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बनारस के घाटों को हंस फाउंडेशन ने दी नई पहचान

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देहरादून का बनारस घाट, हंस फाउंडेशन ने दी नई पहचान, वोट एम्बुलेंस दे रही पीडि़तों को प्राण

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Bhole Maharaj Mangla Mataji

देहरादून। बनारस का गंगा महल घाट। यह एक ऐतिहासिक घाट है। इस घाट पर देश-दुनिया के लाखों श्रद्धालु हर साल आते हैं। यहां गंगा आरती भी होती है, लेकिन पिछले तीस साल से इस घाट की किसी ने भी सुध नहीं ली, लेकिन पिछले दो महीने से अब यहां के हालात बदले हुए हैं। घाट चकाचक है और यहां गंदगी दूर-दूर तक नजर नहीं आती है। लोगों को सफाई के प्रति जागरूक किया जा रहा है। इस ऐतिहासिक घाट के बदले हालात का श्रेय सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाली प्रमुख संस्था हंस फाउंडेशन को जाता है। इस गैर सरकारी संगठन ने बनारस के घाटों को नई पहचान देने का काम किया है। इस घाट के अलावा यहां के दूसरे प्रमुख घाट रीवा का कायाकल्प भी हंस फाउंडेशन ने ही किया है।

वोट एम्बुलेंस दे रही पीडि़तों को प्राण

इस आशय की जानकारी देते हुए हंस फाउंडेशन की प्रवक्ता विधु शर्मा ने कहा कि फाउंडेशन का उद्देश्य जनसेवा व मानव कल्याण है। उन्होंने बताया कि बनारस में उपरोक्त दो घाटों के अलावा दो कुंड पिचाश मोचन और संकुल धारा को भी फाउंडेशन ने गोद लिया हैै। इनकी देखरेख की जिम्मेदारी फाउंडेशन की है। हंस फाउंडेशन ने गंगा महल घाट से ही एक वोट एम्बुलेंस भी शुरू की है। यह वोट एम्बुलेंस गंगा में कोई हादसा होने, या किसी श्रद्धालु या ग्रामीण के बीमार होने की स्थिति में हर वक्त तैयार रहती है। इस एम्बुलेंस में दो डाक्टर, दो नर्स व जीवन रक्षा प्रणाली उपलब्ध है। इसके अलावा दो गोताखोर भी वोट एम्बुलेंस में आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहते हैं। इस वोट को रोड एम्बुलेंस से जोड़ा गया है। आपातकालीन स्थिति में वोट एम्बुलेंस का उपयोग कर रोड एम्बुलेंस से मरीज या पीडि़त को बीएचयू के अस्पताल तक पहुंचाया जाता है। यह सुविधा पूरी तरह से निशुल्क है। वोट एम्बुलेंस वर्ष 2015 से ही शुरू कर दी गई है। गौरतलब है कि वोट एम्बुलेंस हंस फाउंडेशन ने पहली वोट एम्बुलेंस 2005 में सुंदरवन में शुरू की थी। प्रवक्ता विधु के अनुसार पीएमओ से मिली लिस्ट के आधार पर इन घाटों व कुंडों को गोद लिया गया है।

बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे अलवर के ग्रामीणों की प्यास बुझायी

हंस फाउंडेशन उत्तराखंड और राजस्थान में भी समाज के हित में काम कर रहा हैै। फाउंडेशन ने हाल में अलवर के 17 गांवों को गोद लिया है। इन गांवों में गरीब व विधवाओं को फाउंडेशन ने दो-दो भैंस दीं। इन भैंसों के लिए शेड भी बनवाए साथ ही एक माह का चारा भी दिया गया। फाउंडेशन ने ग्रामीणों द्वारा दूध को बेचने के लिए मार्केट भी उपलब्ध की है, इसके लिए एक चिलिंग प्लांट भी अलवर में लगाया गया हैै। ग्रामीण यहां दूध लेकर आते हैं और इसके बदले में उन्हें दूध का मेहनताना तुंरत या सुविधानुसार मिल जाता है। इसके अलावा यहां की महिलाओं को चिलिंग प्लांट परिसर में ही हस्तशिल्प का काम भी सिखाया जाता है। यहां तैयार खिलौने व अन्य उत्पादों को देश-विदेश में बेचा जाता है और इससे होने वाली आय को ग्रामीणों में बांट दिया जाता है।

