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जगदीप धनखड़ ने ली उपराष्ट्रपति पद की शपथ, पीएम मोदी समेत कई दिग्गज रहे मौजूद
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ अब देश के 14वें उपराष्ट्रपति बन चुके हैं। उन्हें आज गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। शपथग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।
धनखड़ को छह अगस्त को उपराष्ट्रपति के रूप में चुना गया था। उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 346 मतों के अंतर से हराया था। लोकसभा सचिवालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 780 मतों में से 725 ने मतदान किया। इनमें से धनखड़ को 528 मत मिले जबकि अल्वा को 182 मत मिले। 50 अनुपस्थित रहे और 15 मत अवैध पाए गए।
धनखड़ जो राज्यसभा के अध्यक्ष भी होंगे वह वैंकेया नायडू की जगह लेंगे। धनखड़ का जन्म राजस्थान के झुंझुनू में हुआ था। राजनीति में आने से पहले एक वकील थे। उन्होंने 1990 में संसदीय मामलों के राज्य मंत्री के रूप में भी काम किया था। 2019 में उन्हें पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ उनके संबंध तल्खी भरे रहे। शपथ ग्रहण से पहले उन्होंने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी।
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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