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मनोरंजन

फेमस रेडियो अनाउंसर अमीन सयानी का निधन, 91 साल की उम्र में हार्ट अटैक से गई जान

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मुंबई।प्रसिद्ध रेडियो अनाउंसर अमीन सयानी का 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया। जानकारी के मुताबिक मंगलवार की रात उन्हें दिल का दौरा पड़ा जिसके बाद उन्हें मुंबई के एचएन रिलायंस अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके बेटे राजिल सयानी ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि अमीन सयानी ने बीती रात अस्पताल में अंतिम सांस ली। हार्ट अटैक से उनकी मौत हुई। राजिल ने आगे बताया, ‘अंतिम संस्कार को लेकर जल्द अपडेट दिया जाए।’

बता दें कि वह रेडियो/विविध भारती के सबसे जाने-माने अनाउंसर व टॉक शो होस्ट में से एक थे। अमीन सयानी ने अपनी आवाज और कार्यक्रम की प्रस्तुति से देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी ख्याती पाई। इनका मशहूर कार्यक्रम बिनाका गीतमाला रेडियो सिलोन पर प्रसारित होता था। अमीन सयानी ने 1951 में अपने रेडियो करियर की शुरुआत की थी।

अमीन सयानी का जन्म 21 दिसंबर, 1932 को मुंबई में ही हुआ था। उन्होंने अपना करियर एक अंग्रेजी प्रेजेंटर के रूप में शुरू किया लेकिन आजादी के बाद उन्होंने हिंदी की ओर रुख किया। माना जाता है कि साल 1952 में प्रसारित होने वाले शो ‘गीतमाला’ से अमीन सयानी को प्रसिद्धि मिली थी। चार्ट-टॉपिंग हिट्स वाला यह कार्यक्रम दक्षिण एशिया का एक बेहतरीन कार्यक्रम साबित हुआ और लंबे समय तक चला।

खेल-कूद

मेरी व्यक्तिगत इच्छा है कि रिंकू सिंह टी 20 वर्ल्ड कप की टीम में जगह बनाए: शाहरुख खान

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मुंबई। बॉलीवुड के किंग खान शाहरुख खान ने आगामी टी-20 विश्व कप के लिए अपनी टीम कोलकाता नाइट राइडर्स के बाएं हाथ के बल्लेबाज रिंकू सिंह को भारतीय टीम में शामिल करने का सपोर्ट किया है। शाहरुख की इच्छा है कि रिंकू सिंह टी 20 वर्ल्ड कप खेलें। रिंकू की विश्व कप संभावनाओं को लेकर शाहरुख ने कहा, “ऐसे अद्भुत खिलाड़ी देश के लिए खेल रहे हैं। मैं वास्तव में रिंकू, इंशाअल्लाह और अन्य टीमों के कुछ अन्य युवाओं के विश्व कप टीम में होने का इंतजार कर रहा हूं। उनमें से कुछ इसके हकदार हैं, लेकिन मेरी व्यक्तिगत इच्छा है कि रिंकू टीम में जगह बनाये, मुझे बहुत खुशी होगी। वह मेरे लिए सर्वोच्च बिंदु होगा।”

शाहरुख़ ने आगे कहा, ‘मैं बस यही चाहता हूं कि वे खुश महसूस करें और जब मैं इन लड़कों को खेलते हुए देखता हूं, तो मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं खुद एक खिलाड़ी के रूप में जी रहा हूं। खासकर रिंकू और नितीश जैसे खिलाड़ियों में मैं खुद को उनमें देखता हूं। जब वे अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो मुझे वास्तव में खुशी होती है।” ऐसी दुनिया में जहां सफलता को अक्सर विशेषाधिकार और अवसर के साथ जोड़ा जाता है, शाहरुख खान और रिंकू सिंह की कहानियां एक अनुस्मारक के रूप में काम करती हैं कि महानता लचीलापन, दृढ़ संकल्प और सभी बाधाओं के बावजूद अपने सपनों को आगे बढ़ाने के साहस से पैदा होती है।’

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक श्रमिक वर्ग के परिवार में जन्मे रिंकू सिंह को क्रिकेट स्टारडम की राह में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। साधारण परिवेश में पले-बढ़े रिंकू के परिवार को गुजारा करने के लिए संघर्ष करना पड़ता था, उनके पिता एलपीजी सिलेंडर डिलीवरी मैन के रूप में काम करते हैं और उनकी मां एक गृहिणी हैं। सफाईकर्मी की नौकरी की पेशकश के बावजूद, रिंकू ने क्रिकेट के प्रति अपने जुनून का पालन किया, उनका मानना ​​था कि यह उन्हें अधिक ऊंचाइयों तक ले जाएगा।

 

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