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आध्यात्म

श्री कृष्ण की मूर्ति का टूटा हाथ,रोते हुए पुजारी पहुंचा अस्पताल, हुआ इलाज

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सोशल मीडिया पर आए दिन कई वीडियो सामने आते रहते हैं। अब ऐसा ही एक हैरान करने वाला वीडियो आगरा से सामने आया है। ये आए दिन वायरल होने वाले वीडियो से काफी अलग है। इस घटना को जान कर आप भी ये सवाल करेंगे कि क्या वास्तव में ऐसा हो सकता है भला। आज तक आपने ऐसा कुछ भगवान के भजनों और गीतों में सुना होगा।

मूर्ति का इलाज कराने अस्पताल पंहुचा पुजारी

दरअसल, आगरा के जिला अस्पताल में मौजूद लोग उस वक्त बिल्कुल हैरान रह गए जब एक पुजारी भगवान कृष्ण की मूर्ति का इलाज करवाने आया। पुजारी मूर्ति के टूटे हाथ की पट्टी करवाने अस्पताल पहुंचा। इतना ही नहीं वो रो रहा था और अपना सिर लोहे या स्टील की रॉड पर पटक रहा था।

स्नान कराते वक्त फिसल कर गिरी थी मूर्ति

पुजारी ने अस्पताल के स्टाफ से घटना के बारे में बताया कि कैसे उनके कृष्णा के हाथ टूट गए। पुजारी ने कहा कि सुबह जब वह कृष्ण की मूर्ति को स्नान करा रहा था तो मूर्ति फिसल गई और मूर्ति का हाथ टूट गया। कुछ समय तक अस्पताल में यह दृश्य यूं ही चलता रहा। बाद में अस्पताल के स्टाफ ने श्री कृष्णा के नाम से रजिस्ट्रेशन किया और फिर मूर्ति के हाथों में पट्टी बांधी।

पुजारी ने कहा, ‘जब मैं सुबह प्रार्थना कर रहा था और भगवान की मूर्ति को स्नान करा रहा था, तो मूर्ति फिसल गई और उसका हाथ टूट गया। मुझे इस बात से बहुत धक्का लगा, क्योंकि मैं अपने भगवान से बहुत जुड़ा हूं। इसी वजह से मैं जिला अस्पताल में मूर्ति लेकर पहुंचा। मेरी गुहार को अस्पताल में किसी ने भी गंभीरता से नहीं लिया। मैं अंदर से टूटा हुआ था इसलिए अपने भगवान के लिए रोने लगा।’

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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