आध्यात्म
हिंदू नव वर्ष प्रारंभ, बन रहा कई राजयोग; इन तीन राशियों के लिए बेहद शुभ
नई दिल्ली। हिंदू नव वर्ष यानी विक्रम सम्वत 2080 की शुरुआत आज चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तदनुसार 22 मार्च से हो रही है। 22 मार्च से शुरू हो रहे इस नववर्ष पर कई राजयोगों का निर्माण हो रहा है। आज 22 मार्च सुबह 5 बजे की कुंडली के अनुसार शनि और गुरु अपनी अपनी राशि में विराजमान है।
शनि का मंगल और केतु दोनों के साथ नवपंचम राजयोग बना हुआ है। मंगल केतु भी एक दूसरे से पंचम और नवम भाव में विराजमान होकर शुभ है।
मीन राशि में सूर्य बुध की युति से बुध आदित्य योग वही चन्द्रमा गुरु की युति से गजकेसरी योग बना हुआ है। राहु भी पराक्रम भाव में विराजमान होकर योगों की शुभता में वृद्धि कर रहे है वही आध्यात्म के कारक केतु नवम भाव में विराजमान है।
नव वर्ष की शुरुआत बुधवार से हो रही है और बुध बलवान है। ऐसे में यह वर्ष 3 राशि के जातकों के लिए बेहद शुभ रहने वाला है। आइये जानते है कि वो 3 राशियां कौन सी है।
वृष राशि
इस राशि के जातकों के लिए इस समय ग्रहों का योग बेहद शुभ है। आपके एकादश भाव में बलवान गजकेसरी योग बनने से इस साल आपको आर्थिक रूप से समृद्धि मिलने वाली है।
अगर आप कहीं निवेश करने की सोच रहे है तो आपके लिए समय बेहद अच्छा है। इस समय आपको अपने कार्यों में पूर्ण सफलता मिलेगी।
आपके परिवार के सदस्य पूरी तरह से आपका साथ देंगे और आप नए भवन का भी निर्माण करवा सकते है। शनि की कृपा से कार्य स्थल पर आपका परचम लहराता रहेगा।
तुला राशि
इस राशि के जातकों के लिए नववर्ष की शुरुआत शानदार होने जा रही है। इस समय शनि पंचम में और मंगल नवम में विराजमान होकर आपके भाग्य की वृद्धि कर रहे है।
छठे भाव में बलवान राजयोग बन रहे है जिसके कारण आपके शत्रु नष्ट होंगे। इस समय आपको अपने भाग्य का पूरा साथ मिलने वाला है।
इस वर्ष अपने पिता के सहयोग से सफलता मिलेगी। अगर उच्च शिक्षा में बाधा आ रही थी तो अब वो दूर होने जा रही है। भाई बहन के रिश्ते में जो तनाव आ गया था वो अब दूर होने की पूरी उम्मीद है।
मीन राशि
इस राशि के जातकों के लिए बुध आदित्य योग, गजकेसरी योग लग्न में ही बने हुए है। इसके प्रभाव से आपके आत्मसम्मान में वृद्धि होगी। इस समय आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल होंगे।
इस दौरान अगर आप नए काम की शुरुआत करने की सोच रहे है तो समय शुभ है। आपके वैवाहिक जीवन के लिए भी ये राजयोग बेहद शुभ रहने वाले है।
शिक्षक, लेखक और अध्ययन से जुड़े लोगों को प्रसिद्धि प्राप्त होगी। यह वर्ष आपके आध्यात्मिक जीवन के लिए भी बेहद शुभ रहने वाला है। जो गुप्त विद्याओं में रूचि ले रहे है उन्हें इस साल शुभ परिणाम प्राप्त होंगे।
डिसक्लेमर: उपरोक्त जानकारी के पूर्णतया सत्य व सटीक होने का हमारा दावा नहीं है। अपनाने से पूर्व संबंधित विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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