प्रादेशिक
कश्मीर में ठंड बढ़ी, तापमान में गिरावट जारी
श्रीनगर| जम्मू एवं कश्मीर में ठंड का असर गुरुवार को भी बरकरार है। यहां न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई। लद्दाख क्षेत्र का लेह कस्बा राज्य का सबसे ठंडा क्षेत्र रहा, जहां गुरुवार को न्यूनतम तापमान शून्य से 16.3 डिग्री सेल्सियस नीचे, जबकि कारगिल कस्बे में न्यूनतम तापमान शून्य से 14.6 डिग्री सेल्सियस नीच दर्ज किया गया।
स्थानीय मौसम विभाग के अधिकारी ने बताया, “श्रीनगर में दिन का अधिकतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस और जम्मू शहर में दिन का अधिकतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस के आसपास दर्ज किए जाने के आसार हैं।”
एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि अगले दो या तीन दिनों तक राज्य में मौसम शुष्क बना रहेगा।
अधिकारी ने कहा कि रात में आसमान साफ रहने और शुष्क मौसम के कारण कश्मीर घाटी और लद्दाख क्षेत्र में न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज किए जाने की संभावना है।
पिछले कुछ सप्ताहों में राज्य के अधिकांश क्षेत्रों में तापमान हिमांक बिंदु से नीचे दर्ज किया गया।
मौसम विभाग के अधिकारी ने कहा, “श्रीनगर शहर में न्यूनतम तापमान गुरुवार को शून्य से चार डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। दिन में धूप खिलने के आसार हैं।”
पर्यटक स्थल गुलमर्ग में बुधवार को न्यूनतम तापमान शून्य से 7.6 डिग्री और पहलगाम में शून्य से 6.7 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया।
राज्य में शुष्क मौसम व रात में आसमान साफ होने की वजह से न्यूनतम तापमान में गिरावट आई है।
जम्मू क्षेत्र के जम्मू शहर में बुधवार का न्यूतनम तापमान 7.2 डिग्री दर्ज किया गया, जबकि बुधवार रात को न्यूतनम तापमान 6.4 डिग्री सेल्सियस रहा।
मौमस विभाग ने कहा कि जम्मू क्षेत्र की अन्य जगह जैसे कटरा कस्बे में बुधवार को न्यूनतम तापमान 9.1 डिग्री, बटोत में 4.1 डिग्री, उधमपुर में 0.7 डिग्री, कठुआ में 5.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं, बनिहाल में 3.2 डिग्री व भदरवाह कस्बे में 0.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
प्रादेशिक
बेंगलुरु इस्कॉन मंदिर में मनाया जा रहा है 25वीं रजत जयंती का ब्रम्ह महोत्सव
लखनऊ। बेंगलुरु “इस्कॉन मंदिर” में भगवान और समाज की सेवा की “25वीं रजत जयंती” के वर्षों को 21 अप्रैल से 03 मई तक चिह्नित करते हुए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि का अविस्मरणीय अलौकिक दिव्य-भव्य “ब्रम्ह महोत्सव” पूजा-अर्चना समारोह आयोजित* हुआ है।
इस दरम्यान *प्रभु मधु पंडित व प्रभु चंचल पति , प्रभु लक्ष्मीपति और प्रभु अनंतवीर्य ने अपने-अपने विचारों से अवगत कराया।
सभी भक्तों को बताया कि *प्रभु पाद जी के त्याग और समर्पण भाव से प्रेरणा* लेनी चाहिए। उन्होंने साथ ही यह भी बताया गृहस्थ जीवन में भी सभी को नियमित ब्रम्हमुहूर्त में महामंत्र का जाप करना चाहिए। श्रीकृष्ण जी की गीता वाणी का अध्ययन करके अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए। इस्कॉन मंदिर में काफी संख्या में भक्तगण राधा कृष्ण का दर्शन करके प्रसादम् और आशीर्वाद लेते हैं। संध्या काल में राधा-कृष्ण पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। मंदिर में अन्य दिनों की अपेक्षा प्रत्येक शनिवार और रविवार को सभी आयु वर्गों के भक्तों की अत्यधिक उपस्थिति रहती है।
*बेंगलुरु में इस्कॉन मंदिर श्री कृष्ण भगवान और समाज की सेवा के 25वीं रजत जयंती के वर्षों को चिह्नित करते हुए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि का “ब्रम्ह महोत्सव का उत्सव” 21 अप्रैल से 03 मई तक मनाया* जा रहा है। इसमें भाग लेने के लिए संपूर्ण भारत के विभिन्न राज्यों से भक्तजन आते हैं।
*इस्कॉन का हरे कृष्ण मंदिर*
इस्कॉन मंदिर (*International Society for Krishna Consciousness) बेंगलुरु की खूबसूरत इमारतों में से एक है*। इस इमारत में कई अत्याधुनिक सुविधाओं में *मल्टी-विजन सिनेमा थियेटर, कम्प्यूटर सहायता प्रस्तुतिकरण थियेटर एवं वैदिक पुस्तकालय और उपदेशात्मक पुस्तकालय* है। इस *मंदिर के अनुयाई सदस्यों व गैर-सदस्यों* के लिए यहां रहने की भी काफी उत्तम सुविधा उपलब्ध है। मालूम हो कि अपनी विशाल सरंचना के कारण *इस्कॉन मंदिर बेंगलुरु में बहुत प्रसिद्ध* है और इसीलिए *बेंगलुरु का सबसे मुख्य पर्यटन स्थान* भी है। इस मंदिर में आधुनिक और *वास्तुकला का दक्षिण भरतीय मिश्रण परंपरागत रूप से पाया जाता* है। मंदिर में अन्य संरचनाएं *बहु दृष्टि सिनेमा थिएटर और वैदिक पुस्तकालय*। मंदिर में भक्तों के लिए रहने कि सुविधाएं भी उपलब्ध है।
*इस्कॉन मंदिर के बैंगलुरु में छ: मंदिर हैं*
*राधा-कृष्ण मंदिर (मुख्य मंदिर)*
*कृष्ण-बलराम मंदिर,*
*निताई गौरंगा मंदिर (चैतन्य महाप्रभु और नित्यानन्दा),*
*श्रीनिवास गोविंदा (वेंकटेश्वरा)*
*प्रहलाद-नरसिंह मंदिर एवं श्रीला प्रभुपादा मंदिर*
*बैकुंठ हिल में तिरुपति बालाजी मंदिर और योग व भोग नरसिम्हा मंदिर*
उत्तर बेंगलुरु के राजाजीनगर में स्थित *राधा-कृष्ण का मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा इस्कॉन मंदिर है*। इस *मंदिर का शंकर दयाल शर्मा ने सन् 1997 में उद्घाटन* किया था।
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