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उत्तर प्रदेश

सीएम योगी के प्रयासों से खेतों में फसल अवशेष जलाने की परंपरा में आई कमी

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लखनऊ : चंद रोज बाद गेहूं की कटाई होने वाली है। कंबाइन से कटाई के बाद खेतों में ही फसल अवशेष जलाने की आम परंपरा रही है। हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से इसमें काफी कमी आई है। सरकार पराली जलाने से पर्यावरण, जमीन की उर्वरता आगजनी के खतरे और पशुओं के चारे के आसन्न संकट को लेकर व्यापक जागरूकता अभियान चला रही है। साथ ही फसल अवशेष को सहजने के लिए अनुदान पर कृषि यंत्र इनकी कंपोस्टिंग के के बायो डी कंपोजर भी उपलब्ध करा रही है।

बावजूद इसके अगर गेंहू की कटाई के बाद खरीफ की अगली फसल लेने के बाबत सोच रहे हैं तो रुकिए और सोचिए। आप खेत के साथ अपनी किस्मत खाक करने जा रहे हैं। यह खुद के पांव में कुल्हाड़ी मारने जैसा है। क्योंकि डंठल के साथ फसल के लिए सर्वाधिक जरूरी पोषक तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश (एनपीके) के साथ अरबों की संख्या में भूमि के मित्र बैक्टीरिया और फफूंद भी जल जाते हैं। भूसे के रूप में पशुओं का हक तो मारा ही जाता है।

फसल अवशेष में है पोषक तत्वों का खजाना

शोधों से साबित हुआ है कि बचे डंठलों में एनपीके की मात्रा क्रमश: 0.5, 0.6 और 1.5 फीसद होती है। जलाने की बजाए अगर खेत में ही इनकी कंपोस्टिंग कर दी जाय तो मिट्टी को एनपीके की क्रमश: 4 , 2 और 10 लाख टन मात्रा मिल जाएगी। भूमि के कार्बनिक तत्वों, बैक्टिरिया फफूंद का बचना, पर्यावरण संरक्षण और ग्लोबल वार्मिग में कमी बोनस होगा। अगली फसल में करीब 25 फीसद उर्वरकों की बचत से खेती की लागत में इतनी ही कमी आएगी और लाभ इतना ही बढ़ जाएगा।

गोरखपुर एनवायरमेंटल एक्शन गु्रप के एक अध्ययन के अनुसार प्रति एकड़ डंठल जलाने पर पोषक तत्वों के अलावा 400 किग्रा उपयोगी कार्बन, प्रतिग्राम मिट्टी में मौजूद 10-40 करोड़ बैक्टीरिया और 1-2 लाख फफूंद जल जाते हैं।

उप्र पशुधन विकास परिषद के पूर्व जोनल प्रबंधक डा. बीके सिंह के मुताबिक प्रति एकड़ डंठल से करीब 18 क्विंटल भूसा बनता है। सीजन में भूसे का प्रति क्विंटल दाम करीब 400 रुपए माना जाए तो डंठल के रूप में 7200 रुपये का भूसा नष्ट हो जाता है। बाद में यही चारा संकट का कारण बनता है।

फसल अवशेष के अन्य लाभ

-फसल अवशेष से ढकी मिट्टी का तापमान सम होने से इसमें सूक्ष्मजीवों की सक्रियता बढ़ जाती है,जो अगली फसल के लिए सूक्ष्म पोषक तत्व मुहैया कराते हैं।

– अवशेष से ढकी मिट्टी की नमी संरक्षित रहने से भूमि के जल धारण की क्षमता भी बढ़ती है। इससे सिंचाई में कम पानी लगने से इसकी लागत घटती है। साथ ही दुर्लभ जल भी बचता है।

क्या करें

डंठल जलाने के बजाए उसे गहरी जुताई कर खेत में पलट कर सिंचाई कर दें। शीघ्र सड़न के लिए सिंचाई के पहले प्रति एकड़ 5 किग्रा यूरिया का बुरकाव कर सकते हैं। इसके लिए कल्चर भी उपलब्ध हैं। और कई तरह के कृषि यंत्र भी। सरकार का प्रयास है कि वह ऐसे प्लांट लगाए जिनमें पराली से बायो कंप्रेस्ड गैस और बेहतर गुणवत्ता की कंपोस्ट खाद बने। हाल ही में गोरखपुर के धुरियापार में एक ऐसे ही प्लांट का उद्घाटन हो चुका है। केंद्र सरकार की मदद से प्रदेश में ऐसे 100 प्लांट लगाने की योजना है। फिर तो ठूंठ से भी किसानों के ठाठ होंगे। स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार मिलेगा। किसानों की आय भी बढ़ेगी। बड़ी मात्रा में बेहतर किस्म की कंपोस्ट मिलने से जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा।

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उत्तर प्रदेश

गाजियाबाद में रिटायर्ड जवान ने बेटी के दोस्त की गोली मारकर की हत्या, पुलिस पूछताछ में कही ये बात

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गाजियाबाद। यूपी के गाजियाबाद में एक इंजीनियरिंग के छात्र की एक शख्स ने गोली मारकर हत्या कर दी। मिली जानकारी के मुताबिक, ये छात्र एक लड़की के साथ रिलेशनशिप में था। लड़की के पिता ने छात्र को पांच गोलियां मारीं।

मामला जिले के क्रॉसिंग रिपब्लिक इलाके का है। पुलिस उपायुक्त (ग्रामीण) विवेक चंद्र यादव ने कहा, ‘बीटेक छात्र विपुल (25) की एक रिटायर्ड सुरक्षाकर्मी ने गोली मारकर हत्या कर दी। यह घटना शुक्रवार सुबह क्रॉसिंग रिपब्लिक थानाक्षेत्र के एक फ्लैट में हुई।’

आरोपी राजेश कुमार सिंह बीएसएफ से रिटायर्ड है और वर्तमान में एक निजी सुरक्षा फर्म में कार्यरत है। अधिकारी ने कहा, ‘विपुल कथित तौर पर आरोपी की बेटी के साथ रिश्ते में था।’ अधिकारी ने कहा, ‘आरोपी रात में फ्लैट पर पहुंचा। विपुल के साथ उसकी बहस हुई जिसके बाद उसने विपुल को पांच गोलियां मार दीं।’

पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवाकर मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि आरोपी विपुल के साथ अपनी बेटी के रिश्ते के खिलाफ था।

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