प्रादेशिक
पत्नी ने शराब पीने से किया इनकार तो पति ने दे दिया ट्रिपल तलाक
पटना। संसद में ट्रिपल तलाक पर सख्त कानून बनने के बाद भी देश में तीन तलाक के मामले अभी भी सामने आ रहे हैं। ट्रिपल तलाक का नया मामला बिहार की राजधानी पटना में समाने आया है।
यहां एक महिला को उसके पति ने सिर्फ इसलिए ट्रिपल तलाक दे दिया क्योंकि उसने अपने पति का बात काटते हुए मॉडर्न कपड़े पहनने और शराब पीने से इनकार कर दिया था। इस मामले में पीड़िता ने राज्य महिला आयोग से शिकायत की है, जिसके बाद उसके पति को नोटिस भेजा गया है।
पीड़िता का नाम नूरी फातमा है। नूरी की शादी 2015 में इमरान मुस्तफा से हुई थी। महिला ने अपने बयान में कहा है कि उसके पति ने उसे तीन तलाक दे दिया क्योंकि उसने मॉडर्न बनने, छोटे कपड़े पहनने और शराब के सेवन से मना कर दिया था।
फातमा ने आरोप लगाया कि कई सालों तक मुझे प्रताड़ित करने के बाद कुछ दिन पहले उसने मुझे घर छोड़ने के लिए कहा और जब मैंने मना किया तो उसने मुझे तीन तलाक दे दिया।
इस मामले में राज्य महिला आयोग की चेयरमैन दिलमणि मिश्रा ने कहा कि हमने मामले का संज्ञान लिया है। एक सितंबर को उसके पति ने तीन तलाक दिया था।
हमने उसके पति को नोटिस जारी किया है। उन्होंने कहा कि महिला का पति उसे प्रताड़ित करता था और दो बार उसने उसका गर्भपात भी कराया था।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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