अन्तर्राष्ट्रीय
बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी पार्टी के प्रमुख को फांसी दी
ढाका। बांग्लादेश ने बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी पार्टी के प्रमुख मोतिउर रहमान निजामी को फांसी दे दी है। निजामी 1971 के स्वाधीनता संघर्ष के दौरान युद्ध अपराधों को अंजाम देने के दोषी पाए गए थे।
बांग्लादेश के अधिकारियों ने निजामी को फांसी देने का आदेश दिया। निजामी ने अपने मृत्युदंड के खिलाफ राष्ट्रपति के समक्ष क्षमा याचना की मांग नहीं की थी। निजामी नवंबर 2000 से बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख थे।
गृहमंत्री असदुज्जमान खान ने मंगलवार रात मीडिया को बताया, “उनकी फांसी के आदेश दे दिए गए हैं। उन्होंने राष्ट्रपति से क्षमा याचना देने की मांग नहीं की थी।”
इस औपचारिक घोषणा से करीब आधा घंटा पहले निजामी (74) के परिजन ढाका केंद्रीय कारागार में आखिरी बार उनसे मिलने पहुंचे थे, क्योंकि अधिकारियों ने उन्हें फांसी देने की पूरी तैयारी कर ली थी।
बांग्लादेश की शीर्ष अदालत ने पांच मई को निजामी द्वारा मृत्युदंड के खिलाफ की गई उसकी अंतिम कानूनी अपील खारिज कर दी थी। अक्टूबर 2014 को एक विशेष ट्रिब्यूनल ने निजामी को फांसी की सजा सुनाई थी।
निजामी 2001-2007 के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के मंत्रिमंडल में कृषि और उद्योग मंत्री रह चुके थे।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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