अन्तर्राष्ट्रीय
पाकिस्तान में PM के लिए एक नहीं तीन चेहरे, नंबर गेम में फंस गई पड़ोसी मुल्क की सत्ता
नई दिल्ली। पाकिस्तान में आम चुनाव से पहले आटा, चीनी, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रही जनता को उम्मीद है कि नई सरकार देश को आर्थिक बदहाली से बाहर निकालने में कामयाब होगी। हालांकि, चुनाव नतीजों ने वहां के आवाम की सिरदर्द और भी बढ़ा दी है। भले ही चुनाव आयोग ने इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (PTI) को बर्खास्त कर दिया, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री को जनता का भरपूर प्यार मिला है। आंकड़ों पर नजर डालें तो इमरान खान समर्थित स्वतंत्र उम्मीदवारों ने 101 सीटों पर बाजी मारी।
लंदन से पीएम बनने की इच्छा लिए पाकिस्तान लौटे नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन (PML-N) को 73 सीटें मिली। वहीं, बिलावल भुट्टो जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) ने 54 सीटें जीतीं। गौरतलब है कि 134 सीटों जीतकर बहुमत की सरकार बनाने में कोई पार्टी कामयाब न हो सकी।
क्या चुनाव परिणाम से खुश हैं राजनीतिक दल?
दरअसल, यह परिणाम PTI नेताओं के लिए राहत भरी खबर है। भले ही PTI समर्थित नेता स्वतंत्र उम्मीदवार बनकर चुनाव में उतरे, लेकिन पाकिस्तान की महिलाओं और युवाओं ने इमरान खान के समर्थन में वोट डाले, जिसकी वजह से उन्हें 101 सीटें मिली।
क्या पीएमएल-एन और पीपीपी मिलाएंगे हाथ?
इस बार पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) को सेना का भी साथ मिला, लेकिन फिर भी पार्टी पूर्ण बहुमत तो क्या 100 का आंकड़ा भी नहीं छू सकी। इस परिणाम ने नवाज शरीफ की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। हालांकि, उम्मीद लगाई जा रही है कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी मिलकर सरकार बनाने वाली है।
हालांकि, चुनाव से पहले पीपीपी नेता बिलावल भुट्टो जरदारी कई बार पीएमएल-एन के साथ हाथ न मिलाने की बात कह चुके हैं। वहीं, बिलावल भुट्टो ने कहा कि सरकार बनाने को लेकर पीएमएल (एन), पीटीआई या किसी भी अन्य पार्टी से बातचीत नहीं हो रही है। उन्होंने आगे कहा, “हम सभी चुनावी क्षेत्रों में मतगणना पूरा होने और नतीजे आने का इंतजार कर रहे हैं।”
प्रधानमंत्री को लेकर रस्साकशी?
पीएमएल-एन और पीपीपी के नेता मिलकर सरकार बनाने की चाहत रखते हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल प्रधानमंत्री पद का है। आसिफ अली जरदारी को ख्वाहिश है कि उनका बेटा पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बने। वहीं, पीएमएल-एन की कोशिश होगी कि नवाज शरीफ या उनके छोटे भाई शहबाज शरीफ ही प्रधानमंत्री बने। हालांकि, सरकार बनाने के लिए दोनों का समझौता को करना ही पड़ेगा।
आजाद उम्मीदवारों का क्या?
चुनावी में दो तरह के आजाद उम्मीदवारों ने बाजी मारी। पहले हैं इमरान खान समर्थित आजाद उम्मीदवार। दूसरे हैं जो इमरान खान का समर्थन नहीं करते। पीएमएल-एन और पीपीपी लगातार इमरान खान समर्थित और इमरान का समर्थन न करने वाले आजाद उम्मीदवारों से बातचीत कर रहे हैं। PTI समर्थित आजाद उम्मीदवार भी अपनी राजनीतिक भविष्य तलाशने में जुटे हैं।
कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीएमएल-एन और पीपीपी की कोशिश है कि इमरान खान समर्थित नेताओं को भी नई सरकार में शामिल की जाए। पाकिस्तान में जीते नेताओं की खरीद-फरोख्त भी की जा सकती है।
चुनाव पर अमेरिकी संसद ने क्या कहा?
आम चुनाव के नतीजों में काफी देरी हो रही है। नवाज शरीफ और मरियम नवाज की नतीजों और चुनाव आयोग के फैसले को लेकर भी काफी सवाल खड़े हो रहे हैं।
वहीं, अमेरिकी सांसदों ने बाइडेन प्रशासन से मांग की है कि वो पाकिस्तान में चुनाव नतीजों को मान्यता न दें। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान चुनाव में धांधली हुई है। जब तक इसकी जांच नहीं हो जाती तब तक चुनाव नतीजों को मान्यता नहीं दी जानी चाहिए। अमेरिकी संसद के अलावा, ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन में भी चुनाव धांधली का मुद्दा उठाया गया।
अन्तर्राष्ट्रीय
जेपी मॉर्गन के CEO बोले- अमेरिका को भी पीएम मोदी जैसे मजबूत नेता की जरुरत
नई दिल्ली। अमेरिकी बैंकिंग फर्म जेपी मॉर्गन चेज के सीईओ जेमी डिमन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि अमेरिका को भी पीएम मोदी जैसे मजबूत नेताओं की आवश्यकता है। जेमी डिमन ने कहा कि पीएम मोदी ने भारत में जबदरस्त और अविश्वसनीय काम किया है। अमेरिका में भी भारत नरेंद्र मोदी की तरह का प्रधानमंत्री होना चाहिए।
इकोनॉमिक क्लब ऑफ न्यूयॉर्क की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जेमी डिमन ने कहा कि मैं अमेरिका के लिबरल प्रेस को जानता हूं, जो लगातार नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हैं। उन्होंने 40 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है.। इस दौरान डिमन ने भारत में गरीबी उन्मूलन, बुनियादी ढ़ांचे आर्थिक विकास समेत कई अन्य विषयों पर खुलकर बात रखीं।
उन्होंने कहा, “अमेरिका के कई अधिकारी भारत को लेकर कई बातें कहते हैं, लेकिन अपना देश कैसे चलाना है इस बारे में सोचने की जरूरत है। भारत में नरेंद्र मोदी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ देशों की सरकारें जलवायु परिवर्तन और श्रम अधिकारों को लेकर भारत की आलोचना करती हैं, जबकि उनके पास शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं है। फिर भी वो डटकर चुनौतियों का समाना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत ने एक नई चलन शुरू की है, जिसमें लोगों को फिंगर प्रिंट और आंख से पहचान की जाती है। यह भी भारत के लिए एक उल्लेखनीय है।
डिमन ने आगे कहा कि भारत मूलभूत सुविधाओं पर काम करते हुए आगे की दिशा में काम कर रहा है। विकासशील देश से विकसित देश की ओर बढ़ने के लिए वहां की सरकार लगातार प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।
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