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यूपीः वर्तमान सरकार का आखिरी पूर्ण बजट पेश, दस फीसद बढ़ा वैट
लखनऊ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए उत्तर प्रदेश का बजट पेश किया। मौजूदा अखिलेश सरकार का यह आखिरी पूर्ण बजट है क्योंकि 2017 में विधानसभा चुनाव होने हैं इसके मद्देनजर अखिलेश सरकार ने समाज से हर वर्ग को साधने का प्रयास किया है। इस बार कुल 3.46 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया गया। यह बजट मौजूदा वित्तीय वर्ष 2015-16 के 3.02 लाख करोड़ रुपये से 14.56 फीसद अधिक है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज विधान भवन में अपनी सरकार का पांचवां बजट पेश किया। वर्ष 2016-17 के लिए 3 लाख 46 हजार 935 करोड़ का बजट पेश किया गया है। यूपी का यह अब तक का सबसे बड़ा बजट है। पिछले साल के बजट की तुलना में इस बार का बजट 14.6 प्रतिशत अधिक है। बीते वर्ष भी 2014-15 की अपेक्षा 10.2 फीसदी इजाफा किया गया था। 2013-14 में 24 तथा 2012-13 में बजट में दस प्रतिशत इजाफा किया गया था।
2016-17 के बजट की खास बातें…
– बजट में इन्फ्रास्ट्रक्चर, इनोवेशन, हेल्थ और एजुकेशन पर ज्यादा फोकस रखा गया है।
– आबकारी कर और वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) में 10-10 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी गई है।
– इस बार के बजट में अशासकीय शिक्षकों के मानदेय की व्यवस्था की है।
– कृषक दुर्घटना बीमा योजना में 2.50 करोड़ रूपये का प्रावधान है।
– समाजवादी पेंशन योजना का दायरा 55 लाख लोगों तक बढ़ाया गया है।
इससे पहले कल सप्लिमेंट्री बजट पेश किया गया था। कल विधानसभा में सीएम ने इस वित्तीय वर्ष (2015-16) का दूसरा सप्लिमेंट्री बजट पेश किया। 27 हजार 758 करोड़ रुपए के सप्लिमेंट्री बजट में बुंदेलखंड के सूखाग्रस्त इलाकों, बिजली और को-ऑपरेटिव बैंकों का खास ख्याल रखा गया है। सप्लिमेंट्री बजट में सरकार बिजली कंपनियों के ‘उदय’ योजना के तहत 26, 606 करोड़ रुपए के बॉन्ड जारी करेगी। सरकार ने सूखा राहत कार्य के लिए 904.52 करोड़ रुपए अलॉट किए हैं। को-ऑपरेटिव बैंकों को जीवित करने के लिए 248 करोड़ अलॉट हुआ है। सप्लिमेंट्री बजट से राज्य सरकार पर 248.86 करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व बोझ आएगा। नॉन परफॉर्मिंग एक्सपेंडीचर में कटौती कर इसे बैलेंस किया जाएगा।
प्रदेश के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आज अपनी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट पेश किया। अखिलेश यादव इस बार एक तीर से कई निशाने साधे हैं। 3.46 लाख करोड़ रुपये के बजट के आकार का खाका खींचने में बतौर वित्त मंत्री उन्होंने कैसी बाजीगरी दिखायी, आज ïइस पर सभी की निगाहें हैं। जनता के बीच समाजवादी सरकार की साख बचाने और बनाने की की भरपूर कोशिश के बीच बजट के जरिये बुनियादी ढांचे के विकास को रफ्तार देने के साथ उनका फोकस गांवों की तरक्की और सामाजिक सेक्टर पर भी है। बजट में नई योजनाओं का तड़का भी लगाया गया है।
बुनियादी ढांचे पर फोकस
समाजवादी सरकार की सर्वाधिक प्रचारित आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे परियोजना को सरकार का कार्यकाल खत्म होने से पहले चालू करने के लिए बजट में तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक रकम के आवंटन के आसार हैं। इसके विस्तार के तौर पर लखनऊ को बलिया से जोडऩे के लिए प्रस्तावित समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेस का निर्माण भी सरकार अपना कार्यकाल खत्म होने से पहले शुरू करना चाहेगी जिसके लिए बजट में लगभग 500 करोड़ रुपये की धनराशि का इंतजाम किया जाएगा। लखनऊ मेट्रो को चालू करने के लिए लगभग 600 करोड़ रुपये के आवंटन की संभावना है। कानपुर और वाराणसी में भी मेट्रो रेल का कामकाज शुरू करने के लिए बजट में प्रावधान के आसार हैं।
किसानों और नवजवानों को रिझाने की कोशिश
प्रदेश में किसानों और नवजवानों की बड़ी आबादी के मद्देनजर बजट के जरिये इन दो वर्गों को रिझाने की भरपूर कोशिश होगी। कृषक दुर्घटना बीमा योजना के स्थान पर बजट में अवतरित होने वाली मुख्यमंत्री सर्वहित बीमा योजना के जरिये सरकार बड़ा दांव चलने जा रही है। मुख्यमंत्री खाद्य प्रसंस्करण मिशन बिजली की दिक्कत के साथ सूखे की मार के मद्देनजर किसानों के लिए सोलर फोटोवोल्टाइक सिंचाई पंप मुहैया कराने के लिए बजट में रकम की व्यवस्था की जाएगी। नवजवानों पर डोरे डालने के लिए बजट के जरिये लांच की जाने वाली मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार गारंटी योजना पर भी निगाहें होंगी।
