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AIMPLB की दलील, तीन तलाक गुनाह लेकिन आस्था का मामला
नई दिल्ली। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि तीन तलाक एक ‘गुनाह और आपत्तिजनक’ प्रथा है, फिर भी इसे जायज ठहराया गया है और इसके दुरुपयोग के खिलाफ समुदाय को जागरूक करने का प्रयास जारी है।
वरिष्ठ वकील यूसुफ हातिम मनचंदा ने न्यायालय से तीन तलाक के मामले में हस्तक्षेप न करने के लिए कहा, क्योंकि यह आस्था का मसला है और इसका पालन मुस्लिम समुदाय 1,400 साल पहले से करते आ रहा है, जब इस्लाम अस्तित्व में आया था। उन्होंने कहा कि तीन तलाक एक ‘गुनाह और आपत्तिजनक’ प्रथा है, फिर भी इसे जायज ठहराया गया है और इसके दुरुपयोग के खिलाफ समुदाय को जागरूक करने का प्रयास जारी है।
एआईएमपीएलबी की कार्यकारिणी समिति के सदस्य मनचंदा ने यह सुझाव पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ को तब दिया, जब पीठ ने उनसे पूछा कि तीन तलाक को निकाह नामा से अलग क्यों किया गया और तलाक अहसान तथा हसन को अकेले क्यों शामिल किया गया।
एआईएमपीएलबी की तरफ से ही पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि कुछ लोगों का मानना है कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था और यह आस्था का मामला है और इस पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। उसी तरह, मुस्लिम पर्सनल लॉ भी आस्था का विषय है और न्यायालय को इस पर सवाल उठाने से बचना चाहिए।
सिब्बल पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ के समक्ष अपनी दलील पेश कर रहे थे, जिसमें प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन, न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित तथा न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर शामिल हैं, जो तीन तलाक की संवैधानिक मान्यता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं की सुनवाई कर रही है।
जब सिब्बल ने जोर दिया कि पर्सनल लॉ आस्था का मामला है और न्यायालय को इसमें दखल नहीं देना चाहिए, तो न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा, “हो सकता है। लेकिन फिलहाल 1,400 वर्षो बाद कुछ महिलाएं हमारे पास इंसाफ मांगने के लिए आई हैं।”
सिब्बल ने कहा, “पर्सनल लॉ कुरान व हदीस से लिया गया है और तीन तलाक 1,400 साल पुरानी प्रथा है। हम यह कहने वाले कौन होते हैं कि यह गैर-इस्लामिक है। यह विवेक या नैतिकता का सवाल नहीं, बल्कि आस्था का सवाल है। यह संवैधानिक नैतिकता का सवाल नहीं है।”
सिब्बल ने महान्यायवादी मुकुल रोहतगी द्वारा न्यायालय के समक्ष सोमवार को की गई उस टिप्पणी पर चुटकी ली, जिसमें उन्होंने कहा था कि न्यायालय मुस्लिमों में तलाक के तीनों रूपों को अमान्य करार दे और केंद्र सरकार तलाक के लिए नया कानून लाएगी।
जब सिब्बल ने कहा कि सरकार सर्वोच्च न्यायालय से नहीं कह सकती कि आप पहले तलाके के तीनों रूपों को अमान्य करार दीजिए, उसके बाद हम एक नया कानून लाएंगे, तब प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति केहर ने कहा, “पहली बार आप हमारे साथ हैं।”
सिब्बल ने कहा, “आस्था को कानून की कसौटी पर नहीं कसा जा सकता।” उन्होंने कहा, “हम बेहद बेहद जटिल दुनिया में प्रवेश कर चुके हैं, जहां क्या गलत है और क्या सही इसकी खोज करने के लिए हमें 1,400 साल पहले इतिहास में जाना होगा।” मामले की सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी।
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पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में बोले अमित शाह, पीओके भारत का है और हम इसे लेकर रहेंगे
श्रीरामपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के हुगली के श्रीरामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और ममता बनर्जी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ये पीओके भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।
अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी, कांग्रेस-सिंडिकेट कहती है कि धारा 370 को मत हटाओ। मैंने संसद में पूछा कि क्यों न हटाएं तो उन्होंने कहा कि खून की नदियां बह जाएंगी। 5 साल हो गए खून कि नदियां छोड़ो किसी की कंकड़ चलाने की हिम्मत नहीं है। जब INDI गठबंधन का शासन था तो हमारे कश्मीर में हड़तालें होती थीं। आज पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हड़ताल होती है। पहले कश्मीर में आजादी के नारे लगते थे, अब पाक अधिकृत कश्मीर में नारेबाजी होती है। राहुल गांधी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ममता बनर्जी आपको डरना है तो डरते रहिए लेकिन मैं आज श्रीरामपुर की धरती से कहता हूं कि ये पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।
अमित शाह ने कहा आने वाले चुनाव में आप सभी वोट डालने वाले हैं। इस चुनाव में एक ओर परिवारवादी पार्टियां हैं जिसमें ममता बनर्जी अपने भतीजे को, शरद पवार अपनी बेटी को, उद्धव ठाकरे अपने बेटे को, स्टालिन अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और सोनिया गांधी, राहुल बाबा को पीएम बनाना चाहती हैं। वहीं दूसरी ओर गरीब चाय वाले के घर में जन्में इस देश के महान नेता नरेन्द्र मोदी जी हैं।
नरेन्द्र मोदी जी ने बंगाल के विकास के लिए ढेर सारे कार्य किए हैं। मैं ममता दीदी से पूछना चाहता हूं कि 10 साल तक आपके लोग सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे, लेकिन सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार ने बंगाल के विकास के लिए क्या किया। उनकी सरकार ने 10 साल में बंगाल के विकास के लिए मात्र 2 लाख करोड़ रुपये दिए। जबकि मोदी जी ने 10 साल में 9 लाख, 25 हजार करोड़ रुपये देने का काम किया।
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