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आध्यात्म

अयोध्या: भए प्रगट कृपाला…, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न; 500 वर्षों से अधिक का इंतजार खत्म

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Ram Lalla Pran Pratishtha

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अयोध्या। अयोध्या में रामलला के आगमन का इंतजार खत्म हो गया। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हो गई है। इससे पहले हाथ में पूजन सामग्री लेकर पीएम मोदी ने राम मंदिर में प्रवेश किया, जिसके बाद रामलला की प्राण प्रतिष्ठा शुरू हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चांदी का छत्र लेकर राम मंदिर के गर्भगृह में पहुंचे थे। पीएम मोदी ने राम मंदिर में प्रवेश किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर में प्रवेश कर लिया है। थोड़ी देर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। मंगल ध्वनि के बीच राम लला का प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान शुरू हो गया है। पीएम मोदी के साथ मोहन भागवत भी मौजूद हैं। पीएम मोदी राम मंदिर के गर्भगृह में पूजा कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या में  राम जन्मभूमि मंदिर में उपस्थित हैं।

रामलला प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान शुरू

रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का शुरू हो चुका है। मंदिर में पीएम मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पूजा-अर्चना कर रहे हैं।

उत्तरी गेट से पीएम मोदी ने मंदिर में किया प्रवेश

पीएम नरेंद्र मोदी राम मंदिर परिसर पहुंच गए हैं। पीएम मोदी मंदिर के उत्तरी गेट पर पहुंचे। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और सीएम योगी ने पीएम का स्वागत किया। उत्तरी गेट से पीएम मोदी ने मंदिर में प्रवेश किया।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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