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आध्यात्म

अयोध्या में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भारी भीड़, रामलला के दर्शन के समय में हुआ बदलाव; जानें अपडेट  

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Huge crowd of devotees gathering in Ayodhya

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अयोध्या। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के पांच दिन बाद अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। अयोध्या में आज सुबह हल्का कोहरा देखा गया। ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं के यहां पहुंचने का सिलसिला जारी है। प्रशासन भी भक्तों को चरणबद्ध तरीके से रामलला के दर्शन करा रहा है। 22 जनवरी को राम मंदिर के उद्घाटन से लेकर अब तक रामलला के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कम नहीं हो रही है। मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ है

दर्शन और आरती के समय में बदलाव

वहीं, श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने भक्तों की भारी संख्या को देखते हुए भगवान राम के दर्शन और आरती के समय में बदलाव कर दिया है, जिससे ज्यादा से ज्यादा भक्तों को आसानी से भगवान के दर्शन मिल सकें। विश्व हिंदू परिषद के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा के अनुसार, रामलला की मंगला आरती साढ़े चार बजे और श्रृंगार आरती (उत्थान आरती) सुबह साढ़े छह बजे होगी। इसके बाद भक्तों को सुबह सात बजे से ही दर्शन मिलना शुरू हो जायेगा।

उन्होंने बताया कि भोग आरती दोपहर बारह बजे, संध्या आरती शाम साढ़े सात बजे और नौ बजे रात्रि भोग कराया जायेगा। भगवान की शयन आरती रात दस बजे होगी। ट्रस्ट लगातार परिवर्तन कर लोगों के लिए भगवान का दर्शन सुलभ बना रहा है। इसके पहले मंदिर में प्रवेश द्वार की संख्या दो से बढ़ाकर छह कर दी गई थी।

वहीं, अयोध्या जोन के आईजी प्रवीण कुमार ने कहा कि “यहां भारी संख्या में लोग आ रहे हैं। कल भी तीन लाख से ज्यादा लोगों ने दर्शन किए हैं। हम सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करा रहे हैं। प्रशासन द्वारा भी सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की गई हैं।

पौष पूर्णिमा पर रामनगरी में उमड़े ढाई लाख भक्त

बृहस्पतिवार को पौष पूर्णिमा पर रामनगरी में जयघोष गूंजता रहा। अयोध्या पहुंचे भक्तों ने न सिर्फ पावन सरयू में पुण्य की डुबकी लगाई, बल्कि रामलला के दर्शन को भी आतुर दिखे। रामनगरी सुबह चार बजे से ही से भक्तों से गुलजार हो गई। प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक पौष पूर्णिमा पर करीब ढाई लाख भक्तों ने अयोध्या आकर सरयू स्नान व मठ-मंदिरों में दर्शन किए।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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