करोड़ पात्र करदाताओं से संबद्ध है।”

नेशनल

लोकसभा के शोले और रहीम चाचा की खामोशी

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

हिन्दी सिनेमा की कालजई फिल्म शोले के रहीम चाचा का किरदार आपको जरूर याद होगा। उनका एक डायलॉग था जिसमें वो कहते है “इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई” उस वक्त पूरे रामगढ़ में किसी के पास इसका जवाब नहीं था, कमोवेश ठीक वैसे ही हालात इस वक्त लोकसभा चुनाव में नजर आ रहे हैं। लोकसभा के चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके हैं पर पूरे देश में कहीं भी ऐसा नजर नहीं आता कि हम अगले पाँच साल के लिए अपने नुमाइंदे चुनने जा रहे हैं। एक अजीब खामोशी नुमायाँ है। गांव, कस्बों और शहरों तक में होर्डिंग और पोस्टर नजर नहीं आ रहे हैं और न ही कानफोडू लाऊडस्पीकर पर वोट मांगने वालों का शोर सुनाई दे रहा है, चाय की टपरी और पान के खोखों पर जमा होने वाली भीड़ अपने होंठों को सिले हुए है।

एक वक्त था जब हम लोग चाय की टपरी, पान की दुकान और रास्तों के ढाबों से देश का मूड भांप लेते थे। मतदाताओं के मन में क्या चल रहा है इसका अंदाज लगाना आसान था। लेकिन आज स्थिति उलट है इन जगहों पर खड़ा आम आदमी आपसे ही उल्टा पूछ लेता है ‘और क्या चल रहा है’ इंसान-इंसान के बीच अविश्वास की खाई इतनी गहरी हो गई है कि वो पब्लिक प्लेस पर अब राजनीतिक बात करने से गुरेज करने लगा है। वोटर अपने मन की बात जुबान पर नहीं लाना चाहता हैं क्यूंकी अब वो रेडियो पर ‘मोदी जी’ के मन की बात सुन रहा है और अपने मन की बात अपने मन में रखे हुए है। उसे डर है और ये डर मिश्रित चुप्पी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा लक्षण नहीं है।

लोकसभा चुनाव के पहले चरण की तरह दूसरे चरण में भी वोटिंग 2019 के मुकाबले कम हुई है। पहले चरण में 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों पर 64 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में उन सीटों पर भी 70 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ था। ऐसे ही इस बार दूसरे चरण में 13 राज्यों की 88 लोकसभा सीटों पर करीब 63 फीसदी वोट पड़े। यह 2019 के लोकसभा चुनाव में 70.09% मतदान के मुकाबले काफी कम था। यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में वोटिंग उम्मीद से काफी कम रही। यूपी में 54.85%, बिहार में 55.08% , महाराष्ट्र में 57.83% , एमपी में 57.88 % वोटिंग हुई। सबसे अधिक वोट त्रिपुरा, मणिपुर, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में पड़े। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में सात मई को वोटिंग है। इसमें 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 95 सीट पर मतदान होगा, जिसके लिए 1351 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।

जब 7 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून को तीसरे, चौथे, पांचवे, छठे और सातवें चरण का मतदान होगा तो इस दौरान देश के अधिकतर हिस्सों में गर्मी के साथ लू का असर दिखाई देगा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान लगभग 72% निर्वाचन क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 35°C या इससे अधिक हो सकता है। विशेष रूप से, 59 सीटों पर 40-42 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान का सामना करना पड़ सकता है। जबकि 194 सीटों पर 37.5-से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान देखा जा सकता है। लेकिन इस गर्मी के बीच क्षेत्रीय दलों के नेता काफी तेजी से अपने इलाके के मतदाताओं पर पकड़ बना रहे हैं और उन सवालों को उठा रहे हैं जिनसे देश का किसान, मजदूर और नौजवान चिंतित है। इसलिए उनके प्रति आम जनता की अपेक्षाएं बढ़ी हैं इसलिए विपक्षी गठबंधन के नेताओं की रैलियों में भारी भीड़ आ रही है। जबकि भाजपा की रैलियों का रंग उसके मुकाबले फीका नजर या रहा है।

हालांकि रैली में आने वाली भीड़ जीत का पैमाना नहीं होती इसलिए कुछ कहा नहीं जा सकता। हर दल का अपना एक समर्पित काडर होता है। जबकि आज काडर के नाम पर ज्यादातर दलों के पास सत्ता के छत्ते से चिपकी रहने वाली मधुमक्खी ही ज्यादा नजर या रहीं है ये वो लोग हैं जिन्हें सत्ता की दलाली करने के अवसरों की तलाश होती है। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ जिसके पास काडर है कार्यकर्ता हैं वो भी खामोश नजर आ रहा है। बहरहाल लगातार कम होते मतदान ने नेताओं की धुकधुकी बढ़ा रखी है। सत्ता पक्ष मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए परेशान है तो विपक्ष कम प्रतिशत को अपने पक्ष में मानकर मुंगेरीलाल के सपने बुनने में मगन है।

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