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जस्टिस उदय उमेश ललित बने भारत के 49वें CJI, राष्ट्रपति दौपदी मुर्मु ने दिलाई शपथ

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नई दिल्ली। जस्टिस उदय उमेश ललित ने भारत के 49वें प्रधान न्यायाधीश बन गए। राष्ट्रपति दौपदी मुर्मु ने आज शनिवार को उन्हें प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई। जस्टिस ललित दूसरे ऐसे प्रधान न्यायाधीश हैं जो वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश बने और फिर सीजेआइ बने हैं।

इससे पहले जस्टिस एसएम सीकरी वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट जज बने थे और 1971 में भारत के प्रधान न्यायाधीश नियुक्त हुए थे। प्रधान न्यायाधीश के रूप में जस्टिस ललित का कार्यकाल कुल 74 दिन का है वह 8 नवंबर को सेवानिवृत होंगे।

जस्टिस उदय उमेश ललित भारत के प्रधान न्यायाधीश बने। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित को भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) पद की शपथ दिलाई। जस्टिस ललित भारत के 49 वें प्रधान न्यायाधीश हैं।

शनिवार को सुबह राष्ट्रपति भवन के दरबार हाल में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति दौपदी मुर्मु ने जस्टिस उदय उमेश ललित को भारत के प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई।

समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कानून मत्री किरेन रिजेजु, पियूष गोयल, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश व अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। जस्टिस ललित ने प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ लेने के बाद सबसे पहले शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद अपने पिता के पैर छुए।

9 नवंबर 1957 को जन्में जस्टिस ललित जून 1983 में एडवोकेट के तौर पर इनरोल्ड हुए और दिसंबर 1985 तक उन्होंने बांबे हाई कोर्ट में वकालत की। इसके बाद वे दिल्ली आ गए और यहीं वकालत करने लगे।

अप्रैल 2004 में वह सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील डिजिग्नेट हुए। 13 अगस्त 2014 को वे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए। महाराष्ट्र निवासी ललित के परिवार की कानून में 102 साल की विरासत है। जस्टिस यूयू ललित के दादा रंगनाथ ललित भारत की आजादी से बहुत पहले सोलापुर में एक वकील थे।

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पांचवें चरण में यूपी की इन 14 सीटों पर डाले जा रहे वोट, राहुल-राजनाथ समेत कई दिग्गज मैदान में

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नई दिल्ली। देश में आज पांचवे चरण के लिए मतदान हो रहा है, जिसमें रक्षामंत्री राजनाथ सिंह सहित कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गांधी सहित चुनाव मैदान में है। इसी चरण में देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की भी 14 सीटों पर मतदान है। आज सभी दिग्गज नेताओं की किस्मत ईवीएम में बंद हो जाएगी। हालांकि जिन सीटों पर चुनाव हो रहा है उनमें ज्यादातर सीटें पिछली बार बीजेपी के पास ही थी इसलिए भारतीय जनता पार्टी आश्वत है कि सभी 14 सीटों पर जीत दर्ज होगी।

2019 के चुनाव में सिर्फ रायबरेली को छोड़कर सभी सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। रायबरेली से सोनिया गांधी ने जीत दर्ज की थी. राजनाथ सिंह लखनऊ से तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं। उनके खिलाफ सपा-कांग्रेस गठबंधन से रविदास मेहरोत्रा और बसपा के सरवर अली चुनावी मैदान में हैं।

अमेठी लोकसभा से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक बार फिर से चुनाव लड़ रही हैं। 2019 में उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को हराया था. उनके खिलाफ गांधी परिवार के खास किशोरीलाल शर्मा ताल ठोक रहे हैं। शर्मा का दावा है कि 40 सालों से वो अमेठी की जनता से जुड़े हैं। उन्होंने राजीव गांधी के साथ भी रैलियों में भाग लिया था। इस सीट पर कांग्रेस के बड़े नेताओं का पूरा फोकस है।

वहीं लखनऊ से सटे मोहनलालगंज से केंद्रीय मंत्री और भाजपा उम्मीदवार कौशल किशोर तीसरी बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। उनको सपा-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार आर.के. चौधरी से कड़ी चुनौती मिल सकती है। वहीं बहुजन समाज पार्टी से राजेश कुमार मैदान में हैं। फतेहपुर सीट पर केंद्रीय मंत्री और भाजपा से प्रत्याशी साध्वी निरंजन ज्योति एक बार फिर से चुनावी रण में हैं। वह 2014 और 2019 में जीत दर्ज कर चुकी हैं। सपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल से उनको कड़ी चुनौती मिलने की उम्मीद है। बसपा ने यहां से पिछड़ी जाति के कुर्मी बिरादरी के प्रत्याशी डॉक्टर मनीष सचान को मैदान में उतार कर सपा व भाजपा की धड़कन बढ़ा दी है।

भाजपा ने जालौन सीट से पांच बार के सांसद और वर्तमान में मंत्री भानु प्रताप वर्मा को एक बार फिर से मैदान में उतारा है। उनके खिलाफ सपा-कांग्रेस से नारायण दास अहिरवार मैदान में हैं। अहिरवार बसपा के संस्थापक सदस्य रहे हैं। वह 2007 से 2011 तक मायावती सरकार में मंत्री थे. 2022 में वह सपा में आ गए थे। वैसे इस सीट पर बसपा का अच्छा खासा प्रभाव माना जाता रहा है। 2019 में सपा-बसपा गठबंधन में यह सीट बसपा के खाते में गई थी। इस बार भानू प्रताप का मुकाबला इन्हीं से माना जा रहा है।

इसके अलावा इस चरण में कांग्रेस नेता राहुल गांधी रायबरेली से ताल ठोक रहे हैं. उनका मुख्य मुकाबला भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह से है. राहुल गांधी ने इस चुनाव में वायनाड के अलावा रायबरेली सीट से भी पर्चा भरा है. वायनाड में पहले ही वोटिंग हो चुकी है. रायबरेली गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है. खुद सोनिया गांधी इस सीट से चुनाव जीतती आई हैं. हालांकि इस बार वे राज्यसभा की ओर रुख कर चुकी हैं. लिहाजा राहुल गांधी ने इस सीट से पर्चा भरा है. भाजपा उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह पहले कांग्रेस में रह चुके हैं. 2018 में भाजपा में शामिल हो गए और 2019 में रायबरेली से सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़े. वे 1.67 लाख वोट से हार गए थे. एक बार फिर भाजपा के उम्मीदवार के रूप में यहां से मैदान में हैं.

इसके साथ ही यूपी की कैसरगंज भी काफी चर्चित सीट है. जिसमें बृजभूषण शरण सिंह को इस बार विवादों के चलते भाजपा ने टिकट नहीं दिया. लेकिन उनके बेटे करण भूषण सिंह चुनावी किस्मत आजमा रहे हैं. कौशांबी सीट पर वर्तमान सांसद विनोद सोनकर भी तीसरी बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. उनके खिलाफ महज 25 साल के प्रत्याशी पुष्पेंद्र सरोज समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे हैं

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