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छिंदवाड़ा लोकसभा सीटः क्या कमलनाथ बचा पाएंगे अपना गढ़ या खिलेगा कमल, जानिए यहां!

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भोपाल। मध्य प्रदेश के दक्षिणी हिस्से में स्थित  छिंदवाड़ा यहां की हाईप्रोफाइल सीटों में से एक है। छिंदवाड़ा लोकसभा सीट के अंतर्गत विधानसभा की 7 सीटें आती हैं-जुन्नारदेव, सौंसर, पंधुरना, अमरवारा, छिंदवाड़ा, चुरई,पारसिया। इन सभी सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। अभी तक यह क्षेत्र कांग्रेस के दिग्गज नेता और राज्य के मुख्यमंत्री कमलनाथ का गढ़ रहा है।

एक समय देश का सबसे पिछड़ा माना जाने वाला इलाका छिंदवाड़ा,आज एक एजुकेशन हब बन चुका है। छिंदवाड़ा के पास खुद का अपना विकास का मॉडल भी है। इसका पूरा श्रेय यहाँ के मुख्यमंत्री कमलनाथ को जाता है। इस शहर में कमलनाथ ने सड़कों का जाल बिछाया साथ ही उन्होंने स्किल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट भी बनवाया।

कमलनाथ साल 1980 से इस सीट से लोकसभा चुनाव जीतते आ रहे हैं। 1980 में हुए लोकसभा चुनाव मे पहली बार कांग्रेस की ओर से कमलनाथ को मैदान में उतारा गया और उन्होंने अपने पहले ही चुनाव में जीत हासिल कर अपने राजनीतिक करियर की एक शानदार शुरुआत की। कमलनाथ को 1980 से लेकर 1991 तक हुए 3 चुनावों में जीत हासिल हुई।

1997 में छिंदवाड़ा की जनता ने कमलनाथ को हरा कर पहली बार उन्हें निराश कर दिया था। लेकिन फिर 1998 से लेकर 2014 तक इस सीट पर हुए 5 चुनावों में सिर्फ और सिर्फ कमलनाथ का ही जादू चला। बीजेपी ने उन्हें हराने की हर कोशिश की, लेकिन उसके सारे प्रयास नाकाम रहे।

कमलनाथ की पकड़ इस क्षेत्र में कितनी मजबूत है  इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 2014 में मोदी लहर आने पर भी वह अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे। अब जब वह राज्य के मुख्यमंत्री हैं तो ऐसे में उम्मीद की जा रही है की वह इस बार का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। बीजेपी के पास इस बार इतिहास रचने का बेहतरीन मौका है। कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद खाली हुई इस सीट पर कांग्रेस अब दबदबा कायम रख पाती है या बीजेपी कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाने में कामयाब हो जाती है।

Edited by: मानसी शुक्ला

नेशनल

पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं: पीएम मोदी

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कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मालदा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मेरा बंगाल से ऐसा नाता है जैसे मानो मैं पिछले जन्म में बंगाल में पैदा हुआ था या फिर शायद अगले जन्म में बंगाल में पैदा होना है। इसके साथ ही मोदी ने प्रदेश की सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस पर खूब हमला बोला। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण लगभग 26 हजार परिवारों की शांति और खुशी खत्म हो गई है। पीएम मोदी ने यह बयान कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ के हालिया आदेश के संदर्भ में दिया। जिसमें सरकारी स्कूलों में 25 हजार 753 टीचिंग (शिक्षण) और गैर-शिक्षण नौकरियों को रद्द कर दिया गया था।

पीएम मोदी ने आगे कहा, “नौकरियों और आजीविका के इस नुकसान के लिए केवल तृणमूल कांग्रेस जिम्मेदार है। राज्य सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। जिन लोगों ने पैसे उधार लेकर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को दिए उनकी हालत तो और भी खराब है।” पीएम मोदी ने राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल पर विभिन्न केंद्र-प्रायोजित योजनाओं के तहत दिए गए केंद्रीय फंड के उपयोग के संबंध में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया। पीएम ने कहा, केंद्र सरकार ने राज्य के 80 लाख किसानों के लिए 8 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं। लेकिन राज्य सरकार बाधा उत्पन्न कर रही है, इसलिए किसानों को राशि नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार सभी केंद्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन को खराब करने की कोशिश कर रही है। वे राज्य में आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं होने दे रहे। हमारे पास मालदा जिले के आम किसानों के लिए योजनाएं हैं। लेकिन मुझे चिंता है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता वहां भी कमीशन की मांग करेंगे। पीएम मोदी ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने का प्रयास करने का भी आरोप राज्य सरकार पर लगाया।

उन्होंने कहा कि संदेशखाली में महिलाओं को प्रताड़ित किया गया। मालदा में भी ऐसी ही घटनाओं की खबरें आई थीं। लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हमेशा आरोपियों को बचाने का प्रयास किया है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच तुष्टिकरण की राजनीति की प्रतिस्पर्धा चल रही है। एक तरफ तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस आम लोगों से पैसा जब्त करने और इसे केवल उन लोगों के बीच वितरित करने की योजना बना रही है जो उनके समर्पित वोट बैंक का हिस्सा हैं। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का गुप्त समझौता है।

 

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