मनोरंजन
‘मदारी’ की मूल भावना से जरूर प्रभावित होगें आप
सितारे: इरफान खान, जिमी शेरगिल, विशेष बंसल, तुषार दल्वी
निर्देशक: निशिकांत कामत
निर्माता: इरफान खान, शैलेश सिंह, मदन पालीवाल, सुतापा सिकधर, शैलजा केजरीवाल
लेखक: शैलजा केजरीवाल, तुषार हीरानंदानी
संगीत: विशाल भारद्वाज, सनी बावरा, इंद्र बावरा
गीत: इरशाद कामिल
पटकथा-संवाद: रितेश शाह
रेटिंग 3.5 स्टार
फिल्म मदारी की कहानी सिस्टम से हारे हुए एक आम इंसान की कहानी है, जो अपने साथ घटी त्रासदी का सच जानने के लिए देश के एक बड़े मंत्री के बेटे का अपहरण कर लेता है। लेकिन क्या ये अपहरण किसी फिरौती के लिए है या फिर बदला लेने के लिए? बेटे के बदले बेटा या कुछ और?
फिल्म की शुरूआत तेज अंदाज के साथ शुरू होती है। देश के गृहमंत्री प्रशांत गोस्वामी (तुषार दल्वी) के आठ साल के बेटे रोहन (विशेष बंसल) का किसी ने अपहरण कर लिया है। अपहरणकर्ता के बारे में पुलिस के पास कोई सुराग नहीं है। फिरौती की कोई मांग भी नहीं आई है। रोहन कहां है और किस हाल में, इस बारे में भी कुछ पता नहीं है। मामले की जांच एक वरिष्ठ जांच अधिकारी नचिकेत वर्मा (जिमी शेरगिल) को सौंपी जाती है, जिसकी टीम शुरुआती जांच में कम से कम ये तो पता कर ही लेती है कि ये अपहरण पैसों के लिए नहीं किया गया है। और न ही इसमें किसी आतंकी संगठन वगैराह का हाथ है।
तो फिर अपहरणकर्ता है कौन? अपहरण के पीछे उसका क्या मकसद है? इस गुत्थी को सुलझाने के लिए नचिकेत प्रसाय कर ही रहा होता है कि अचानक उसके पास अपहरणकर्ता का एक फोन आता है।
ये बताने के लिए कि रोहन सुरक्षित है। लगातार ठिकाने बदल रहा ये अपहरणकर्ता फिर से गायब हो जाता है। भेष बदल-बदल कर बार-बार वो पुलिस को चकमा दे देता है। काफी मशक्कत के बाद इस मामले में नचिकेत को बड़ी मुश्किल से एक सुराग मिलता है कि ये कोई चोट खाया इंसान है, जिसे सिस्टम की मार ने बदहाल कर दिया है।
काफी गहरी जांच से पता चलता है कि निर्मल कुमार (इरफान खान) नामक मुंबई में रहने वाले एक शख्स के सात साल के बेटे की एक हादसे में मौत हो गई थी। निर्मल उस हादसे के जिम्मेदार लोगों से कुछ सवाल करना चाहता है, जिसमें सबसे प्रमुख है प्रशांत गोस्वामी लेकिन इस बातचीत के लिए निर्मल ने कुछ और बड़ी तैयारियां भी कर रखी है, जिसके बारे में पुलिस और जांच एजेंसी को जरा भी अंदाजा नहीं है।
निर्देशक निशिकांत कामत की ये थ्रिलर फिल्म दो बेहद अच्छे अभिनेताओं के कंधों पर मजबूती से खड़ी दिखती है, जिसमें कहानी से ज्यादा अच्छी लगती है इसकी पटकथा और संवाद।
इरफान और जिमी शेरगिल के संवाद बोलने का अंदाज ही फिल्म में बांधे रखने के लिए काफी है। बावजूद इसके सवा दो घंटे की ये फिल्म काफी लंबी लगती है और कई जगहों से उलझी हुई भी। हालांकि फिल्म का क्लाईमैक्स एक रोचक बातचीत और खुलासे पर आधारित है, जो काफी हद तक फिल्म की जान भी है। लेकिन ऐसा लगता है कि इस दमदार सीन के लिए फिल्म को बेवजह काफी लंबा भी कर दिया है।
यह एक भावनात्मक कहानी है। अस्पताल में अपने बेटे की लाश लेने पहुंचा निर्मल वाला सीन काफी भावुक है। यहां इरफान को देख उनकी फिल्म ‘नेमसेक’ की याद आती है। अपने प्लाट या कहिये मूल स्वभाव से यह फिल्म नीरज पांडे की फिल्म ‘ए वेडनस्डे’ (2008) के काफी करीब लगती है।
रोचक तथ्य है कि ‘ए वेडनस्डे’ और निशिकांत कामत की फिल्म ‘मुंबई मेरी जान’ साल 2008 में एक महीने के अंतराल पर रिलीज हुई थीं। दोनों फिल्मों का सरोकार लगभग एक समान था।
हालांकि चर्चा और सफलता ‘ए वेडनस्डे’ को मिली थी। फिल्म मदारी में कुछेक खामियां जरूर हैं, लेकिन इससे इसकी मूल भावना से मुंह नहीं फेरा जा सकता। न ही इसे पूरी तरह से खारिज किया जा सकता है। मदारी की पंचलाइन है, श श श श… देश सो रहा है। अगर नहीं सो रहा, तो मदारी और उसके डमरू की जरूरत भी नहीं है और अगर वाकई देश सो रहा है तो…
प्रादेशिक
सलमान खान फायरिंग मामला: आरोपी अनुज थापन ने पुलिस कस्टडी में की आत्महत्या
मुंबई। बॉलीवुड के दबंग सलमान खान के घर के बाहर फायरिंग मामले में बड़ा अपडेट सामने आया है। खबर है है कि इस मामले में जो आरोपी पकड़े गए थे, उनमें से एक ने आत्महत्या कर ली है। मरने वाले का नाम अनुज थापन है। अनुज थापन पर फायरिंग केस में हथियार मुहैया करवाने का आरोप था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरोपी अनुज थापन ने कस्टडी में मिलने वाली चद्दर से ही अपनी जान लेने का प्लान बनाया। उसने बाथरूम में चद्दर से फंदा लगाकर अपनी जान ले ली। जैसे ही वहां मौजूद लोगों को इस बात की भनक पड़ी उसे तुरंत पास ही के अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया था। लेकिन GT अस्पताल में पहले उनकी हालत गंभीर बताई गई और फिर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
14 अप्रैल को सलमान खान के घर पर जिन हथियारों से फायरिंग की गई, उन्हें मुहैया कराने का आरोप अनुज पर है। मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अपनी जांच के बाद पंजाब से इस आरोपी को हिरासत में लिया था। 32 साल के अनुज थापन ट्रक के हेल्पर के तौर पर काम करता है। थापन लॉरेंस बिश्नोई गैंग के संपर्क में रहा और इसपर वसूली और आर्म्स एक्ट मामले दर्ज था।
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