अलवर के 17 गांवों को गोद लिया

प्रवक्ता विधु शर्मा के अनुसार अलवर जिले में भारी जलसंकट है। हंस फाउंडेशन ने बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे लोगों की समस्या को समझा और वहां हर गांव में न सिर्फ सबमर्सिबल लगवाए बल्कि एक एक वाटर टैंक भी बनवाए। इसके बाद इन गांवों की पेयजल समस्या समाप्त हो गयी। प्रवक्ता विधु शर्मा बताती हैं कि जब हम गांव गये तो गांव की महिलाएं पानी का गिलास लेकर स्वागत के लिए आ पहुंची। वह एक भावुक क्षण था जब ग्रामीण महिलाएं हमसे अनुरोध करने लगी कि आप गांव में पानी लाए हो तो एक गिलास पानी जरूर पी लें। वह बतातीं हैं कि हम तेरह-चैदह गांवों में गये तो हर महिला ने गीत गाते हुए हमें एक-एक गिलास पानी पिलवाया। प्रवक्ता विधु शर्मा का कहना है कि समाजसेवा के यह सभी कार्य भोलेजी महाराज और माता मंगला के कुशल मार्गदर्शन में हो रहे हैंै। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड, उड़ीसा, गुजरात, महाराष्ट्र व संपूर्ण भारत में हंस फाउंडेशन समाजसेवा व जनहित से जुड़े कार्य कर रहे हैं।

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बिहार के भागलपुर में भोजपुरी एक्ट्रेस का फंदे से लटकता मिला शव, वाट्सएप पर लगाया था ऐसा स्टेटस

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भागलपुर। बिहार के भागलपुर में भोजपुरी एक्ट्रेस अन्नपूर्णा उर्फ अमृता पांडेय की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई मरने से पहले अमृता पांडे ने अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर लिखा है कि दो नाव पर सवार है उसकी जिंदगी…हमने अपनी नाव डूबा कर उसकी राह को आसान कर दिया। अमृता के इस स्टेटस से कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने सुसाइड किया है। हालांकि पुलिस अभी इस मामले पर कुछ भी बोलने से बच रही है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के असली कारणों का पता चलेगा।

परिवार वालों ने बताया कि करीब 3.30 बजे अमृता की बहन उसके कमरे में गई। वहां वह फंदे से लटकी हुई थी। आनन फानन में उसके फंदे से चाकू से काट​कर तत्काल परिवार वाले स्थानीय निजी अस्पताल ले गए, लेकिन वहां उसे मृत बता दिया गया। परिजनों ने बताया कि शुक्रवार की रात उन लोगों ने काफी मस्ती की थी। फिर अचानक से क्या हुआ। किसी को समझ नहीं आ रहा। परिजनों ने बताया कि अमृता की शादी 2022 में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर निवासी चंद्रमणि झांगड़ के साथ हुई थी। वे मुंबई में एनिमेशन इंजीनियर हैं। अब तक उन लोगों को बच्चे नहीं हैं।

अमृता ने मशहूर भोजपुरी एक्टर खेसारी लाल यादव समेत कई दिग्गज कलाकारों के साथ काम किया है. साथ ही कई सीरियल, वेब सीरज और विज्ञापन में भी काम किया है। बहन के मुताबिक, अमृता कैरियर को लेकर काफी परेशान रहती थी। वह काफी डिप्रेशन में थी। इस वजह से वह इलाज भी करा रही थी। अमृता भोजपुरी फिल्मों के अलावा कुछ वेब सीरीज में काम में रही थी. हाल ही में अमृता की हॉरर वेब सीरीज प्रतिशोध का पहला भाग रीलिज हुआ है।

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