गांवों के विकास को अहमियत
बजट में गांवों के विकास को भी अहमियत दी जाएगी। मुख्यमंत्री की पहल पर लांच होने जा रही ‘आइ स्पर्शÓ (इनिशिएटिव ऑफ समाजवादी पार्टी एंड अखिलेश यादव रूरल सस्टेनेबल होम्स) योजना के लिए भी बजट में रकम का इंतजाम होगा। ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल और सिंचाई पर बजट में खासा जोर होगा।
सामाजिक सेक्टर पर खास निगाह
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पिछले दो साल से ठप पड़ी गरीबों की बेटियों की शादी के लिए अनुदान योजना को फिर शुरू करेगी। वहीं वरिष्ठ नागरिकों की सुविधाओं का ख्याल रखने के लिए भी बजट में एलान हो सकते हैं। हथकरघा बुनकरों के लिए पेंशन योजना का आगाज हो सकता है।
समाजवादी योजनाओं पर विशेष इनायत
चुनावी साल में बजट पर समाजवादी मुलम्मा चढ़ाने की पुरजोर कोशिश होगी। समाजवादी नाम से शुरू की गई सरकार की प्राथमिकता वाली पुरानी योजनाओं समाजवादी पेंशन योजना, समाजवादी आवास योजना, समाजवादी शुद्ध पेयजल योजना के लिए भरपूर धनराशि का इंतजाम होगा। वहीं समाजवादी स्वास्थ्य बीमा योजना, समाजवादी पौष्टिक आहार योजना सरीखी नई योजनाओं के लिए भी सरकार बटुआ खोलने में दरियादिली दिखाएगी। समाजवादी सरकार की पहल पर शुरू की गईं लोहिया समग्र ग्राम विकास योजना, लोहिया ग्रामीण आवास योजना और लोहिया ग्रामीण बस सेवा पर भी नजर-ए-इनायत रहेगी।
प्रदेशवासियों को मिलेगी ज्यादा बिजली
चुनावी वर्ष में प्रदेशवासियों को ज्यादा बिजली देने के लिए ऊर्जा मंत्री का भी दायित्व संभाल रहे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से ऊर्जा क्षेत्र को बजट में खास तव्वजो देने की पूरी उम्मीद है। विद्युत उत्पादन बढ़ाने के लिए निर्माणाधीन व प्रस्तावित तापीय परियोजनाओं के साथ ही आपूर्ति व्यवस्था सुधारने को ट्रांसमिशन व वितरण लाइनों के काम के लिए बजट में 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की व्यवस्था की जा सकती है। अगले वित्तीय वर्ष के दौरान भी प्रमुख शहरों में बिजली के खंभे गायब कर भूमिगत बिजली के तार बिछाने के लिए 500 करोड़ रुपये की व्यवस्था रहेगी। बिजली कंपनियों को घाटे से उबारने को नई वित्तीय पुनर्गठन योजना उदय व ऋण आदि के भुगतान के लिए भी बजट में 57274 करोड़ रुपये रखे जा रहे हैं। अनुमान है कि इस बार का बजट 3.5 लाख करोड़ से अधिक का होगा।
इस बार के बजट में यह हैं खास
उदय योजना के लिए यूपीपीसीएएल को 6652 करोड़
सूखा राहत कोष के लिए 907 करोड़ का प्रावधान
राज्य डिजास्टर रिस्पांस फंड के लिए 90 करोड़
को-ऑपरेटिव बैंकों को जीवित करने के लिए 248 करोड़।
नेशनल
RSS नेता इंद्रेश कुमार का बीजेपी पर निशाना, कहा- अहंकार किसी का नहीं टिका, फिर किसी राजनीतिक दल की क्या बिसात
नई दिल्ली। सरसंघ चालक मोहन भागवत के बाद अब आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा ‘जो अहंकारी हो गए हैं, उन्हें 241 पर रोक दिया। जिनकी राम के प्रति आस्था नहीं थी, अश्रद्धा थी। उन सबको मिलकर 234 पर रोक दिया। यही प्रभु का न्याय है।’
यही नहीं इंद्रेश कुमार ने बीजेपी को लेकर कहा कि अहंकार किसी का भी नहीं टिका है तो फिर किसी राजनीतिक दल की क्या बिसात है। लोकतंत्र में राम राज्य का विधान देखिए राम की भक्ति तो की लेकिन धीरे-धीरे अहंकारी हो गए, सबसे बड़ी पार्टी बने जरूर लेकिन बहुमत नहीं मिला, जो वोट की ताकत मिलना चाहिए थी उस पर अहंकार की चोट भारी पड़ गई।
वहीं इंद्रेश कुमार के बयान के बाद तमाम दलों को बीजेपी को घेरने का मौका मिल गया है। ताजा बयान एनडीए की सहयोगी दल एनसीपी का है। पार्टी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने कहा है कि महाराष्ट्र में एनसीपी ने 2 सीट पर चुनाव लड़ा और एक पर जीत हासिल की, लेकिन जिस यूपी को लेकर बीजेपी इतनी आश्वस्त थी वहां उसका बुरा हाल हुआ है। ये घमंड ही है जिसकी वजह से बीजेपी ने यूपी में इतनी कम सीट पर जीत दर्ज की है।
वहीं शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने भी आरएसएस-बीजेपी के चल रहे विवाद पर तंज कसा है। संजय राउत ने सवाल किया है कि क्या संघ के लोगों में हिम्मत है कि वह बीजेपी से बगावत कर सकें? बीजेपी में तो ऐसे कई लोग है जो आरएसएस से बगावत कर रहे हैं, जेपी नड्डा इसका बड़ा उदाहरण है जो सार्वजनिक रूप से यह कह चुके हैं कि अब बीजेपी को आरएसएस की जरूरत नहीं है। संजय राउत ने कहा कि इस तरह चुप बैठने से काम नहीं चलेगा?
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