आध्यात्म
अयोध्या: श्रीराममंदिर के गर्भगृह में होंगे दो रामलला, हर रामनवमी को होगा ये ‘चमत्कार’
अयोध्या। धर्मनगरी अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर बने भव्य मंदिर में अब प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव की तैयारियां हो रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी के प्रधान सचिव रहे नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि मंदिर के गर्भगृह में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा हो जाएगी। गर्भगृह में दो मूर्तियां होंगी। एक मूर्ति में श्रीराम पांच साल के बालक के तौर पर दर्शन देंगे। बाल्यवस्था वाली मूर्ति की ऊंचाई 51 इंच होगी।
दूसरी मूर्ति में रामलला वर्तमान स्वरूप में नजर आएंगे। अभी जो मूर्ति राम मंदिर में है, वही रामलला विराजमान के तौर पर सुप्रीम कोर्ट में पक्षकार थे। हर साल जब रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे श्रीराम की मूर्ति पर सूरज की किरणें चमक बिखेरेंगी। इसके लिए भवन निर्माण शैली में खास व्यवस्था की गई है।
10 हजार संतों को दिया जाएगा आमंत्रण
प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की तैयारियों के बारे में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि समारोह में लगभग दस हजार अति विशिष्ट आमंत्रित सदस्य होंगे। राम मंदिर निर्माण आंदोलन से जुड़े साधु-संतों को विशेषकर आमंत्रित किया जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद सवा लाख से अधिक श्रद्धालु रोज रामलला के दर्शन के लिए आएंगे। इसी अनुमान के हिसाब से ही मंदिर में सुविधाओं को डिवेलप किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कब समारोह में शामिल होंगे, इसकी जानकारी PMO से नहीं आई है। संभव है कि पीएम मोदी 20 से 24 जनवरी के बीच किसी दिन प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल हो सकते हैं। क्योंकि उसके बाद पीएम 26 जनवरी के कार्यक्रमों में व्यस्त हो जाएंगे।
जानिए कैसे श्रीराम के ललाट पर पहुंचेगी सूरज की किरणें
नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला के ललाट पर सूर्य की किरणें खुद ब खुद नहीं पहुंचेंगी। इसके लिए मंदिर के शिखर पर एक छोटी डिवाइस लगाई जाएगी। इस डिवाइस के लिए सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, रुड़की और पुणे के एक एस्ट्रोनॉमिकल संस्थान ने मिलकर कम्प्यूटराइज्ड प्रोग्रामिंग की है। यह डिवाइस बेंगलुरु में बन रही है।
सूरज की किरणें इस डिवाइस पर पड़ेंगी और वहां से रिफलेक्ट होकर श्रीराम के ललाट पर पहुंचेगी। ऐसा हर साल रामनवमी के दिन 12 बजे होगा। हर बार इस घटना का सीधा प्रसारण करने की व्यवस्था की जाएगी, ताकि मंदिर में भीड़ नहीं हो।
तिरुपति के तर्ज पर भक्तों को मिलेगा भोजन प्रसाद
नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद सवा लाख श्रद्धालु रोजाना दर्शन के लिए अयोध्या पहुंचेंगे। श्रद्धालुओं के सैलाब को संभालने के लिए ट्रस्ट कई व्यवस्था कर रहा है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से 25,000 से 50,000 लोगों को मुफ्त में प्रसाद खिलाने की व्यवस्था की जा रही है।
उन्होंने बताया कि भक्तों की भीड़ के कारण एक व्यक्ति को गर्भगृह में रामलला के दर्शन के लिए 15 से 20 सेकेंड ही मिलेंगे। मंदिर में आने वाले वाले भक्तों को गर्भगृह तक पहुंचने के लिए कई मंडपों से गुजरना होगा, जिसे देखकर उन्हें आनंद मिलेगा।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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