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ये हैं देश के 5 सबसे अमीर दलित बिजनेसमैन, सलाना करोड़ो का टर्नओवर, लोगों को देते हैं रोजगार
बात अगर दलितों की हो तो कहा जा सकता है कि हर राजनीतिक दल उन्हें अपने वोटों के लिए इस्तेमाल कर चुका है। जमीनी हकीकत अगर देखी जाए तो कोई आज के समय में भी दलित अन्य वर्गों से काफी पीछे हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी दलित हैं जो अपने कठिन मेहनत से सफलता की बुलंदियों तक पहुंच गए हैं। आज हम उन्हीं बिजनेसमैन के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने कठिन संघर्ष के दम पर फर्श से अर्श पर पहुंच गए। इन लोगों का सलाना टर्नओवर करोड़ो का है। साथ ही ये बिजनेसमैन कई लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। आईए जानते हैं कौन हैं ये बिजनेसमैन और क्या है उनकी संघर्ष की कहानी
कल्पना सरोज
मुंबई स्थित कंपनी कमानी ट्यूब्स की चेयरपर्सन कल्पना सरोज का जन्म महाराष्ट्र के एक छोटे से गाँव रोपरखेड़ा के गरीब दलित परिवार में हुआ था। पिता पुलिस हवलदार थे। 12 साल की उम्र में ही उनकी शादी हो गई और वह मुंबई की एक स्लम में रहने लगीं। कल्पना के लिए शादी का अनुभव बुरा रहा। ससुराल वाले उन्हें बहुत परेशान करते थे। मजबूरन उन्हें पिता के घर लौटना पड़ा। उसके बाद उन्होंने अपने चाचा के पास मुंबई जाने का फैसला किया। कल्पना को सिलाई का काम आता था, इसलिए उनके चाचा ने एक कपड़ा मिल में काम दिलाने ले गए। हड़बड़ाहट में कल्पना से सिलाई मशीन नहीं चल पाई। मिल के मालिक ने पहले तो काम देने से मना कर दिया, लेकिन बाद में 2 रुपए रोजाना पर धागा काटने का काम दे दिया।
सब कुछ ठीक हो रहा था कि अचानक उनकी बहन बहुत बीमार रहने लगी और इलाज के पैसे न होने के कारण एक दिन उसकी मौत हो गई। इस हादसे के बाद उन्होंने ठान लिया कि वह अपनी गरीबी खत्म करके रहेंगी। पहले उन्होंने घर में ही कुछ सिलाई मशीने लगा लीं और बाद में कुछ पैसे जोड़कर एक छोटा फर्नीचर बिजनेस शुरू किया। उसके बाद उन्होंने 1 लाख रुपए में एक विवादित प्लॉट खरीदा, जिसकी कीमत बाद में 50 लाख रुपए हो गई। कल्पना ने इस पर कंस्ट्रक्शन कराने के लिए एक बिजनेसमैन से पार्टनरशिप कर ली। मुनाफे में 65 फीसदी कल्पना को मिले और उन्होंने 4.5 करोड़ रूपए कमाए। बाद में वह कर्ज में डूबी कमानी ट्यूब्स से जुड़ीं और उसे प्रोफिटेबल कंपनी बना दिया। 2006 में वह इसकी मालिक बन गईं। आज उनकी कंपनी एक 750 करोड़ की बन चुकी है। उनकी इस उपलब्धि के लिए उन्हें 2013 में पद्म श्री सम्मान भी मिला।
भगवान गवई
भगवान गवई इस वक्त दुबई स्थित साइटेक्स एनर्जी DMCC (पहले सौरभ एनर्जी) के सीईओ व चेयरमैन हैं। उनकी कंपनी पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स, पेट्रोकेमिकल्स की सप्लाई करती है और एविएशन सेक्टर में कंसल्टेंसी और सपोर्ट सर्विस उपलब्ध कराती है। बचपन में भगवान मुंबई में एक स्लम में रहते थे। इससे पहले उन्होंने अपनी मां और भाई-बहनों के साथ कंस्ट्रक्शन वर्कर के तौर पर काम किया। उनका परिवार महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाके से मुंबई आकर बसा था। परिवार की कड़ी मेहनत के चलते भगवान अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सके और हाईस्कूल की परीक्षा 85 फीसदी अंकों के साथ पास की।
उन्होंने HPCL में भी काम किया लेकिन वहां उन्हें जातिगत भेदभाव का शिकार होना पड़ा। इसके चलते उन्होंने नौकरी छोड़ दी और 1991 में ब्रिटेन चले गए। वहां वह ENOC के साथ फोर्थ इंप्लॉई के तौर पर जुड़े और धीरे-धीरे ऑयल सर्किल में अपनी पहचान बना ली। 2003 में एक अरब बिजनेसमैन के साथ उन्होंने खुद की कंपनी शुरू की। पहली साल में इसका टर्नओवर 8 करोड़ डॉलर रहा। बाद में उन्होंने एक और कंपनी मैत्रेयी डेवलपर्स भी शुरू की।
अशोक खड़े
अशोक खड़े इंजीनियरिंग कंपनी दास ऑफशोर के एमडी हैं। उनके पिता मुंबई में एक मोची थे। कई तरह की कठिनाइयों के बावजूद अशोक ने शिक्षा हासिल की और कॉलेज खत्म होने के बाद एक सरकारी शिपयार्ड में काम करने लगे। ऑफशोर मेंटीनेंस और कंस्ट्रक्शन के बारे में जरूरी समझ हासिल करने के बाद उन्होंने खुद की कंपनी शुरू की। धीरे-धीरे उनका बिजनेस फलता-फूलता गया और आज 500 करोड़ रुपए सालाना टर्नओवर वाली उनकी कंपनी हजारों इंप्लॉइज को जॉब दे रही है।
राजा नायक
दलित परिवार में जन्मे राजा नायक के माता-िपता कर्नाटक के एक गांव से बेंगलुरु आया था। उनका परिवार बहुत ही गरीब था। वह चार भाई-बहन थे और गुजारा बहुत मुश्किल से होता था। जब राजा नायक 17 साल के थे तो वह अमिताभ बच्चन की एक फिल्म से प्रेरित हो घर से भागकर मुंबई आ गए। उनका सपना रियल एस्टेट में बड़ा नाम कमाने का था। लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी और वह घर लौट गए लेकिन उन्होंने आस नहीं छोड़ी।
बाद में उन्होंने बीच में ही स्कूली पढ़ाई छोड़कर टीशर्ट, कोल्हापुरी चप्पल और फुटवियर बेचने का काम शुरू किया। उनकी लगन और मेहनत की बदौलत आज वह 60 करोड़ रुपए सालाना का बिजनेस कर रहे हैं। उनकी इंटरनेशल शिपिंग एंड लॉजिस्टिक्स, पैकेजिंग, पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर, वेलनेस आदि क्षेत्रों में कंपनियां हैं। वह कर्नाटका चैप्टर ऑफ दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रेसिडेंट भी हैं। साथ ही कलानिकेतन एजुकेशनल सोसायटी के नाम से समाज के वंचित तबके के लिए स्कूल और कॉलेज भी चलाते हैं।
रतिभाई मकवाना
अहमदाबाद की गुजरात पिकर्स इंडस्ट्रीज के एमडी रतिभाई के पिता खेत में श्रमिक थे। बाद में उन्होंने लेदर पिकर्स बनाने का काम शुरू किया। अपने स्कूली दिनों में रतिभाई को दलित होने के चलते भेदभाव का शिकार होना पड़ा। जब वह 18 साल के हुए तो उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी और पिता के साथ काम करने लगे। उन्होंने अपने पिता के बिजनेस को प्लास्टिक इंटरमीडिएट्स में तब्दील करने में मदद की। कई साल बाद रतिभाई ने युगांडा में शुगर बिजनेस शुरू किया। आज उनका कंपनी का टर्नओवर 380 करोड़ रुपए है।
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पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं: पीएम मोदी
कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मालदा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मेरा बंगाल से ऐसा नाता है जैसे मानो मैं पिछले जन्म में बंगाल में पैदा हुआ था या फिर शायद अगले जन्म में बंगाल में पैदा होना है। इसके साथ ही मोदी ने प्रदेश की सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस पर खूब हमला बोला। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण लगभग 26 हजार परिवारों की शांति और खुशी खत्म हो गई है। पीएम मोदी ने यह बयान कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ के हालिया आदेश के संदर्भ में दिया। जिसमें सरकारी स्कूलों में 25 हजार 753 टीचिंग (शिक्षण) और गैर-शिक्षण नौकरियों को रद्द कर दिया गया था।
पीएम मोदी ने आगे कहा, “नौकरियों और आजीविका के इस नुकसान के लिए केवल तृणमूल कांग्रेस जिम्मेदार है। राज्य सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। जिन लोगों ने पैसे उधार लेकर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को दिए उनकी हालत तो और भी खराब है।” पीएम मोदी ने राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल पर विभिन्न केंद्र-प्रायोजित योजनाओं के तहत दिए गए केंद्रीय फंड के उपयोग के संबंध में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया। पीएम ने कहा, केंद्र सरकार ने राज्य के 80 लाख किसानों के लिए 8 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं। लेकिन राज्य सरकार बाधा उत्पन्न कर रही है, इसलिए किसानों को राशि नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार सभी केंद्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन को खराब करने की कोशिश कर रही है। वे राज्य में आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं होने दे रहे। हमारे पास मालदा जिले के आम किसानों के लिए योजनाएं हैं। लेकिन मुझे चिंता है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता वहां भी कमीशन की मांग करेंगे। पीएम मोदी ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने का प्रयास करने का भी आरोप राज्य सरकार पर लगाया।
उन्होंने कहा कि संदेशखाली में महिलाओं को प्रताड़ित किया गया। मालदा में भी ऐसी ही घटनाओं की खबरें आई थीं। लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हमेशा आरोपियों को बचाने का प्रयास किया है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच तुष्टिकरण की राजनीति की प्रतिस्पर्धा चल रही है। एक तरफ तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस आम लोगों से पैसा जब्त करने और इसे केवल उन लोगों के बीच वितरित करने की योजना बना रही है जो उनके समर्पित वोट बैंक का हिस्सा हैं। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का गुप्त समझौता है।
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